पटना: कोविड-19 की दूसरी लहर काफी भयावह होती जा रही है. देशभर में लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. बिहार में भी कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. कोरोना संक्रमण के दौरान काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मी, सुरक्षाकर्मी और सफाई कर्मियों को पीएम मोदी ने फ्रंट लाइन कोरोना वॉरियर का नाम दिया है. इन्हें सरकार की ओर से समय-समय पर पुरस्कृत भी किया जाता है.
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स्वास्थ्य कर्मी और सुरक्षाकर्मी को सरकार ने एक माह का वेतन बोनस के रूप में देने की घोषणा की है. साथ ही उन्हें 50 लाख का बीमा भी दिया है. इस घोषणा के बाद अब सफाई कर्मी भी एक माह का पूरा वेतन और 50 लाख के बीमा की मांग करने लगे हैं.
बोनस देने की घोषणा
स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान हथेली पर रखकर संक्रमित मरीजों का इलाज करने में लगे हुए हैं. सुरक्षाकर्मी लोगों की सुरक्षा को लेकर लगातार सड़कों पर कोरोना चेन को तोड़ने के लिए सरकार की ओर से बनाये गये कोरोना गाइडलाइंस का पालन करवाने में लगे हुए हैं. इनकी कठिन ड्यूटी को देखकर सरकार ने इन्हें एक माह का वेतन बोनस के तौर पर देने की घोषणा की है. साथ ही संक्रमण के दौरान इनकी मृत्यु हो जाती है तो, इनके परिजनों को 50 लाख का मुआवजा सरकार देने की बात कह रही है.
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नगर आयुक्त को लिखा पत्र
इस घोषणा के बाद पटना नगर निगम की मेयर ने भी अपने सभी निगम कर्मियों के लिए 4500 रुपये बोनस के साथ 10 लाख के बीमा कराने की अनुशंसा करने को लेकर नगर आयुक्त को पत्र लिखा है. मेयर की ओर से किए जा रहे डिमांड को लेकर निगम कर्मी खुश नहीं दिख रहे हैं. निगम कर्मियों का कहना है कि जब संक्रमण के दौरान लगातार स्वास्थ्य कर्मी और सुरक्षाकर्मियों के साथ हम भी काम कर रहे हैं, तो हमें भी एक माह का वेतन बोनस के साथ 50 लाख का बीमा क्यों नहीं दिया जा रहा है.
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निगम कर्मियों में नाराजगी
मेयर के किए गए अनुशंसा के बाद निगम कर्मियों में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है. निगम कर्मियों का कहना है कि जब संक्रमण के दौरान हम भी दिन रात काम करने में लगे हुए हैं. शहर की सफाई हो या शहर को सैनिटाइज करना या फिर संक्रमित घरों को भी लगातार सैनिटाइज कर रहे हैं. यहां तक कि जिनके यहां कोरोना संक्रमण के कारण लोगों की मौत हो जा रही है, उनके घर जा कर डेड बॉडी भी हम लोग उठा रहे हैं. तो हमें भी स्वास्थ्य कर्मी और सुरक्षाकर्मी की तरह क्यों नहीं हमें फैसिलिटी दी जा रही है.
सिर्फ पेपर पर ही घोषणा
निगम कर्मियों का कहना है कि हर बार हमारे लिए घोषणा तो की जाती है, लेकिन वह घोषणा सिर्फ पेपर पर ही होता है. जमीनी हकीकत कुछ और होती है. फिर भी हम लोग लगातार काम कर रहे हैं. संक्रमण बढ़ रहा है. इस दौरान भी लगातार हम लोग काम करने में लगे हुए हैं. इसलिए स्वास्थ्य कर्मी और सुरक्षाकर्मी को जो सरकार फैसिलिटी दे रही है. वही फैसिलिटी हमें मिले. ताकि हम लोग भी मन लगाकर इस विकट परिस्थिति में भी काम करें.
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हटा देने की धमकी
वहीं आउट सोर्स पर बहाल निगम कर्मियों का कहना है कि निगम प्रशासन की तरफ से दैनिक के तौर पर काम कर रहे निगम कर्मियों को कुछ फैसिलिटी तो मिल जाती है. लेकिन आउट सोर्स पर बहाल लोगों को निगम प्रशासन या सरकार की तरफ से कुछ नहीं मिल पाता है. दो-दो माह का वेतन भी रोक कर ही काम कराया जाता है. यदि हम अपनी बातों को उठाते हैं, तो नौकरी से हटा देने की धमकी कंपनी की ओर से दी जाने लगती है.
पिछली बार कोरोना संक्रमण के निगम प्रशासन की तरफ से सभी दैनिक कर्मियों को बोनस के तौर पर 4500 रुपये दिए गए थे. लेकिन हमें कुछ नहीं मिला, इसलिए हम लोग भी निगम प्रशासन और मेयर से मांग करते हैं कि हमें भी वह फैसिलिटी दी जाए. जो दैनिक कर्मियों को दी जाती है.
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10 लाख का बीमा की डिमांड
बता दें कि पटना नगर निगम में कुल आठ हजार निगम कर्मी काम करते हैं. जिनमें 4200 दैनिक कर्मी हैं. वहीं आउट सोर्स पर बहाल 2800 कर्मी लगातार काम कर रहे हैं. इसको लेकर मेयर सीता साहू ने पिछले दिनों नगर आयुक्त को पत्र लिखकर इन सभी कर्मियों के लिए 4500 रुपये बोनस के साथ 10 लाख का बीमा की डिमांड की है. हालांकि मेयर के इस डिमांड पर सभी निगम कर्मी ना खुश दिख रहे हैं.