पटनाः पटना हाईकोर्ट ने जहानाबाद जिले के बहुचर्चित सेनारी नरसंहार के सभी 13 दोषियों को बरी कर दिया है. जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह और जस्टिस अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने लम्बी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. जिसे आज सुनाया गया. कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए सभी 13 दोषियों को तुरंत रिहा करने का भी आदेश दिया.
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इस मामले में बचाव पक्ष के वकील अंशुल राज ने कहा, "इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह नहीं है, जो सेनारी गांव में हुए नरसंहार के मामले में मेरे मुवक्किलों के शामिल होने की पुष्टि कर सके. अभियोजन पक्ष के वकील ने उन्हें दोषी ठहराने के लिए कोई गवाह या वैध सबूत पेश नहीं किया इसलिए उच्च न्यायालय ने उन्हें तत्काल प्रभाव से बरी कर दिया."
74 लोगों के खिलाफ चार्जशीट
इस मामले में पहली चार्जशीट साल 2002 में 74 लोगों के खिलाफ दायर की गई थी. हालांकि, इनमें से 18 लोगों के फरार होने के साथ बाकी 56 व्यक्तियों के खिलाफ ही मुकदमा चलाया गया था.
क्या था निचली अदालत का फैसला
इस नरसंहार के 17 साल बाद जहानाबाद की कोर्ट ने 2016 में इस पर अपना फैसला सुनाया था. जिसमे उन्होंने 10 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी. इसके अलावा तीन लोगों को उन्होंने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके अलावा उन पर एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया था.उस दौरान इस केस के दो दोषी फरार चल रहे थे. इसके अलावा निचली अदालत ने पीड़ितों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया था. बता दें कि 2016 में निचली अदालत ने 20 आरोपियों को पहले ही बरी कर दिया था.
जहानाबाद के लिए काली थी रात
18 मार्च 1999 की रात प्रतिबंधित नक्सली संगठन के उग्रवादियों ने सेनारी गांव को चारों तरफ से घेर लिया था. इसके बाद एक जाति विशेष के 34 लोगों को उनके घरों से जबरन निकालकर ठाकुरवाड़ी के पास ले जाया गया. जहां बेरहमी से गला रेत कर उनकी हत्या कर दी गई थी.
वकीलों ने पेश की थी दलीलें
निचली अदालत के फैसले की पुष्टि के लिए पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस दायर किया गया. जबकि दोषियों- द्वारिका पासवान, बचेश कुमार सिंह, मुंगेश्वर यादव तथा अन्य की ओर से क्रिमिनल अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सुरिंदर सिंह, पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता कृष्णा प्रसाद सिंह, अधिवक्ता राकेश सिंह, भास्कर शंकर सहित अनेक वकीलों ने पक्ष-विपक्ष की ओर से अपनी दलीलें पेश कीं. सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
जहानाबाद सेनारी नरसंहार: अब तक
- 18 मार्च 1999 में यह नरसंहार हुआ था, जिसमें 34 लोगों की हत्या हुई थी.
- साल 2002 : अनुसंधान के उपरांत पुलिस द्वारा 88 लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल, 32 फरार.
- 15 मई 2002 को 45 अभियुक्तों पर न्यायालय में आरोप गठित. दो की मौत, पांच फरार.
- 27 अक्टूबर 2016 को 15 अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया, जबकि साक्ष्य के अभाव में 23 को रिहा कर दिया गया.
- 15 नवंबर 2016 : निचली अदालत द्वारा सजा की बिंदु पर सुनवाई पूरी. जहानाबाद जिला अदालत ने फैसला सुनाया. 10 लोगों को फांसी और 3 लोगों को उम्रकैद की सजा.
- 18 नवंबर 2016 : इस घटना के एक अन्य अभियुक्त दुखन राम की अलग से सुनवाई चल रही थी. उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई. जबकि इस घटना के प्रमुख अभियुक्त दुल्ली राम भी सुनवाई के दौरान न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सका.
- इसके बाद निचली अदालत के फैसले की पुष्टि के लिए पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस दायर किया गया.
- दोषी द्वारिका पासवान, मुंगेश्वर यादव, बचेश कुमार सिंह व अन्य की ओर से क्रिमिनल अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी.
- शुक्रवार को कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए सभी 13 दोषियों को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया.
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