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Pegasus Phone Tapping Case: राजभवन मार्च में बोली कांग्रेस- 'विपक्षी नेताओं की जासूसी करा रही सरकार' - फोन टैपिंग मामले को लेकर हंगामा

फोन टैपिंग मामले (Pegasus Phone Tapping Case) को लेकर सैंकड़ों कांग्रेस नेताओं ने राजभवन मार्च (Rajbhawan March) निकाला है. इसके साथ ही 6 नेताओं ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा है.

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Published : Jul 22, 2021, 3:06 PM IST

पटना: देशभर में फोन टैपिंग कांड मामले को लेकर इस वक्त जबरदस्त राजनीतिक सियासत पारा चढ़ गया है. संसद में लगातार इस मामले पर हंगामा हो रहा है. अब तो विपक्ष नेता सड़क पर भी इस मुद्दे को लेकर उतर गए हैं. इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता सड़क पर प्रदर्शन कर रही है. वहीं बिहार की राजधानी पटना में भी बिहार कांग्रेस पार्टी के विधायक ने राजभवन मार्च निकाला. इस बीच कांग्रेस नेता और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई.

इसे भी पढ़ें: पेगासस विवाद पर बोले मदन मोहन झा- 'सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में हो जासूसी मामले की जांच'

फोन टैपिंग मामले (Pegasus Phone Tapping Case) को लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा के नेतृत्व में सैकड़ों कांग्रेसी नेताओं ने राजभवन मार्च निकाला है. मार्च के दौरान कांग्रेसी नेताओं और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई. इस दौरान कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफा की मांग भी की. कांग्रेस पार्टी के 6 नेता राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा.

ये भी पढ़ें: पेगासस रिपोर्ट पर नीतीश- ये सब गंदी बात है, किसी को डिस्टर्ब करना अच्छी बात नहीं

'किसी भी व्यक्ति का फोन टैपिंग कराना और उसकी जासूसी करना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.आज सरकार विपक्षी नेता और पत्रकारों का जासूसी करवा रही है. आने वाले दिनों में आम लोगों का भी जासूसी करवाया जाएगा, जो भविष्य के लिए ठीक संदेश नहीं है. इस ज्ञापन के माध्यम से हम राष्ट्रपति को सूचित करना चाहते हैं कि इस मामले में वह सीधा हस्तक्षेप करें.' -मदन मोहन झा, प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस

पेगासस स्पाईवेयर पीड़ितों के फोन को कैसे संक्रमित करता है, इसे समझना कठिन नहीं है. सबसे पहले हैक में एक तैयार किया गया एसएमएस या आईमैसेज शामिल होता है, जो एक वेबसाइट का लिंक देता है. इस लिंक पर क्लिक करते ही ये सॉफ्टवेयर डिवाइस पर नियंत्रण कर लेता है. ये सॉफ्टवेयर या तो रूटिंग (एंड्रायड उपकरण पर) या जेलब्रेकिंग (एपल आईओएस उपकरण पर) के माध्यम से मोबाइल उपकरण के ऑपरेटिंग सिस्टम पर पूरी तरह कब्जा हासिल कर लेता है.

रूटिंग और जेलब्रेकिंग दोनों ही एंड्रायड या आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम में एम्बेडेड सुरक्षा नियंत्रण को हटा देते हैं और इस तरह एक अनजान हमलावर का फोन पर पूरी तरह नियंत्रण हो जाता है. पेगासस पर ज्यादातर मीडिया रिपोर्ट एपल उपकरणों पर नियंत्रण हासिल करने से संबंधित हैं. स्पाईवेयर एंड्रायड उपकरण को भी संक्रमित करता है, लेकिन यह उतना प्रभावी नहीं है. लेकिन क्या एपल उपकरण अधिक सुरक्षित नहीं हैं ? एपल उपकरणों को आमतौर पर उनके एंड्रायड समकक्षों की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कोई भी उपकरण 100 प्रतिशत सुरक्षित नहीं होता है.

