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Patna High Court: राज्य के सरकारी और गैर सरकारी लॉ कॉलेज में सुविधाओं पर सुनवाई, सरकार को ब्योरा देने का आदेश

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Published : Apr 10, 2023, 7:44 PM IST

बिहार के सरकारी और गैर सरकारी लॉ कॉलेजों की स्थिति दयनिय है. इसको लेकर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने सरकार से कॉलेजों में स्थिति का ब्योरा देने का आदेश दिया है. लॉ कालेजों में नेट या पीएचडी डिग्री वाले शिक्षक को लेकर सुनवाई हो रही है. पढ़ें पूरी खबर...

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पटनाः बिहार के पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और गैर सरकारी कॉलेजों (Government and private colleges) की स्थिति के बारे में सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य के अपर मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. राज्य के सरकारी व गैर सरकारी लॉ कॉलेजों की स्थिति व उसमें किए गए सुधार का ब्यौरा देने प्रस्तुत करें. पूर्व की सुनवाई में चान्सलर कार्यालय के हलफनामा में बताया गया था कि लॉ कालेजों में नेट/ पीएचडी डिग्रीधारी शिक्षक होनी चाहिए.

यह भी पढ़ेंः Patna High Court : बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह सहित 20 प्रोफेसरों के खिलाफ प्राथमिकी रद्द

हलफनामा दायर करने का था आदेशः पूर्व की सुनवाई में भी कोर्ट ने चान्सलर कार्यालय को हलफनामा दायर करने के लिए कहा था. जिसमें यह बताने के लिए कहा था कि राज्य में लॉ की पढ़ाई के लिए क्या क्या सुधारात्मक कार्रवाई की गई. साथ ही ये भी बताने को कहा गया था कि इन लॉ कालेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए यूजीसी मानक के तहत नेट/पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं. चान्सलर ने राज्य के विश्वविद्यालयों के वाइस चान्सलर की बैठक 3 अप्रैल, 2023 को तय किया था. बैठक में असिस्टेंट प्रोफेसर, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों की संख्या, बुनियादी सुविधाएं, सम्बद्धता दिए जाने के सम्बन्ध विचार विमर्श किया जाना था.

शैक्षणिक योग्यता के बिना नियुक्तिः याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि इन लॉ कालेजों में जो प्रिंसिपल और शिक्षक कार्य कर रहे है, वे यूजीसी के मानदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते हैं. उन्होंने बताया कि ये शिक्षक यूजीसी द्वारा नेट की परीक्षा बिना पास किये पद पर बने हुए हैं. इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपल भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त नहीं की है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह बताने को कहा था कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों को क्यों नियुक्त नहीं किया जा सकता है.

कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभावः बता दें कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है. कोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से ये जानना चाहा था कि राज्य के लॉ कॉलेज में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है? कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लॉ कालेजों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होना आवश्यक है. कोर्ट को अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है. वहां बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है.

अगली सुनवाई 25 कोः बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइड लाइन के बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है. बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कॉलेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे हैं. इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद ही सत्र 2021-22 के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां दाखिला लेने के लिए अनुमति दी थी. सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार एवं रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट में अपने अपने पक्षों को प्रस्तुत किया. कोर्ट ने अगली सुनवाई 25 अप्रैल को करने की तारीख दी है.

पटनाः बिहार के पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और गैर सरकारी कॉलेजों (Government and private colleges) की स्थिति के बारे में सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य के अपर मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. राज्य के सरकारी व गैर सरकारी लॉ कॉलेजों की स्थिति व उसमें किए गए सुधार का ब्यौरा देने प्रस्तुत करें. पूर्व की सुनवाई में चान्सलर कार्यालय के हलफनामा में बताया गया था कि लॉ कालेजों में नेट/ पीएचडी डिग्रीधारी शिक्षक होनी चाहिए.

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हलफनामा दायर करने का था आदेशः पूर्व की सुनवाई में भी कोर्ट ने चान्सलर कार्यालय को हलफनामा दायर करने के लिए कहा था. जिसमें यह बताने के लिए कहा था कि राज्य में लॉ की पढ़ाई के लिए क्या क्या सुधारात्मक कार्रवाई की गई. साथ ही ये भी बताने को कहा गया था कि इन लॉ कालेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए यूजीसी मानक के तहत नेट/पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं. चान्सलर ने राज्य के विश्वविद्यालयों के वाइस चान्सलर की बैठक 3 अप्रैल, 2023 को तय किया था. बैठक में असिस्टेंट प्रोफेसर, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों की संख्या, बुनियादी सुविधाएं, सम्बद्धता दिए जाने के सम्बन्ध विचार विमर्श किया जाना था.

शैक्षणिक योग्यता के बिना नियुक्तिः याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि इन लॉ कालेजों में जो प्रिंसिपल और शिक्षक कार्य कर रहे है, वे यूजीसी के मानदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते हैं. उन्होंने बताया कि ये शिक्षक यूजीसी द्वारा नेट की परीक्षा बिना पास किये पद पर बने हुए हैं. इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपल भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त नहीं की है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह बताने को कहा था कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों को क्यों नियुक्त नहीं किया जा सकता है.

कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभावः बता दें कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है. कोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से ये जानना चाहा था कि राज्य के लॉ कॉलेज में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है? कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लॉ कालेजों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होना आवश्यक है. कोर्ट को अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है. वहां बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है.

अगली सुनवाई 25 कोः बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइड लाइन के बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है. बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कॉलेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे हैं. इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद ही सत्र 2021-22 के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां दाखिला लेने के लिए अनुमति दी थी. सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार एवं रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट में अपने अपने पक्षों को प्रस्तुत किया. कोर्ट ने अगली सुनवाई 25 अप्रैल को करने की तारीख दी है.

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