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Patna High Court: निचली अदालतों में लंबित आपराधिक मामलों को लेकर पटना HC गंभीर, 58 साल से एक मामला लंबित - 58 साल से एक मामला लंबित

बिहार में निचली अदालतों में लंबित आपराधिक मामलों की फेहरिस्त काफी लंबी है. पटना हाईकोर्ट में इन लंबित पड़े मामलों को लेकर सुनवाई की गई. कोर्ट ने बिहार सरकार को इस मामले में सर्वे करने का निर्देश दिया है. पढ़ें पूरी खबर..

लंबित आपराधिक मुकदमों के मामले पर पटना HC में सुनवाई
लंबित आपराधिक मुकदमों के मामले पर पटना HC में सुनवाई
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 22, 2023, 2:50 PM IST

पटना: पिछले दो दशकों से राज्य के निचली अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मुकदमों के मामले पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ द्वारा कौशिक रंजन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इस मामले में सर्वे करने के लिए दो सप्ताह की मोहलत दी है.

पढ़ें- Patna High Court News : निचली अदालतों में लंबित आपराधिक मामलों पर सुनवाई टली, अगली तारीख 22 सितंबर

लंबित आपराधिक मुकदमों के मामले पर सुनवाई: पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार(बालसा)के सचिव को नेशनल ज्यूडिशियल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के उपलब्ध आंकड़े को मूल रिकॉर्ड से जांच करने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ता कौशिक रंजन की अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बड़ी संख्या में राज्य के विभिन्न अदालतों में आपराधिक मामले लंबित पड़े हैं. उन्होंने बताया था कि लगभग 67 हजार मामले ऐसे हैं, जिनमें पार्टियां कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं.

बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मामले: कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार व विभिन्न जिला विधिक सेवा प्राधिकार को ऐसे मामलों को चिह्नित कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि वकीलों के सहायता के अभाव में लगभग सात लाख आपराधिक मामले लंबित हैं. कोर्ट को ये भी बताया गया कि बिहार फेडरेशन ऑफ वीमेन लॉयर्स की ओर ये कोशिश की जा रही है कि ऐसे अंडरट्रायल कैदियों को कानूनी सहायता देने के लिए वकीलों को प्रशिक्षण दें.

वकीलों को किया जाएगा प्रशिक्षित: उन्हें ऐसे कैदियों को कानूनी सहायता के जरूरी जानकारी और प्रशिक्षण देने की कार्रवाई शीघ्र प्रारम्भ किये जाने की संभावना है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने इस सम्बन्ध में बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार को आंकड़े की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा कि इन मामलों में वकीलों की सहायता दिए जाने को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए.

'कई पुराने मामले संदर्भहीन': अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे मामले काफी पुराने हैं, जिनमें अधिकांश सन्दर्भहीन हो चुके हैं. 30-40 साल पुराने मामलों का कोई अर्थ नहीं है. पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि ये आंकड़े नेशनल ज्यूडिशियल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से मिले हैं. इन्ही डाटा को कोर्ट के सामने पेश किया गया.

1965 का एक आपराधिक मामला लंबित: जनहित याचिका दंड प्रक्रिया कानून के तहत प्ली- बारगेनिंग के कानून को लागू करने के लिए की गई है. रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार की एक अदालत में 1965 का एक आपराधिक मामला लंबित है ,जो कि नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड में साफ दिखता है. इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी.

पटना: पिछले दो दशकों से राज्य के निचली अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मुकदमों के मामले पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ द्वारा कौशिक रंजन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इस मामले में सर्वे करने के लिए दो सप्ताह की मोहलत दी है.

पढ़ें- Patna High Court News : निचली अदालतों में लंबित आपराधिक मामलों पर सुनवाई टली, अगली तारीख 22 सितंबर

लंबित आपराधिक मुकदमों के मामले पर सुनवाई: पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार(बालसा)के सचिव को नेशनल ज्यूडिशियल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के उपलब्ध आंकड़े को मूल रिकॉर्ड से जांच करने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ता कौशिक रंजन की अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बड़ी संख्या में राज्य के विभिन्न अदालतों में आपराधिक मामले लंबित पड़े हैं. उन्होंने बताया था कि लगभग 67 हजार मामले ऐसे हैं, जिनमें पार्टियां कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं.

बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मामले: कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार व विभिन्न जिला विधिक सेवा प्राधिकार को ऐसे मामलों को चिह्नित कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि वकीलों के सहायता के अभाव में लगभग सात लाख आपराधिक मामले लंबित हैं. कोर्ट को ये भी बताया गया कि बिहार फेडरेशन ऑफ वीमेन लॉयर्स की ओर ये कोशिश की जा रही है कि ऐसे अंडरट्रायल कैदियों को कानूनी सहायता देने के लिए वकीलों को प्रशिक्षण दें.

वकीलों को किया जाएगा प्रशिक्षित: उन्हें ऐसे कैदियों को कानूनी सहायता के जरूरी जानकारी और प्रशिक्षण देने की कार्रवाई शीघ्र प्रारम्भ किये जाने की संभावना है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने इस सम्बन्ध में बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार को आंकड़े की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा कि इन मामलों में वकीलों की सहायता दिए जाने को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए.

'कई पुराने मामले संदर्भहीन': अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे मामले काफी पुराने हैं, जिनमें अधिकांश सन्दर्भहीन हो चुके हैं. 30-40 साल पुराने मामलों का कोई अर्थ नहीं है. पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि ये आंकड़े नेशनल ज्यूडिशियल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से मिले हैं. इन्ही डाटा को कोर्ट के सामने पेश किया गया.

1965 का एक आपराधिक मामला लंबित: जनहित याचिका दंड प्रक्रिया कानून के तहत प्ली- बारगेनिंग के कानून को लागू करने के लिए की गई है. रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार की एक अदालत में 1965 का एक आपराधिक मामला लंबित है ,जो कि नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड में साफ दिखता है. इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी.

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