पटना : बिहार की राजधानी पटना में रावण दहन का कार्यक्रम संपन्न हो गया. राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर, सीएम नीतीश कुमार और लालू यादव की मौजूदगी में रावण दहन कार्यक्रम पूरा हुआ. गांधी मैदान में आतिशबाजी का नजारा आसमान में देखने को मिला. राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर और सीएम नीतीश कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित करके रावण दहन कार्यक्रम की शुरुआत की.
ये भी पढ़ें- Dussehra 2023 : लंकेश हसेंगे.. बोलेंगे, फिर रिमोट से किया जाएगा वध.. रोहतास में इस बार होगा डिजीटल रावण दहन
राज्यपाल और सीएम ने की कार्यक्रम की शुरुआत : कार्यक्रम की शुरूआत होते ही गांधी मैदान में कुछ देर के लिए रामलीला का आयोजन किया गया. पहले लंका दहन किया गया फिर मेघनाथ वध के प्रतीक के तौर पर उसके पुतले को जलाया गया. मेघनाथ दहन के बाद कुंभकर्ण दहन हुआ फिर रावण दहन करते ही जय श्री राम के नारे से पूरा गांधी मैदान गूंज उठा. दशहरा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
मंच पर मौजूद रहे लालू यादव : राज्यपाल राजेंन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों को संदेश दिया. साथ ही दशहरे की शुभकामनाएं भी मंच से प्रेषित की. मंच पर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव भी मौजूद थे. कार्यक्रम के दौरान गांधी मैदान लोगों की मौजूदगी से खचाखच भरा हुआ था.
सोने की लंका का भी हुआ दहन : बता दें कि परंपरा के मुताबिक गांधी मैदान में रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले के ठीक बगल में एक सोने की लंका भी बनाई गई थी. जिसके अंदर अशोक वाटिका तैयार किया गया. 4:00 बजे भगवान श्री राम की वानर सेना ठाकुरबाड़ी से होते हुए गांधी मैदान पहुंची थी. गांधी मैदान में पहुंचने के बाद हनुमान सोने की लंका में प्रवेश किया और अशोक वाटिका में विध्वंस करने के बाद सोने की लंका में आग लगाई. इसके बाद शाम 5:00 बजे भगवान राम ने रावण की नाभी में तीर मारते हुए रावण का अंत कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया.
पुख्ता रखी गई थी तैयारी : रावण दहन के समय किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो और भगदड़ की स्थिति ना हो इसको लेकर जिला प्रशासन ने इस बार काफी पुख्ता तैयारी की थी. पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल लगाए गए थे. 49 स्थान पर 88 मजिस्ट्रेट प्रतिनियुक्त किए गए. इसके साथ ही अस्थाई मेडिकल कैंप के साथ-साथ अग्निशमन की कई गाड़ियां भी गांधी मैदान में मौजूद रही.
खास था इस बार का रावण वाला पुतला : इस बार रावण की पुतली की ऊंचाई पिछली बार की तुलना में 10 फीट अधिक है और 70 फीट का इस बार रावण है, जबकि मेघनाथ 65 फीट का और कुंभकरण 60 फीट का है. पिछली बार की तरह रावण का पुतला टूटकर गिरे नहीं इसके लिए सीमेंटेड बेस तैयार किया गया है और मजबूत रस्सी से उसे सहारा दिया गया था.