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मुंगेर हिंसा की HC की निगरानी में CID जांच, केस से जुड़े SP से लेकर सभी अधिकारियों को बदलने का आदेश

मूर्ति विसर्जन में फायरिंग की घटना को लेकर पटना हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने मृतक के पिता अमरनाथ पोद्दार की याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने याचिककर्ता को बतौर क्षतिपूर्ति 10 लाख रुपये देने का निर्देश दिया है.

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Published : Apr 7, 2021, 7:34 PM IST

Updated : Apr 7, 2021, 10:33 PM IST

पटना हाई कोर्ट
पटना हाई कोर्ट

पटना: पटना हाई कोर्ट ने बहुचर्चित मुंगेर मूर्ति विसर्जन गोलीकांड पर सुनवाई के दौरान ना सिर्फ पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया बल्कि सरकार के रवैये पर भी नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने मामले की सीआईडी से जांच करवाने का निर्देश दिया है. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने गोलीकांड में मारे गए युवक के पिता अमरनाथ पोद्दार की याचिका पर सुनवाई की है. कोर्ट ने याचिककर्ता को बतौर क्षतिपूर्ति 10 लाख रुपये देने का निर्देश दिया है.

ये भी पढ़ें- EVM से पंचायत चुनाव करवाने पर नहीं बनी सहमति, बहस जारी

हाईकोर्ट ने सरकार के रवैये और पुलिस जांच को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने मुंगेर मूर्ति विसर्जन गोलीकांड से जुड़े तमाम अफसरों के साथ वर्तमान SP को भी बदलने का आदेश दिया है. इतना ही नहीं साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि CID की जांच अब हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग में होगी. यानी आधिकारिक रूप से हाईकोर्ट स्वयं इस मामले की निगरानी करेगा. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को मगध डिवीजन की इन्क्वारी रिपोर्ट और केस डायरी बंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया है.

गोलीकांड में नहीं थी अनुराग की संलिप्तता
वकील के मुताबिक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि गोलीकांड में अनुराग की कोई संलिप्तता नहीं थी. इस कारण इसके पिता को 10 लाख का मुआवजा तत्काल दिया जाए. हालांकि मृतक के पिता की तरफ से 5 करोड़ का मुआवजा देने और पूरे मामले की जांच CBI से कराने की मांग की गई थी.

क्रिमिनल रिट याचिका दायर
बता दें कि पुलिस फायरिंग में मारे गए अनुराग पोद्दार के पिता अमरनाथ पोद्दार की ओर से क्रिमिनल रिट याचिका दायर की गयी थी. कोर्ट ने सीआईडी को चार सप्ताह में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इस मामले की फाइल को किसी अन्य अधिकारी के पास नहीं भेजा जा सकता है. इस मामले की अगली सुनवाई मई के पहले सप्ताह में होगी. सुनवाई में कोर्ट ने इस बात को माना की

जानें क्या है पूरा मामला
बता दें कि मुंगेर में बीते साल 26 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान लाठीचार्ज और गोलीबारी में कोतवाली थाना क्षेत्र के लोहा पट्टी निवासी 22 वर्षीय अनुराग पोद्दार की मौत हो गई थी. जिसके विरोध में स्थानीय लोगों से लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियों ने हंगामा किया था. साथ ही अनुराग की मौत के मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी.

ये भी पढ़ें- मुंगेर गोलीकांड में पूर्व एसपी लिपि सिंह और दारोगा रंजीत मंडल के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में PIL

घटना के बाद चुनाव आयोग ने तत्कालीन डीएम और एसपी को हटाया था
26 अक्टूबर को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज एवं गोलीबार की घटना के बाद चुनाव आयोग ने मुंगेर के तत्कालीन डीएम राजेश मीणा एवं एसपी लिपि सिंह को हटाने दिया था. मुंगेर में प्रतिमा विसर्जन के दौरान लाठीचार्ज और गोलीबारी की घटना के 2 दिन बीतने पर पुनः हिंसा हुई थी.

जिसमें शहर के पांच थानाें में आक्रोशित भीड़ द्वारा आगजनी की गयी थी. इसके बाद मुंगेर के डीएम और एसपी हटाए गए थे. रचना पाटिल को डीएम और मानवजीत सिंह ढिल्लों को एसपी के रूप में नियुक्त किया गया था. दोनों अधिकारी गुरुवार को हेलीकॉप्टर से मुंगेर पहुंचे और शाम में ही पदभार संभाल लिया. इसके बाद से लगातार मामले की जांच की जा रही थी.

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हाईकोर्ट ने सरकार के रवैये और पुलिस जांच को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने मुंगेर मूर्ति विसर्जन गोलीकांड से जुड़े तमाम अफसरों के साथ वर्तमान SP को भी बदलने का आदेश दिया है. इतना ही नहीं साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि CID की जांच अब हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग में होगी. यानी आधिकारिक रूप से हाईकोर्ट स्वयं इस मामले की निगरानी करेगा. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को मगध डिवीजन की इन्क्वारी रिपोर्ट और केस डायरी बंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया है.

गोलीकांड में नहीं थी अनुराग की संलिप्तता
वकील के मुताबिक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना कि गोलीकांड में अनुराग की कोई संलिप्तता नहीं थी. इस कारण इसके पिता को 10 लाख का मुआवजा तत्काल दिया जाए. हालांकि मृतक के पिता की तरफ से 5 करोड़ का मुआवजा देने और पूरे मामले की जांच CBI से कराने की मांग की गई थी.

क्रिमिनल रिट याचिका दायर
बता दें कि पुलिस फायरिंग में मारे गए अनुराग पोद्दार के पिता अमरनाथ पोद्दार की ओर से क्रिमिनल रिट याचिका दायर की गयी थी. कोर्ट ने सीआईडी को चार सप्ताह में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. इस मामले की फाइल को किसी अन्य अधिकारी के पास नहीं भेजा जा सकता है. इस मामले की अगली सुनवाई मई के पहले सप्ताह में होगी. सुनवाई में कोर्ट ने इस बात को माना की

जानें क्या है पूरा मामला
बता दें कि मुंगेर में बीते साल 26 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान लाठीचार्ज और गोलीबारी में कोतवाली थाना क्षेत्र के लोहा पट्टी निवासी 22 वर्षीय अनुराग पोद्दार की मौत हो गई थी. जिसके विरोध में स्थानीय लोगों से लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियों ने हंगामा किया था. साथ ही अनुराग की मौत के मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी.

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26 अक्टूबर को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज एवं गोलीबार की घटना के बाद चुनाव आयोग ने मुंगेर के तत्कालीन डीएम राजेश मीणा एवं एसपी लिपि सिंह को हटाने दिया था. मुंगेर में प्रतिमा विसर्जन के दौरान लाठीचार्ज और गोलीबारी की घटना के 2 दिन बीतने पर पुनः हिंसा हुई थी.

जिसमें शहर के पांच थानाें में आक्रोशित भीड़ द्वारा आगजनी की गयी थी. इसके बाद मुंगेर के डीएम और एसपी हटाए गए थे. रचना पाटिल को डीएम और मानवजीत सिंह ढिल्लों को एसपी के रूप में नियुक्त किया गया था. दोनों अधिकारी गुरुवार को हेलीकॉप्टर से मुंगेर पहुंचे और शाम में ही पदभार संभाल लिया. इसके बाद से लगातार मामले की जांच की जा रही थी.

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Last Updated : Apr 7, 2021, 10:33 PM IST
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