पटना : ये तो पहले से ही कहा जा रहा है कि बिहार में कई फर्जी शिक्षक हैं. अब पटना हाइकोर्ट ने भी इसपर सुनवाई की. बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के आधार पर शिक्षकों की बहाली (teachers appointed on fake degree) मामले पर यह सुनवाई हुई. एसीजे जस्टिस सीएस सिंह ने राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया है. रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को कहा कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं. इसके साथ ही वे वेतन भी उठा रहे हैं.
ये भी पढ़ें - Patna High Court News: पासपोर्ट जारी करने के मामले में हाईकोर्ट ने विचार करने का आदेश दिया, एनएच निर्माण पर भी हुई सुनवाई
निगरानी विभाग को जांच का जिम्मा : इससे पूर्व पटना हाइकोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक हैं, उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वो खुद अपना इस्तीफा दे दें, उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी. 26 अगस्त, 2019 को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक कार्यरत हैं और वेतन ले रहे हैं. कोर्ट ने मामले में निगरानी विभाग को जांच के लिए जिम्मा सौंपा. उन्हें इस तरह के शिक्षकों को ढूंढ निकालने का निर्देश भी दिया गया.
31 जनवरी, 2020 को सुनवाई दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा इसके सम्बंधित रिकॉर्ड की जांच की जा रही है, लेकिन अभी भी 1 लाख 10 हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. साथ ही यह भी पाया गया कि एक हजार तीन सौ सोलह शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये गए हैं. कोर्ट ने इस मामले को काफी गम्भीरता से लिया. कोर्ट ने सम्बंधित विभाग के सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था.
दो सप्ताह बाद होगी सुनवाई : सोमवार को उच्च न्यायालय ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया. इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह 13 मार्च, 2023 को होगी.