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बिहार में नहीं हैं डेल्टा वैरिएंट के लक्षण वाले मरीज, सतर्कता से दूर रहेगी थर्ड वेब - बिहार डेल्टा वैरिएंट

बिहार में अभी तक डेल्टा वैरिएंट के लक्षण वाले मरीज नहीं मिले हैं. लेकिन डॉ. मनीष मंडल का कहना है कि लोगों को अभी भी सावधान रहने की जरूरत है.

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Published : Jun 28, 2021, 7:39 PM IST

पटना: कोरोना संक्रमण की तीसरे लहर (Third Wave of Corona Pandemic) की चर्चा जोरों पर है. फिलहाल कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से लोगों में कई तरह की भ्रांतियां हैं. आइजीआइएमएस के अधीक्षक (Superintendent of IGIMS) डॉ. मनीष मंडल ने कहा है कि अभी तक हम लोगों के यहां डेल्टा वैरिएंट वाले कोई मरीज नहीं आये हैं. कोरोना के मरीज हमारे यहां अभी भी आ रहे हैं. लेकिन जिनके लक्षण कुछ अलग होते हैं, उनकी भी बारीकी से हमारे डॉक्टरों की टीम जांच करती है.

ये भी पढ़ें: Third Wave of Corona: देश में तीसरी लहर की प्रबल संभावना, जानिए महामारी से कैसे बचें

"अभी तक डेल्टा वैरिएंट के लक्षण नहीं दिखे हैं. मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में ऐसे मामले सामने आए हैं. इसके भी बचाव की वही गाइड लाइन है. लोग मास्क पहनें, सैनिटाइजर का उपयोग करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. तब जाकर इससे बचा जा सकता है. यह डेल्टा वैरिएंट खतरनाक है और इसका असर मरीज पर 24 घण्टे में ही दिखने लगता है. जबकि जांच की प्रक्रिया भी 24 घण्टे में पूरी नहीं होती है. इसको लेकर सावधान रहना जरूरी है"- डॉ. मनीष मंडल, अधीक्षक, आइजीआइएमएस

देखें रिपोर्ट

कोरोना गाइड लाइन का करें पालन
डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट से बचने के लिए लोग कोरोना गाइड लाइन का पालन करें. अब कोरोना वैक्सीन भी 18 से ज्यादा वर्ष के लोगों को लग रही है. वैक्सीनेशन ही इसका बचाव है. उन्होंने कहा कि जल्द ही अब हमारे देश में बच्चों के लिये भी वैक्सीन आने वाली है. वैक्सीनेसन सबसे बड़ा बचाव का तरीका है.

ये भी पढ़ें: Third Wave of Corona: बच्चों को संक्रमण से बचाने को लेकर UNICEF की तैयारी, अभिभावकों की भूमिका अहम

आपको बता दें कि कौन सा वैरिएंट कहां मिला था.

  1. अल्फा वैरिएंट - B.1.1.7- ब्रिटेन
  2. बीटा वैरिएंट - B.1.351- द. अफ्रीका
  3. गामा वैरिएंट - B.1.1.281- ब्राजील/जापान
  4. डेल्टा - B.1.617- भारत

सबसे पहले ब्रिटेन में हुई थी पहचान
आईएनएसएसीओजी के अनुसार कोविड-19 वायरस के B.1.1.7 वेरिएंट की पहचान सबसे पहले ब्रिटेन में हुई थी. पिछले डेढ़ महीने में भारत में इसका अनुपात घट रहा है. कोरोना वायरस के वेरिएंट B.1.1.7 को 'अल्फा' नाम दिया गया है.

ये भी पढ़ें: 'सरकार गिराने वाले' तेजस्वी के विधायक JDU के संपर्क में? उपेंद्र कुशवाहा के दावे का मतलब समझिए

सार्स-सीओवी 2 का B.1.617 वेरिएंट पहले महाराष्ट्र में दर्ज किया गया था, लेकिन अब यह पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, तेलंगाना जैसे अन्य राज्यों में देखा गया है. B.1.617 तीन अन्य उप वेरिएंट- B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3 में बदला. प्रारंभिक आंकड़े के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा डेल्टा कहे गए B.1.617.2 को अन्य दो वेरिएंट से अधिक संक्रामक बताया गया है.

पटना: कोरोना संक्रमण की तीसरे लहर (Third Wave of Corona Pandemic) की चर्चा जोरों पर है. फिलहाल कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से लोगों में कई तरह की भ्रांतियां हैं. आइजीआइएमएस के अधीक्षक (Superintendent of IGIMS) डॉ. मनीष मंडल ने कहा है कि अभी तक हम लोगों के यहां डेल्टा वैरिएंट वाले कोई मरीज नहीं आये हैं. कोरोना के मरीज हमारे यहां अभी भी आ रहे हैं. लेकिन जिनके लक्षण कुछ अलग होते हैं, उनकी भी बारीकी से हमारे डॉक्टरों की टीम जांच करती है.

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"अभी तक डेल्टा वैरिएंट के लक्षण नहीं दिखे हैं. मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में ऐसे मामले सामने आए हैं. इसके भी बचाव की वही गाइड लाइन है. लोग मास्क पहनें, सैनिटाइजर का उपयोग करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. तब जाकर इससे बचा जा सकता है. यह डेल्टा वैरिएंट खतरनाक है और इसका असर मरीज पर 24 घण्टे में ही दिखने लगता है. जबकि जांच की प्रक्रिया भी 24 घण्टे में पूरी नहीं होती है. इसको लेकर सावधान रहना जरूरी है"- डॉ. मनीष मंडल, अधीक्षक, आइजीआइएमएस

देखें रिपोर्ट

कोरोना गाइड लाइन का करें पालन
डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट से बचने के लिए लोग कोरोना गाइड लाइन का पालन करें. अब कोरोना वैक्सीन भी 18 से ज्यादा वर्ष के लोगों को लग रही है. वैक्सीनेशन ही इसका बचाव है. उन्होंने कहा कि जल्द ही अब हमारे देश में बच्चों के लिये भी वैक्सीन आने वाली है. वैक्सीनेसन सबसे बड़ा बचाव का तरीका है.

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आपको बता दें कि कौन सा वैरिएंट कहां मिला था.

  1. अल्फा वैरिएंट - B.1.1.7- ब्रिटेन
  2. बीटा वैरिएंट - B.1.351- द. अफ्रीका
  3. गामा वैरिएंट - B.1.1.281- ब्राजील/जापान
  4. डेल्टा - B.1.617- भारत

सबसे पहले ब्रिटेन में हुई थी पहचान
आईएनएसएसीओजी के अनुसार कोविड-19 वायरस के B.1.1.7 वेरिएंट की पहचान सबसे पहले ब्रिटेन में हुई थी. पिछले डेढ़ महीने में भारत में इसका अनुपात घट रहा है. कोरोना वायरस के वेरिएंट B.1.1.7 को 'अल्फा' नाम दिया गया है.

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सार्स-सीओवी 2 का B.1.617 वेरिएंट पहले महाराष्ट्र में दर्ज किया गया था, लेकिन अब यह पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, तेलंगाना जैसे अन्य राज्यों में देखा गया है. B.1.617 तीन अन्य उप वेरिएंट- B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3 में बदला. प्रारंभिक आंकड़े के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा डेल्टा कहे गए B.1.617.2 को अन्य दो वेरिएंट से अधिक संक्रामक बताया गया है.

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