ETV Bharat / state

डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की बदहाली को लेकर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई, दिए ये निर्देश

कोर्ट ने पटना डीएम को विद्यापीठ के अतिक्रमण किए गए भूमि का निरीक्षण करने को भी कहा है. सिवान के डीएम को रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक कर जीरादेई स्थित मेमोरियल जाने हेतु रेलवे ट्रैक के अंडरपास बनाने के संदर्भ में भी ठोस निर्णय लेने को कहा है.

Court
Court
author img

By

Published : Feb 3, 2022, 4:51 PM IST

पटना: भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद (First President Dr. Rajendra Prasad) के पैतृक घर समेत उनसे संबंधित अन्य स्मारकों की बदहाली के मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई हुई. इस जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए पटना और सिवान के डीएम को कई निर्देश दिया है.

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए अनुशंसा, SC ने केंद्र से की इन नामों की सिफारिश

पटना के डीएम और नगर आयुक्त को याचिकाकर्ता एडवोकेट विकास कुमार, सरकारी अधिवक्ता व बिहार विद्यापीठ के वकील शमा सिन्हा को पटना हाईकोर्ट ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद से जुड़े स्मारकों, पटना स्थित बांस घाट पार्क और सदाकत आश्रम का स्थल निरीक्षण करने का निर्देश दिया.


वहीं, सिवान के डीएम को कोर्ट ने आदेश किया कि वे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की सहायता से राजेन्द्र प्रसाद के परिवार के सदस्यों से सम्पर्क करें. उनसे उनकी जीरादेई स्थित जमीनों को, देश रत्न के पुश्तैनी घर के पास भव्य संग्रहालय बनाने के लिए जो सरकार को हस्तांतरित होना है, उसे दो हफ्ते में अंतिम रूप से निर्णय लें.

कोर्ट ने दोनों जिलाधिकारियों को अगली सुनवाई के दिन भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर मौजूद रहने का आदेश दिया. गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि बांस घाट स्थित मेमोरियल पार्क के सौंदर्यीकरण और रखरखाव के साथ-साथ पूरे श्मशान घाट को भी स्वच्छ और दुरुस्त करने हेतु पटना के जिलाधिकारी कदम उठा रहे हैं, लेकिन सदाकत आश्रम की बदहाली अभी भी बनी हुई है.

गौरतलब है कि असहयोग आंदोलन के दौरान ही गांधी जी के राष्ट्रीय शिक्षा मॉडल के अनुसरण में बिहार विद्यापीठ की नींव पड़ी. विद्यापीठ को केंद्र सरकार से एक दशक पहले ही 10 करोड़ की अनुदान राशि मिली. एडवोकेट शमा सिन्हा ने जानकारी दी कि उक्त राशि का उपयोग विद्यापीठ परिसर के विकास के लिए हो रहा है. 4 करोड़ की एक जमा पूंजी तैयार की गई है, लेकिन वहां के अधिकांश हिस्सों पर अवैध अतिक्रमणकारियों का कब्जा है.

कोर्ट ने वीडियो लिंक पर मौजूद पटना डीएम को विद्यापीठ के अतिक्रमण किए गए भूमि का निरीक्षण करने को भी कहा है. सिवान के डीएम को रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक कर जीरादेई स्थित मेमोरियल जाने हेतु रेलवे ट्रैक के अंडरपास बनाने के संदर्भ में भी ठोस निर्णय लेने को कहा है.

कोर्ट ने इस बाबत रेलवे के वकील सिद्धार्थ प्रसाद को भी सहयोग देने का अनुरोध किया है, क्योंकि सिवान से गुजरने वाली रेल लाइन बनारस रेलवे डिवीजन और गोरखपुर स्थित उत्तर-पूर्व फ्रंटियर जोन के अधीन आती है. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को कहा कि सही मायने में यह मामला व्यापक जनहित का है और पूरे बिहार के लिए महत्वपूर्ण है.

डॉ राजेंद्र प्रसाद से संबंधित सभी स्मारकों को भव्य और पर्यटन योग्य बनाने, उसे अतिक्रमण मुक्त रखने और शैक्षणिक तौर पर म्यूजियम और लाइब्रेरी स्थापित करने के लिए सरकार के मुख्य सचिव से वो खुद बात करेंगे.

महाधिवक्ता ललित किशोर ने सुझाव दिया कि इन तमाम विकास कार्यों को बिहार के पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की देखरेख में हो सकता है. उनकी शिक्षा, कला और पर्यावरण की जानकारी उनकी रुचियों की विविधता को देखते हुए अंजनी कुमार सिंह से बात की जा सकती है. हाइकोर्ट ने मौखिक तौर पर महाधिवक्ता के इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि वे इस दिशा में मामले को सकारात्मक रूप से आगे बढ़ा सकते हैं. मामले पर अगली सुनवाई 7 फरवरी 2022 को होगी.

