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Patna Health News: चोट के बाद जिन्होंने चलने की छोड़ दी उम्मीद, अब ओलंपिक में खेलने का देख रहे हैं सपना

खिलाड़ियों के लिए स्पोर्ट्स इंजरी (ligament injury) एक गंभीर समस्या है और कई खिलाड़ियों का शुरुआती दौर में ही कैरियर चोट की वजह से खत्म होने का एक लंबा इतिहास है. लेकिन अब खिलाड़ियों के लिए हो या आम आदमी के लिए लिगामेंट इंजरी कोई गंभीर समस्या नहीं. पहले जहां लोग लिगामेंट इंजरी होने के बाद उठकर चल नहीं पाते थे वहीं अब सर्जरी के बाद ऐसी इंजरी के मरीज दौड़ रहे हैं कूद रहे हैं और फुटबॉल खेल रहे हैं.

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Published : Mar 9, 2023, 6:41 PM IST

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पटना हेल्थ न्यूज.

पटना: बिहार में कई लोग लिगामेंट इंजरी (ligament injury) होने की वजह से उठकर सही से चल नहीं पा रहे थे. जीवन जीने की उम्मीदें छोड़ चुके थे और मन में निराशा भर चुके थे वह अब लिगामेंट सर्जरी के बाद पहले जैसे दौड़ने लगे हैं कूदने लगे हैं. पटना के वीर कुंवर सिंह मैदान में कुछ माह पहले बिहार में अब तक का पहला ऐसा फुटबॉल मैच खेला गया जिसमें वैसे मरीज खेल रहे थे जिनका एसीएल रिकंस्ट्रक्टेड हुआ था.

इसे भी पढ़ेंः Gaya News: दिल्ली की सड़कों पर स्ट्रॉबेरी देख आया आईडिया, 5 स्टार होटल की नौकरी छोड़ शुरू कर दी खेती

पूरी तरह से फिट हैंः नी रिप्लेसमेंट सर्जरी करा चुके मिहिर केसरी ने बताया कि वह एक प्रोफेशनल क्रिकेटर हैं. जहानाबाद जिले से काफी खेल चुके हैं. खेल के दौरान ही दाहिने पैर का लिगामेंट डैमेज हो गया था. उन्हें इस बात का विश्वास नहीं था कि वह दोबारा कभी मैदान पर उतर पाएंगे. सर्जरी के कुछ हफ्तों के बाद रिहैबिलिटेशन शुरू हो गया. सर्जरी के 6 महीना बाद वह काफी अच्छे तरीके से दौड़ने लगे थे और आज स्थिति ऐसी है कि वह पूरी तरह से फिट हैं, उन्हें इस बात का जरा भी एहसास नहीं होता कि उन्होंने कभी कोई सर्जरी कराई है. अब वह पूरी तरह से फिट हो गए हैं.

कुश्ती की प्रैक्टिस शुरू कीः बिहार के कुश्ती प्लेयर और राष्ट्रीय स्तर पर बिहार के लिए कई पदक जीत चुके विजय प्रकाश ने बताया कि कुश्ती के दौरान उनके दाहिने पैर में घुटने के पास लिगामेंट डैमेज हो गया था. एक समय ऐसा आया जब वह दाहिने पैर पर जरा भी ज़ोर देकर खड़े नहीं हो सकते थे. उनका एसीएल रिकंस्ट्रक्ट किया गया. लगभग डेढ़ महीने तक वह बैशाखी के सहारे चलें, फिर धीरे-धीरे वह चलना शुरू किए और सर्जरी के 6 महीने बाद वह कूदना शुरू किए दौड़ना शुरू किए. सर्जरी हुए लगभग 1 साल होने जा रहा है. आज वह एक बार फिर से कुश्ती की प्रैक्टिस शुरू कर दिए हैं. विजय ने बताया कि वह चाहते हैं कि ओलंपिक के लिए जाने वाली भारतीय टीम का वह हिस्सा बने.

सर्जरी के बाद सब ठीक हो गया: पेशे से शिक्षक संजीव राज ने बताया कि एक एक्सीडेंट में उनके दाहिने पैर का लिगामेंट डैमेज हो गया था. स्थिति ऐसी आ गई की क्लास में वह खड़े होकर बोर्ड पर पढ़ा नहीं पा रहे थे. वह बुरी तरह हताश हो गए थे. उन्हें लगता था कि उनका शैक्षणिक कैरियर शुरू होते ही खत्म हो गया. बाद में मेडिवर्सल अस्पताल में पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उन्हें यह आश्वस्त किया कि सर्जरी ही इसका एकमात्र विकल्प है. उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद आज क्लास में 7 से 8 घंटे खड़े होकर आराम से क्लास ले रहे हैं.

चोट का खतरा बना रहता है: प्रदेश के प्रख्यात ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर अमूल्य सिंह ने बताया कि खिलाड़ियों के लिए मैदान में हर समय चोट का खतरा बना रहता है. इसके अलावा सामान्य जीवन में भी लोगों को चोट का खतरा बना रहता है. ऐसी में पहले किसी की घुटने में चोट आती थी और लिगामेंट डैमेज होता था तो प्रदेश में चिकित्सक हाथ खड़ा कर देते थे और यदि मरीज को बाहर कहीं इलाज कराने की भी सलाह देते थे तो यह जरूर कहते थे कि गारंटी नहीं है कि ऑपरेशन सफल होगा या नहीं और सफल हुआ भी तो पहले जैसी फिट एंड फाइन वाली स्थिति नहीं रहेगी. उन्होंने बताया कि इस भ्रम को डॉक्टर निशिकांत और डॉक्टर गुरुदेव की टीम ने तोड़ा है.

