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Patna High Court : 'पुलिस स्टेशन को आधुनिक बनाने के सन्दर्भ में पूरी रिपोर्ट पेश कीजिए' - Police Station Condition In Bihar

Patna High Court बिहार में पुलिस स्टेशनों की स्थिति सुदारने के लिए सरकार क्या कर रही है, इसके विषय में पटना उच्च न्यायालय ने जानना चाहा. पुलिस स्टेशनों के अपने भवन नहीं होने पर भी सुनवाई हुई. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court Etv Bharat
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Published : Feb 16, 2023, 3:54 PM IST

पटना : पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) में राज्य की पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामले पर सुनवाई की. एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ के समक्ष राज्य के एडीजी कमल किशोर सिंह ने पुलिस स्टेशन की स्थितियों के सम्बन्ध रिपोर्ट प्रस्तुत किया. कोर्ट ने उन्हें नए बने पुलिस स्टेशन को आधुनिक बनाने के सन्दर्भ में पूरी रिपोर्ट कोर्ट में अगली सुनवाई में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने उन्हें ये देखने को कहा कि थानों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए क्या कार्रवाई आवश्यक है.

ये भी पढ़ें - Patna High Court : पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाओं पर हुई सुनवाई

साथ ही कोर्ट ने राज्य के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव और डीजीपी को निर्देश दिया कि थाने में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए क्या-क्या कार्रवाई की जानी चाहिए. पुलिस थाना सही ढंग से कार्य करें, इसके लिए उन्हें सभी सुविधाएं उपलब्ध कराया जाना चाहिए. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एडीजी कमल किशोर सिंह को कोर्ट और राज्य कार्डिनेटर के रूप में कार्य का जिम्मा सौंपा था. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था. राज्य में 1263 थाना हैं, जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है.

471 पुलिस स्टेशनों को किराये के भवन में काम करना पड़ता है. कोर्ट ने बिहार स्टेट पुलिस बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था. जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते, तब तक पुलिस अधिकारी एडीजी कमल किशोर सिंह कोऑर्डिनेटर के रूप में कोऑर्डिनेट करेंगे. इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था. राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था, लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा.


इसी तरह का एक मामले पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया. उन्होंने इस मामले को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है. उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है. उन्होंने बताया कि बढ़ते अपराध को देखते हुए ये आवश्यक है कि थाना और पुलिसकर्मियों को आधुनिक बनाया जाए.

उन्होंने बताया कि पुलिस स्टेशन में बिजली,पेय जल,शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है. लगभग आठ सौ थाने ऐसे हैं, सरकारी भवन में चल रहे है, लेकिन उनकी भी दयनीय अवस्था है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है, उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है. पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है. इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

पटना : पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) में राज्य की पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामले पर सुनवाई की. एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ के समक्ष राज्य के एडीजी कमल किशोर सिंह ने पुलिस स्टेशन की स्थितियों के सम्बन्ध रिपोर्ट प्रस्तुत किया. कोर्ट ने उन्हें नए बने पुलिस स्टेशन को आधुनिक बनाने के सन्दर्भ में पूरी रिपोर्ट कोर्ट में अगली सुनवाई में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने उन्हें ये देखने को कहा कि थानों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए क्या कार्रवाई आवश्यक है.

ये भी पढ़ें - Patna High Court : पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाओं पर हुई सुनवाई

साथ ही कोर्ट ने राज्य के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव और डीजीपी को निर्देश दिया कि थाने में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए क्या-क्या कार्रवाई की जानी चाहिए. पुलिस थाना सही ढंग से कार्य करें, इसके लिए उन्हें सभी सुविधाएं उपलब्ध कराया जाना चाहिए. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एडीजी कमल किशोर सिंह को कोर्ट और राज्य कार्डिनेटर के रूप में कार्य का जिम्मा सौंपा था. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था. राज्य में 1263 थाना हैं, जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है.

471 पुलिस स्टेशनों को किराये के भवन में काम करना पड़ता है. कोर्ट ने बिहार स्टेट पुलिस बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था. जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते, तब तक पुलिस अधिकारी एडीजी कमल किशोर सिंह कोऑर्डिनेटर के रूप में कोऑर्डिनेट करेंगे. इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था. राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था, लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा.


इसी तरह का एक मामले पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया. उन्होंने इस मामले को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है. उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है. उन्होंने बताया कि बढ़ते अपराध को देखते हुए ये आवश्यक है कि थाना और पुलिसकर्मियों को आधुनिक बनाया जाए.

उन्होंने बताया कि पुलिस स्टेशन में बिजली,पेय जल,शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है. लगभग आठ सौ थाने ऐसे हैं, सरकारी भवन में चल रहे है, लेकिन उनकी भी दयनीय अवस्था है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है, उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है. पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है. इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

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