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जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल ने ली मरीज की जान, इलाज के अभाव में महिला ने PMCH में तोड़ा दम

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Published : Dec 24, 2020, 1:19 PM IST

हड़ताल पर गए डॉक्टरों की मांग है कि इसे बढ़ाकर 80 ,85 और 90 हजार रुपये कर दिया जाए. हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशानी ओपीडी में आने वाले मरीजों को हो रही है.

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पटनाः राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टर बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड में वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. कोरोना वार्ड जूनियर डॉक्टरों को छोड़कर सभी विभागों के जूनियर डॉक्टरों ने अस्पतालों में कामकाज पूरी तरह से ठप कर दिया है. इससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस दौरान पीएमसीएच मैं अपना इलाज करवाने पहुंची पटना सिटी की मरीज मीना देवी की मौत हो गई.

3 साल पर इंक्रीमेंट के दिए थे आदेश
पीएमसीएच सहित राज्यभर के जूनियर डॉक्टर और इन्टर्न दूसरे दिन भी हड़ताल पर डटे हुए हैं. गुरुवार को पीएमसीएच के प्राचार्य और अधीक्षक के साथ हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की दूसरी वार्ता होगी. जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि जब तक उनकी स्टाइपेंड में वृद्धि नहीं होगी तब तक वे हड़ताल पर डटे रहेंगे. बता दें कि 2017 में सरकार ने हर 3 साल पर जूनियर डॉक्टर और इन्टर्न के स्टाइपेंड में इंक्रीमेंट देने के आदेश दिए थे, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया.

जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल

स्थगित करना पड़ा 20 ऑपरेशन
जूनियर डॉक्टर जेडीए के बैनर के तले हड़ताल कर रहे हैं. गौरतलब है कि अभी जूनियर डॉक्टर को प्रथम वर्ष में 50 हजार रुपये स्टाइपेंड मिलता है. द्वितीय वर्ष में उन्हें 55 हजार और तृतीय वर्ष में 60 हजार रुपये बतौर स्टाइपेंड मिलता है. हड़ताल पर गए डॉक्टरों की मांग है कि इसे बढ़ाकर 80 ,85 और 90 हजार रुपये कर दिया जाए. हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशानी ओपीडी में आने वाले मरीजों को हो रही है. इसकी वजह से पटना के पीएमसीएच में अभी तक कुल 20 ऑपरेशन को स्थगित करना पड़ा है.

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वार्ड में भर्ती मरीज

मरीजों की लंबी कतार
वहीं अस्पताल प्रशासन का दावा है कि पहले से प्रस्तावित सभी 10 ऑपरेशन को सीनियर डॉक्टर की देखरेख में करवाया गया है. हालांकि हड़ताल की वजह से पटना के पीएमसीएच में आने वाले मरीजों और उनके परिजनों की लंबी कतार देखने को मिल रही है. अब देखना होगा कि कब तक जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल खत्म होता है.

पटनाः राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टर बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड में वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. कोरोना वार्ड जूनियर डॉक्टरों को छोड़कर सभी विभागों के जूनियर डॉक्टरों ने अस्पतालों में कामकाज पूरी तरह से ठप कर दिया है. इससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस दौरान पीएमसीएच मैं अपना इलाज करवाने पहुंची पटना सिटी की मरीज मीना देवी की मौत हो गई.

3 साल पर इंक्रीमेंट के दिए थे आदेश
पीएमसीएच सहित राज्यभर के जूनियर डॉक्टर और इन्टर्न दूसरे दिन भी हड़ताल पर डटे हुए हैं. गुरुवार को पीएमसीएच के प्राचार्य और अधीक्षक के साथ हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की दूसरी वार्ता होगी. जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि जब तक उनकी स्टाइपेंड में वृद्धि नहीं होगी तब तक वे हड़ताल पर डटे रहेंगे. बता दें कि 2017 में सरकार ने हर 3 साल पर जूनियर डॉक्टर और इन्टर्न के स्टाइपेंड में इंक्रीमेंट देने के आदेश दिए थे, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया.

जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल

स्थगित करना पड़ा 20 ऑपरेशन
जूनियर डॉक्टर जेडीए के बैनर के तले हड़ताल कर रहे हैं. गौरतलब है कि अभी जूनियर डॉक्टर को प्रथम वर्ष में 50 हजार रुपये स्टाइपेंड मिलता है. द्वितीय वर्ष में उन्हें 55 हजार और तृतीय वर्ष में 60 हजार रुपये बतौर स्टाइपेंड मिलता है. हड़ताल पर गए डॉक्टरों की मांग है कि इसे बढ़ाकर 80 ,85 और 90 हजार रुपये कर दिया जाए. हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशानी ओपीडी में आने वाले मरीजों को हो रही है. इसकी वजह से पटना के पीएमसीएच में अभी तक कुल 20 ऑपरेशन को स्थगित करना पड़ा है.

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वार्ड में भर्ती मरीज

मरीजों की लंबी कतार
वहीं अस्पताल प्रशासन का दावा है कि पहले से प्रस्तावित सभी 10 ऑपरेशन को सीनियर डॉक्टर की देखरेख में करवाया गया है. हालांकि हड़ताल की वजह से पटना के पीएमसीएच में आने वाले मरीजों और उनके परिजनों की लंबी कतार देखने को मिल रही है. अब देखना होगा कि कब तक जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल खत्म होता है.

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