पटना: बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में चल रही सुनवाई 4 जुलाई 2022 तक टल गई है. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को विस्तृत जानकारी देने को कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या-क्या कमियां हैं. साथ ही इसमें सुधारने के उपाय पर सुझाव देने को कहा.
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अगली सुनवाई में मौजूद रहेंगे प्रधान स्वास्थ्य सचिव: 4 जुलाई को होने वाली सुनवाई में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव (Principal Secretary of Bihar Health Department) भी कोर्ट में उपस्थित रहेंगे. कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है, क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े स्कीम और फंड के सम्बन्ध में जानकारी देने को कहा. पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं. उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर हैं.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि कुछ अस्पताल, मनोचिकित्सक और नर्स पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि आम लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और उसके समाधान के लिए राज्य में कोई व्यवस्था नहीं है. जो केंद्र सरकार के स्कीम और फंड है, उसका भी राज्य में सही ढंग से उपयोग नहीं हो रहा है. पिछली सुनवाई में अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने कोर्ट को जानकारी दी कि कोइलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला में 272 बेड का अस्पताल बनाया जाना है. इसकी लागत 129 करोड़ रुपए होगी और 3 माह में निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा.
अपर महाधिवक्ता एसडी यादव ने सरकार का पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया था कि मानसिक रोगियों के इलाज के लिए 61 डॉक्टरों व 47 नर्सों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है. फिलहाल इस मामले पर अगली सुनवाई 4 जुलाई 2022 को होगी.
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