"खेल के मैदान में खिलाड़ी खेल रहे हैं तो चोट से बचने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन चोट लगती है तो बिल्कुल भी नहीं डरे कि उनका कैरियर खत्म हो गया है. लिगामेंट इंजरी का सफल इलाज पटना में संभव हो गया है. तमाम ऐसे मरीजों कभी लिगामेंट इंजरी से जूझ चुके हैं और जीवन से निराश हो गए थे वह पूरे उत्साह से पहले जैसे दौड़ रहे हैं"- डॉक्टर गुरुदेव, स्पोर्ट्स इंजरी एक्सपर्ट

पटना हेल्थ न्यूज.

पटना: बिहार में कई लोग लिगामेंट इंजरी (ligament injury) होने की वजह से उठकर सही से चल नहीं पा रहे थे. जीवन जीने की उम्मीदें छोड़ चुके थे और मन में निराशा भर चुके थे वह अब लिगामेंट सर्जरी के बाद पहले जैसे दौड़ने लगे हैं कूदने लगे हैं. पटना के वीर कुंवर सिंह मैदान में कुछ माह पहले बिहार में अब तक का पहला ऐसा फुटबॉल मैच खेला गया जिसमें वैसे मरीज खेल रहे थे जिनका एसीएल रिकंस्ट्रक्टेड हुआ था.

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पूरी तरह से फिट हैंः नी रिप्लेसमेंट सर्जरी करा चुके मिहिर केसरी ने बताया कि वह एक प्रोफेशनल क्रिकेटर हैं. जहानाबाद जिले से काफी खेल चुके हैं. खेल के दौरान ही दाहिने पैर का लिगामेंट डैमेज हो गया था. उन्हें इस बात का विश्वास नहीं था कि वह दोबारा कभी मैदान पर उतर पाएंगे. सर्जरी के कुछ हफ्तों के बाद रिहैबिलिटेशन शुरू हो गया. सर्जरी के 6 महीना बाद वह काफी अच्छे तरीके से दौड़ने लगे थे और आज स्थिति ऐसी है कि वह पूरी तरह से फिट हैं, उन्हें इस बात का जरा भी एहसास नहीं होता कि उन्होंने कभी कोई सर्जरी कराई है. अब वह पूरी तरह से फिट हो गए हैं.

कुश्ती की प्रैक्टिस शुरू कीः बिहार के कुश्ती प्लेयर और राष्ट्रीय स्तर पर बिहार के लिए कई पदक जीत चुके विजय प्रकाश ने बताया कि कुश्ती के दौरान उनके दाहिने पैर में घुटने के पास लिगामेंट डैमेज हो गया था. एक समय ऐसा आया जब वह दाहिने पैर पर जरा भी ज़ोर देकर खड़े नहीं हो सकते थे. उनका एसीएल रिकंस्ट्रक्ट किया गया. लगभग डेढ़ महीने तक वह बैशाखी के सहारे चलें, फिर धीरे-धीरे वह चलना शुरू किए और सर्जरी के 6 महीने बाद वह कूदना शुरू किए दौड़ना शुरू किए. सर्जरी हुए लगभग 1 साल होने जा रहा है. आज वह एक बार फिर से कुश्ती की प्रैक्टिस शुरू कर दिए हैं. विजय ने बताया कि वह चाहते हैं कि ओलंपिक के लिए जाने वाली भारतीय टीम का वह हिस्सा बने.

सर्जरी के बाद सब ठीक हो गया: पेशे से शिक्षक संजीव राज ने बताया कि एक एक्सीडेंट में उनके दाहिने पैर का लिगामेंट डैमेज हो गया था. स्थिति ऐसी आ गई की क्लास में वह खड़े होकर बोर्ड पर पढ़ा नहीं पा रहे थे. वह बुरी तरह हताश हो गए थे. उन्हें लगता था कि उनका शैक्षणिक कैरियर शुरू होते ही खत्म हो गया. बाद में मेडिवर्सल अस्पताल में पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उन्हें यह आश्वस्त किया कि सर्जरी ही इसका एकमात्र विकल्प है. उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद आज क्लास में 7 से 8 घंटे खड़े होकर आराम से क्लास ले रहे हैं.

चोट का खतरा बना रहता है: प्रदेश के प्रख्यात ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर अमूल्य सिंह ने बताया कि खिलाड़ियों के लिए मैदान में हर समय चोट का खतरा बना रहता है. इसके अलावा सामान्य जीवन में भी लोगों को चोट का खतरा बना रहता है. ऐसी में पहले किसी की घुटने में चोट आती थी और लिगामेंट डैमेज होता था तो प्रदेश में चिकित्सक हाथ खड़ा कर देते थे और यदि मरीज को बाहर कहीं इलाज कराने की भी सलाह देते थे तो यह जरूर कहते थे कि गारंटी नहीं है कि ऑपरेशन सफल होगा या नहीं और सफल हुआ भी तो पहले जैसी फिट एंड फाइन वाली स्थिति नहीं रहेगी. उन्होंने बताया कि इस भ्रम को डॉक्टर निशिकांत और डॉक्टर गुरुदेव की टीम ने तोड़ा है.

"खेल के मैदान में खिलाड़ी खेल रहे हैं तो चोट से बचने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन चोट लगती है तो बिल्कुल भी नहीं डरे कि उनका कैरियर खत्म हो गया है. लिगामेंट इंजरी का सफल इलाज पटना में संभव हो गया है. तमाम ऐसे मरीजों कभी लिगामेंट इंजरी से जूझ चुके हैं और जीवन से निराश हो गए थे वह पूरे उत्साह से पहले जैसे दौड़ रहे हैं"- डॉक्टर गुरुदेव, स्पोर्ट्स इंजरी एक्सपर्ट

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