पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. शनिवार को जिले में अबतक का रिकॉर्ड तोड़ मामले मिले. 24 घंटे में सूबे से 2 हजार 803 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पुष्टि की गई है. ऐसे में एक दम से मामलों का बढ़ना कई सवालिया निशान खड़े करता है. ऐसा ही सवालों से जुड़ा एक मामला सामने आया है. जो पत्रकार से जुड़ा है.
वैसे सरकार कोरोना टेस्टिंग को लेकर लाख दावे कर रही है. लेकिन बिहार में कोरोना संक्रमण से निपटने में नाकामी साफ नजर आ रही है. चाहे बात डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल में इलाज की हो या सही तरीके से संक्रमित लोगों की जांच हो या फिर जांच रिपोर्ट की. हर जगह शिकायतों का अंबार लगा है. अगर जांच रिपोर्ट पर गौर करें , तो अब ऐसा लगने लगा है कि बिहार में बढ़ते संक्रमण का मुख्य कारण यही है.
समय पर नहीं मिली रिपोर्ट
मामला पटना के क्राइम रिपोर्टर अमित जायसवाल से जुड़ा है. अमित पटना मीडिया में एक जाना माना नाम हैं. काम के दौरान जब अमित को 27 जून को सर्दी खांसी और बुखार की शिकायत हुई, तो पहले तो उन्होंने अपना इलाज करवाया और इसी बीच 1 जुलाई को कोरोना टेस्ट भी करवा लिया. सरकारी अस्पताल में जांच के बाद उन्हें उम्मीद थी कि 2 से 3 दिन में उनकी रिपोर्ट मिल जाएगी. लेकिन वह इंतजार ही करते रह गए. लगातार संपर्क में रहने के बावजूद उन्हें 9 जुलाई तक रिपोर्ट नहीं मिली. इस दौरान वो होम क्वारंटाइन कर लिया. 12 दिन बाद, जब अमित स्वस्थ महसूस करने लगे. तब उनके पास जिला प्रशासन से फोन आया.
चौंक गए अमित
अमित ने ईटीवी भारत से आपबीती बताते हुए कहा, '10 जुलाई को उनके पास जिला प्रशासन से फोन आया. इसमें बताया गया उन्होंने 1 जुलाई को जो टेस्ट कराया था. उसमें वो कोरोना संक्रमित हैं. तो वे फिर होम आइसोलेशन में चले गए.'
- अमित के मुताबिक उन्होंने बाद में इस कोरोना की जांच करायी, जिसमें उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई.
- अमित ने जांच रिपोर्ट आने तक खुद को क्वारंटाइन कर लिया. मतलब, उन्होंने पूरी जागरूकता दिखाई.
- शायद यही वजह है कि उनसे किसी को संक्रमण नहीं हुआ. लेकिन...
सिर्फ अमित ही नहीं लिस्ट में शामिल कई लोग
ऐसा सिर्फ अमित जायसवाल के साथ ही नहीं हुआ है. अमित जायसवाल के शब्दों में उनके संपर्क में कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने उन्हें फोन करके बताया कि एक हफ्ते बाद भी उनकी जांच रिपोर्ट नहीं मिली. यह सिलसिला अब भी जारी है. हालांकि, सरकार की ओर से हर बार यह दावा किया जाता है कि रिपोर्ट समय पर मिल रही है. सरकार ने अब रैपिड टेस्टिंग की भी व्यवस्था की है. इस टेस्टिंग की जांच रिपोर्ट को लेकर संदेह बरकरार है.
लेकिन असल परेशानी कोरोना संक्रमण की जांच रिपोर्ट को लेकर है. विपक्ष की तरफ से भी लगातार ये आरोप लगाए जाते रहे हैं कि जब मुख्यमंत्री और अन्य वीआईपी की जांच होती है तो उनकी रिपोर्ट समय पर मिल जाती है. ऐसे में आम लोगों को यह रिपोर्ट मिलने में 7 से 15 दिन का समय क्यों लग रहा है.
समय पर मिले रिपोर्ट, तब थमेगा कोरोना
जाहिर तौर पर यह स्थिति अत्यंत खतरनाक है क्योंकि एक कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति कई लोगों को संक्रमित कर सकता है. अगर उसे सही समय पर रिपोर्ट मिल जाए तो वह खुद को क्वारंटाइन न कर और इलाज के जरिए अन्य लोगों को संक्रमित होने से बचा सकता है. बहरहाल, शनिवार की आई रिपोर्ट से ऐसा लग रहा है कि सरकार ने रिपोर्ट को लेकर सख्त कदम उठाया है.