पटना: बिहार की राजधानी पटना के बेली रोड के किनारे बने धोबी घाट को तोड़ने की प्रक्रिया शूरू (Bailey Road Dhobi Ghat) हो गई है. इसको लेकर धोबियों का गुस्सा भड़क उठा और वो सभी पटना की सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने लगे. साथ ही नाराज धोबियों ने यह ऐलान कर दिया है कि अब से वो किसी भी नेता के कपड़े नहीं धोएंगे. पटना जिला धोबी घाट बचाओ संघर्ष समिति के लोगों का कहना है कि पटना का यह धोबी घाट सबसे पुराना और बड़ा है. इसका निर्माण 1914 में हुआ था. इसकी बिगड़ती और जर्जर स्थिति को सुधारने का वादा बिहार सरकार ने किया था. लेकिन, इसको ठीक कराने के बजाए, घाट को ही तोड़ना शुरू कर दिया है.
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बता दें कि पटना के हड़ताली मोड़ के पास बने धोबी घाट को पुल निर्माण निगम की तरह से मंगलवार से तोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है. इसको लेकर पटना जिला धोबी घाट बचाओ संघर्ष समिति ने बेली रोड के किनारे ही धरना का आयोजन (Dharana in Patna to save Bailey Road Dhobi Ghat) किया है. घाट तोड़ने से नाराज धोबियों ने साफ-साफ यह एलान कर दिया है कि बुधवार (2 मार्च) से किसी भी नेता के कपड़े नहीं धोएंगे. आंदोलनकारियों के समर्थन में यहां राजद नेता श्याम रजक (RJD leader Shyam Rajak) भी पहुंचे.
धोबी घाट संघर्ष समिति के संयोजक रामविलास प्रसाद का कहना है कि सरकार का यह निर्णय गलत है. हम लोग धोबी घाट को बचाने की मांग को लेकर यहां धरने पर बैठे हैं. हम सरकार से मांग करते हैं कि 100 साल पुराने धोबी घाट को नहीं तोड़ा जाए. उन्होंने कहा कि इस धोबीघाट के टूटने से हजारों धोबी दाने-दाने के मोहताज हो जाएंगे. उनका रोजगार छिन जाएगा. मुख्यमंत्री का आज जन्मदिन है. अपने जन्मदिन के अवसर पर मुख्यमंत्री कम से कम बिहार के सबसे पुराने धोबी घाट को टूटने से बचा लें.
धरनास्थल पर पहुंचे राजद नेता श्याम रजक ने कहा कि कुछ साल पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महामहिम राज्यपाल भी यहां आये थे. उन्होंने वादा किया था कि धोबी घाट का जीर्णोद्धार किया जाएगा लेकिन अचानक आज इसे तोड़ा जा रहा है. यह गलत है और संघर्ष समिति के सदस्य धरने पर बैठे हैं. हम इन लोगों के साथ हैं. आज मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि इस 100 साल पुराने धोबी घाट को तोड़ने से बचाया जाये.
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