पटना: हाईकोर्ट (Patna High Court) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए वैशाली (Vaishali) प्रखंड पंचायत समिति के प्रमुख पद पर धर्मशीला कुमारी और उप प्रमुख पद पर नीलम देवी को फिर से बहाल करने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल खंडपीठ ने जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की एकल पीठ के आदेश को रद्द करते हुए धर्मशीला कुमारी और अन्य की अपील को मंजूर कर लिया.
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सुनवाई के बाद फैसला रखा था सुरक्षित
इस मामले पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था, जिसे सोमवार को सुनाया गया. कोर्ट को वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने बताया कि वैशाली प्रखंड पंचायत समिति के प्रमुख और उप प्रमुख के खिलाफ 2 अगस्त 2018 को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदस्यों ने एक आवेदन बीडीओ को दिया था.
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर दिया था आवेदन
बीडीओ ने इस आवेदन को आगे की कार्रवाई के लिए उसी दिन प्रमुख के पास भेज दिया. प्रमुख ने आवेदन पर कार्रवाई करते हुए अविश्वास प्रस्ताव के लिए 10 अगस्त 2018 की तारीख तय कर दी. तय तारीख के दिन अविश्वास प्रस्ताव लाने के आवेदन देने वाले दस सदस्य विशेष बैठक से गायब रहे और अविश्वास प्रस्ताव गिर गया.
10 सदस्यों ने HC में दायर की रिट याचिका
इस कार्रवाई से नाराज हेमंत कुमार सहित दस सदस्यों ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर अविश्वास प्रस्ताव की कार्रवाई के साथ ही विशेष बैठक में भाग नहीं लेने वाले सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने का अनुरोध कोर्ट से किया.
एकलपीठ ने कानूनी कार्रवाई का दिया था आदेश
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की एकलपीठ ने मामले पर सुनवाई के बाद अविश्वास प्रस्ताव के लिए बुलाई गई विशेष बैठक की कार्रवाई को रद्द कर दिया. साथ ही तत्कालीन अधिकारी के कार्यों की जांच करने का आदेश भी दे दिया. एकल पीठ ने जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का आदेश भी दिया.
धर्मशीला ने आदेश की वैधता को दी चुनौती
तत्कालीन प्रमुख धर्मशीला कुमारी ने अपील (एलपीए) दायर कर एकल पीठ के आदेश की वैधता को चुनौती दी. अपील में कहा गया कि कुछ सदस्यों ने अपने मेल में लेकर एक सादा कागज पर 10 सदस्यों के हस्ताक्षर करा लिये थे, बाद में उस कागज का इस्तेमाल अविश्वास प्रस्ताव के लिए किया गया.
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'दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाने का औचित्य नहीं'
आवेदक की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने पंचायत कानून की धारा 44 की व्याख्या करते हुए कहा पंचायत का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है. कानून के तहत प्रमुख और उप प्रमुख के खिलाफ कार्यकाल शुरू होने के दो साल बाद अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान है. ऐसे में दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाने का कोई औचित्य नहीं है.