ETV Bharat / state

Patna High Court News: लॉ कॉलेजों की स्थिति को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई, सुधारात्मक कदमों पर कुलपतियों से मांगा हलफनामा

पटना हाईकोर्ट ने कानून की पढ़ाई के लिए उठाए गए सुधारात्मक कदमों पर विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से हलफनामा मांगा है. साथ ही ये भी बताने को कहा गया है कि इन लॉ कालेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए यूजीसी मानक के तहत नेट/पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है अथवा नहीं.

author img

By

Published : Mar 13, 2023, 5:47 PM IST

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट

पटना: बिहार में कानून की पढ़ाई की दिशा में बेहतरी के लिए लगातार सरकार और कॉलेज स्तर पर पहल की जा रही है. इसी कड़ी में राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है. सोमवार को पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की.

ये भी पढ़ें: Bihar madrasa news: पटना HC के आदेश पर बिहार में फर्जी मदरसों पर एक्शन शुरू, सीतामढ़ी में जांच पूरी

बीसीआई के निर्देश के बाद भी सुधार नहीं: कोर्ट ने राज्य के विश्वविद्यालयों के चान्सलर कार्यालय को हलफनामा दायर कर ये बताने को कहा कि राज्य में लॉ की पढ़ाई के लिए क्या-क्या सुधारात्मक कार्रवाई की गई है. साथ ही ये भी बताने को कहा गया कि इन लॉ कालेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए यूजीसी मानक के तहत नेट/पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं. इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन कॉलेजों में यूजीसी मानदंडों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. उन्होंने बताया कि ये शिक्षक यूजीसी द्वारा नेट की परीक्षा बिना पास किए पद पर बने हुए हैं. इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपल भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त नहीं किया है. बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइड लाइन के बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है.

पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?: वहीं, इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद ही सत्र 2021- 22 के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां दाखिला लेने के लिए अनुमति दी थी. पूर्व में हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी थी. बाद में इस आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी थी.

दो सप्ताह बाद मामले की सुनवाई: उस समय हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि दाखिला सिर्फ 2021-22 सत्र के लिए ही होगा. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगले साल के सत्र के लिए बीसीआई से फिर मंजूरी लेनी होगी. सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट में अपने अपने पक्षों को प्रस्तुत किया. अब इस मामले में अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद फिर की जाएगी.

पटना: बिहार में कानून की पढ़ाई की दिशा में बेहतरी के लिए लगातार सरकार और कॉलेज स्तर पर पहल की जा रही है. इसी कड़ी में राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है. सोमवार को पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की.

ये भी पढ़ें: Bihar madrasa news: पटना HC के आदेश पर बिहार में फर्जी मदरसों पर एक्शन शुरू, सीतामढ़ी में जांच पूरी

बीसीआई के निर्देश के बाद भी सुधार नहीं: कोर्ट ने राज्य के विश्वविद्यालयों के चान्सलर कार्यालय को हलफनामा दायर कर ये बताने को कहा कि राज्य में लॉ की पढ़ाई के लिए क्या-क्या सुधारात्मक कार्रवाई की गई है. साथ ही ये भी बताने को कहा गया कि इन लॉ कालेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए यूजीसी मानक के तहत नेट/पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं. इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन कॉलेजों में यूजीसी मानदंडों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. उन्होंने बताया कि ये शिक्षक यूजीसी द्वारा नेट की परीक्षा बिना पास किए पद पर बने हुए हैं. इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपल भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त नहीं किया है. बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइड लाइन के बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है.

पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?: वहीं, इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद ही सत्र 2021- 22 के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां दाखिला लेने के लिए अनुमति दी थी. पूर्व में हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी थी. बाद में इस आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी थी.

दो सप्ताह बाद मामले की सुनवाई: उस समय हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि दाखिला सिर्फ 2021-22 सत्र के लिए ही होगा. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगले साल के सत्र के लिए बीसीआई से फिर मंजूरी लेनी होगी. सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट में अपने अपने पक्षों को प्रस्तुत किया. अब इस मामले में अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद फिर की जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.