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पटना वक्फ बोर्ड की अवैध बिल्डिंग तोड़ने का आदेश, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने वक्फ बोर्ड की बिल्डिंग तोड़ने का आदेश दिया है. इसे हाईकोर्ट की अनुमति के बिना बनाया गया था. कोर्ट ने बिहार भवन निर्माण निगम को अवैध निर्माण एक माह में तोड़ने का निर्देश दिया है.

Patna High Court
पटना हाईकोर्ट
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Published : Aug 3, 2021, 6:58 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) की नई बिल्डिंग (शताब्दी भवन) के पास मजार से सटे वक्फ बोर्ड की बिल्डिंग के अवैध निर्माण को तोड़ने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने 4-1 के बहुमत से यह फैसला किया. कोर्ट ने बिहार भवन निर्माण निगम (Bihar Building Construction Corporation) को अवैध निर्माण एक माह के अंदर तोड़ने का निर्देश दिया है.

यह भी पढ़ें- बिहार में वैक्सीनेशन के आंकड़ों से हाईकोर्ट असंतुष्ट, सरकार को दोबारा हलफनामा दायर करने का निर्देश

जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय जजों की संवैधानिक पीठ ने लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे मंगलवार को सुनाया गया. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि बिहार भवन निर्माण निगम इस अवैध निर्माण को नहीं तोड़ता है तो पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) इसे तोड़ने की कार्रवाई करेगा. अपने अलग फैसले में जस्टिस ए अमानुल्लाह ने कहा कि जो निर्माण अवैध रूप से दस मीटर से अधिक है, उसे ही तोड़ा जाए, न कि पूरे निर्माण को तोड़ा जाए.

बता दें कि कोर्ट ने इससे पहले इस भवन के निर्माण पर रोक लगा दिया था. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान इस तरह के भवन का निर्माण कैसे किया गया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से पूछा था कि क्या इसके निर्माण को लेकर पटना हाईकोर्ट और पटना नगर निगम से भी अनुमति ली गई थी?

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि नई बिल्डिंग से सटे मजार के करीब वक्फ बोर्ड का कार्यालय बन रहा है. कार्यालय के सबसे नीचे मुसाफिर खाना बन रहा है. यह तीन तल्ले का भवन है. इमारत के निर्माण के लिए पटना हाईकोर्ट से अनुमति नहीं ली गई थी. इस पर जजों ने कहा था कि यह गलत तरीके से बना है. बिल्डिंग बाय लॉ की धारा 21 में स्पष्ट कहा गया है कि विधानसभा, राजभवन और हाईकोर्ट जैसे महत्वपूर्ण और सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील भवनों से सटाकर कोई दूसरा भवन नहीं बनाया जा सकता है. भवन की ऊंचाई 10 मीटर से ज्यादा नहीं हो सकती है. इस मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला दिया.

बता दें कि न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह, न्यायमूर्ति विकास जैन, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की. राज्य सरकार की ओर से संवैधानिक पीठ को बताया गया था कि इस इमारत के पहले तल पर मुसाफिरखाना होगा, जबकि ऊपर के दो तलों पर बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यालय होगा.

यह भी पढ़ें- VIDEO: देखिए कैसे उड़े थे डिप्टी कमांडेंट की कार के पड़खच्चे, आगे निकलने की कोशिश ने ली थी जान

पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) की नई बिल्डिंग (शताब्दी भवन) के पास मजार से सटे वक्फ बोर्ड की बिल्डिंग के अवैध निर्माण को तोड़ने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है. कोर्ट ने 4-1 के बहुमत से यह फैसला किया. कोर्ट ने बिहार भवन निर्माण निगम (Bihar Building Construction Corporation) को अवैध निर्माण एक माह के अंदर तोड़ने का निर्देश दिया है.

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जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय जजों की संवैधानिक पीठ ने लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे मंगलवार को सुनाया गया. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि बिहार भवन निर्माण निगम इस अवैध निर्माण को नहीं तोड़ता है तो पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) इसे तोड़ने की कार्रवाई करेगा. अपने अलग फैसले में जस्टिस ए अमानुल्लाह ने कहा कि जो निर्माण अवैध रूप से दस मीटर से अधिक है, उसे ही तोड़ा जाए, न कि पूरे निर्माण को तोड़ा जाए.

बता दें कि कोर्ट ने इससे पहले इस भवन के निर्माण पर रोक लगा दिया था. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान इस तरह के भवन का निर्माण कैसे किया गया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से पूछा था कि क्या इसके निर्माण को लेकर पटना हाईकोर्ट और पटना नगर निगम से भी अनुमति ली गई थी?

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि नई बिल्डिंग से सटे मजार के करीब वक्फ बोर्ड का कार्यालय बन रहा है. कार्यालय के सबसे नीचे मुसाफिर खाना बन रहा है. यह तीन तल्ले का भवन है. इमारत के निर्माण के लिए पटना हाईकोर्ट से अनुमति नहीं ली गई थी. इस पर जजों ने कहा था कि यह गलत तरीके से बना है. बिल्डिंग बाय लॉ की धारा 21 में स्पष्ट कहा गया है कि विधानसभा, राजभवन और हाईकोर्ट जैसे महत्वपूर्ण और सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील भवनों से सटाकर कोई दूसरा भवन नहीं बनाया जा सकता है. भवन की ऊंचाई 10 मीटर से ज्यादा नहीं हो सकती है. इस मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला दिया.

बता दें कि न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह, न्यायमूर्ति विकास जैन, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की. राज्य सरकार की ओर से संवैधानिक पीठ को बताया गया था कि इस इमारत के पहले तल पर मुसाफिरखाना होगा, जबकि ऊपर के दो तलों पर बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यालय होगा.

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