एपल अपने ऑपरेटिंग सिस्टम के कोड के साथ ही ऐप स्टोर के माध्यम से डाउनलोड किए जाने वाले ऐप पर भारी नियंत्रण रखता है. अपडेट पर भी एपल का पूरी तरह नियंत्रण रहता है. दूसरी ओर एंड्रायड उपकरण ओपन-सोर्स अवधारणाओं पर आधारित होते हैं, इसलिए हार्डवेयर निर्माता अतिरिक्त सुविधाओं को जोड़ने या डिस्प्ले को अनुकूलित कर सकते हैं. कुल मिलाकर दोनों ही मंच हमले का शिकार हो सकते हैं, हालांकि इसके लिए अधिक समय, प्रयास और धन निवेश करने की जरूरत होगी.

पटना: देशभर में फोन टैपिंग कांड मामले को लेकर इस वक्त जबरदस्त राजनीतिक सियासत पारा चढ़ गया है. संसद में लगातार इस मामले पर हंगामा हो रहा है. अब तो विपक्ष नेता सड़क पर भी इस मुद्दे को लेकर उतर गए हैं. इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता सड़क पर प्रदर्शन कर रही है. वहीं बिहार की राजधानी पटना में भी बिहार कांग्रेस पार्टी के विधायक ने राजभवन मार्च निकाला. इस बीच कांग्रेस नेता और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई.

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फोन टैपिंग मामले (Pegasus Phone Tapping Case) को लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा के नेतृत्व में सैकड़ों कांग्रेसी नेताओं ने राजभवन मार्च निकाला है. मार्च के दौरान कांग्रेसी नेताओं और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई. इस दौरान कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफा की मांग भी की. कांग्रेस पार्टी के 6 नेता राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा.

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'किसी भी व्यक्ति का फोन टैपिंग कराना और उसकी जासूसी करना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.आज सरकार विपक्षी नेता और पत्रकारों का जासूसी करवा रही है. आने वाले दिनों में आम लोगों का भी जासूसी करवाया जाएगा, जो भविष्य के लिए ठीक संदेश नहीं है. इस ज्ञापन के माध्यम से हम राष्ट्रपति को सूचित करना चाहते हैं कि इस मामले में वह सीधा हस्तक्षेप करें.' -मदन मोहन झा, प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस

पेगासस स्पाईवेयर पीड़ितों के फोन को कैसे संक्रमित करता है, इसे समझना कठिन नहीं है. सबसे पहले हैक में एक तैयार किया गया एसएमएस या आईमैसेज शामिल होता है, जो एक वेबसाइट का लिंक देता है. इस लिंक पर क्लिक करते ही ये सॉफ्टवेयर डिवाइस पर नियंत्रण कर लेता है. ये सॉफ्टवेयर या तो रूटिंग (एंड्रायड उपकरण पर) या जेलब्रेकिंग (एपल आईओएस उपकरण पर) के माध्यम से मोबाइल उपकरण के ऑपरेटिंग सिस्टम पर पूरी तरह कब्जा हासिल कर लेता है.

रूटिंग और जेलब्रेकिंग दोनों ही एंड्रायड या आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम में एम्बेडेड सुरक्षा नियंत्रण को हटा देते हैं और इस तरह एक अनजान हमलावर का फोन पर पूरी तरह नियंत्रण हो जाता है. पेगासस पर ज्यादातर मीडिया रिपोर्ट एपल उपकरणों पर नियंत्रण हासिल करने से संबंधित हैं. स्पाईवेयर एंड्रायड उपकरण को भी संक्रमित करता है, लेकिन यह उतना प्रभावी नहीं है. लेकिन क्या एपल उपकरण अधिक सुरक्षित नहीं हैं ? एपल उपकरणों को आमतौर पर उनके एंड्रायड समकक्षों की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कोई भी उपकरण 100 प्रतिशत सुरक्षित नहीं होता है.

एपल अपने ऑपरेटिंग सिस्टम के कोड के साथ ही ऐप स्टोर के माध्यम से डाउनलोड किए जाने वाले ऐप पर भारी नियंत्रण रखता है. अपडेट पर भी एपल का पूरी तरह नियंत्रण रहता है. दूसरी ओर एंड्रायड उपकरण ओपन-सोर्स अवधारणाओं पर आधारित होते हैं, इसलिए हार्डवेयर निर्माता अतिरिक्त सुविधाओं को जोड़ने या डिस्प्ले को अनुकूलित कर सकते हैं. कुल मिलाकर दोनों ही मंच हमले का शिकार हो सकते हैं, हालांकि इसके लिए अधिक समय, प्रयास और धन निवेश करने की जरूरत होगी.

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