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट ने दिया आदेश- '24 घंटे में AIIMS पटना परिसर से हटायें मेडिकाना'

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट ने लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति प्रक्रिया को एक सप्ताह में पूरा करने का दिया आदेश

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

पटना: भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद (First President Dr. Rajendra Prasad) के पैतृक घर समेत उनसे संबंधित अन्य स्मारकों की बदहाली के मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई हुई. इस जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए पटना और सिवान के डीएम को कई निर्देश दिया है.

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए अनुशंसा, SC ने केंद्र से की इन नामों की सिफारिश

पटना के डीएम और नगर आयुक्त को याचिकाकर्ता एडवोकेट विकास कुमार, सरकारी अधिवक्ता व बिहार विद्यापीठ के वकील शमा सिन्हा को पटना हाईकोर्ट ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद से जुड़े स्मारकों, पटना स्थित बांस घाट पार्क और सदाकत आश्रम का स्थल निरीक्षण करने का निर्देश दिया.


वहीं, सिवान के डीएम को कोर्ट ने आदेश किया कि वे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की सहायता से राजेन्द्र प्रसाद के परिवार के सदस्यों से सम्पर्क करें. उनसे उनकी जीरादेई स्थित जमीनों को, देश रत्न के पुश्तैनी घर के पास भव्य संग्रहालय बनाने के लिए जो सरकार को हस्तांतरित होना है, उसे दो हफ्ते में अंतिम रूप से निर्णय लें.

कोर्ट ने दोनों जिलाधिकारियों को अगली सुनवाई के दिन भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर मौजूद रहने का आदेश दिया. गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि बांस घाट स्थित मेमोरियल पार्क के सौंदर्यीकरण और रखरखाव के साथ-साथ पूरे श्मशान घाट को भी स्वच्छ और दुरुस्त करने हेतु पटना के जिलाधिकारी कदम उठा रहे हैं, लेकिन सदाकत आश्रम की बदहाली अभी भी बनी हुई है.

गौरतलब है कि असहयोग आंदोलन के दौरान ही गांधी जी के राष्ट्रीय शिक्षा मॉडल के अनुसरण में बिहार विद्यापीठ की नींव पड़ी. विद्यापीठ को केंद्र सरकार से एक दशक पहले ही 10 करोड़ की अनुदान राशि मिली. एडवोकेट शमा सिन्हा ने जानकारी दी कि उक्त राशि का उपयोग विद्यापीठ परिसर के विकास के लिए हो रहा है. 4 करोड़ की एक जमा पूंजी तैयार की गई है, लेकिन वहां के अधिकांश हिस्सों पर अवैध अतिक्रमणकारियों का कब्जा है.

कोर्ट ने वीडियो लिंक पर मौजूद पटना डीएम को विद्यापीठ के अतिक्रमण किए गए भूमि का निरीक्षण करने को भी कहा है. सिवान के डीएम को रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक कर जीरादेई स्थित मेमोरियल जाने हेतु रेलवे ट्रैक के अंडरपास बनाने के संदर्भ में भी ठोस निर्णय लेने को कहा है.

कोर्ट ने इस बाबत रेलवे के वकील सिद्धार्थ प्रसाद को भी सहयोग देने का अनुरोध किया है, क्योंकि सिवान से गुजरने वाली रेल लाइन बनारस रेलवे डिवीजन और गोरखपुर स्थित उत्तर-पूर्व फ्रंटियर जोन के अधीन आती है. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को कहा कि सही मायने में यह मामला व्यापक जनहित का है और पूरे बिहार के लिए महत्वपूर्ण है.

डॉ राजेंद्र प्रसाद से संबंधित सभी स्मारकों को भव्य और पर्यटन योग्य बनाने, उसे अतिक्रमण मुक्त रखने और शैक्षणिक तौर पर म्यूजियम और लाइब्रेरी स्थापित करने के लिए सरकार के मुख्य सचिव से वो खुद बात करेंगे.

महाधिवक्ता ललित किशोर ने सुझाव दिया कि इन तमाम विकास कार्यों को बिहार के पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की देखरेख में हो सकता है. उनकी शिक्षा, कला और पर्यावरण की जानकारी उनकी रुचियों की विविधता को देखते हुए अंजनी कुमार सिंह से बात की जा सकती है. हाइकोर्ट ने मौखिक तौर पर महाधिवक्ता के इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि वे इस दिशा में मामले को सकारात्मक रूप से आगे बढ़ा सकते हैं. मामले पर अगली सुनवाई 7 फरवरी 2022 को होगी.

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट ने दिया आदेश- '24 घंटे में AIIMS पटना परिसर से हटायें मेडिकाना'

ये भी पढ़ें: पटना हाईकोर्ट ने लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति प्रक्रिया को एक सप्ताह में पूरा करने का दिया आदेश

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.