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PMCH के गुजरी वार्ड में कुत्तों का कब्जा, रातभर मरीजों पर कूदते हैं स्ट्रीट डॉग, बुनियादी सुविधाएं भी नदारद

पिछले दिनों ही बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने पीएसीएच का औचक निरीक्षण कर अस्पताल की स्थिति को बेहतर करने का निर्देश दिया था. इसके बावजूद स्थिति जस की तस है. यहां वार्डों में आवारा कुत्ते घूमते (Dogs roam in PMCH ward) हैं. अस्पताल में बदहाली का आलम बताती ये रिपोर्ट पढ़ें-

पीएमसीएच में घूमते कुत्ते
पीएमसीएच में घूमते कुत्ते
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Published : Sep 15, 2022, 7:26 AM IST

Updated : Sep 15, 2022, 11:39 AM IST

पटनाः प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच की हालत बद से बदतर (Bihar Worst Health System) होती जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने बीते दिनों पीएमसीएच का देर रात औचक निरीक्षण किया था जिसमें पीएमसीएच की व्यवस्था की कलई खुल गई थी. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है और व्यवस्था जस की तस बनी हुई है. अस्पताल में गंदगी के कारण मरीज और परिजन परेशान (Patient Upset Due To Bad Condition Of PMCH) हैं. रात होते ही वार्ड में कुत्तों का उत्पात शुरू हो जाता है. मरीजों को बुनियादी सुविधाएं भी अस्पताल में नहीं मिल पा रहीं हैं. आलम यह है कि मरीजों को वार्ड के अंदर सिरिंज और सलाइन वॉटर को छोड़कर कुछ भी नहीं मिल रहा. दवाइयां तो मरीजों के परिजन को बाहर से ही से खरीदनी पड़ती हैं.

ये भी पढ़ेंः लापरवाही! इलाज के अभाव में PMCH में मरीज की मौत, 3 महीने से था एडमिट

नहीं होती कई तरह की जरूरी जांचः पीएमसीएच में कई महीनों से खून के कई तरह के जांच बंद है. ऑपरेशन के पूर्व किसी भी मरीज का हेपिटाइटिस और एचआईवी जांच अनिवार्य है लेकिन यह जांच भी पीएमसीएच नहीं होता. ऑपरेशन के लिए जिन मरीजों को आना होता है, उन्हें बाहर से इस प्रकार की जांच को कराना पड़ता है. इसके अलावा कई अन्य प्रकार के रक्त जांच पीएमसीएच में नहीं होते. दलाल वार्ड के अंदर चक्कर लगाते हैं जो बताते हैं कि जो जांच पीएमसीएच में नहीं हो रहा वो उनके लैब से हो जाएगा. इतना ही नहीं यह दलाल ब्लड टेस्ट के लिए मरीजों का ब्लड भी कलेक्ट करते हैं, ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकारी अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ को छोड़कर दूसरा व्यक्ति मरीजों को सिरिंज कैसे लगा सकता है.

टॉयलेट में दरवाजे तक नहींः बात अगर साफ सफाई की व्यवस्था की करें तो पीएमसीएच की स्थिति नारकीय है. अधीक्षक कार्यालय के ठीक सटे हथवा वार्ड है जो 2 मंजिला है और 4 पार्ट में बंटा हुआ है. चारों पार्ट में 8-8 टॉयलेट हैं, लेकिन किसी भी टॉयलेट में गेट नहीं है. कुछ टॉयलेट में चौखट से अलग गेट रखे हुए हैं और जब मरीज टॉयलेट के अंदर जाते हैं तो गेट को उठा कर चौखट पर सटाते हैं, टॉयलेट काफी बदहाल हालत में है, दुर्गंध काफी रहती है और कई टॉयलेट के सीट तक खराब हो चुके हैं. लाचार मरीज किसी प्रकार इस टॉयलेट को यूज करते हैं. जिससे अन्य संक्रामित बीमारियों से संक्रमित होने का भी खतरा बना रहता है. परिजनों का कहना है कि वह बाहर 10 रुपये खर्च कर सार्वजनिक शौचालय को इस्तेमाल करते हैं. अंदर का शौचालय यूज करने लायक नहीं है.

रात में मरीजों पर कूद जाते हैं आवारा कुत्ते: अस्पताल में गंदगी और व्यवस्था रात के समय काफी नजर आती है. गुजरी वार्ड के अंदर रात के समय कुत्ते टहलते हैं और मरीज के पेशाब के थैले (यूरीन बैग), दवाइयों के पैकेट इत्यादि को डैमेज कर देते हैं. मरीज के परिजन जो बेड के नीचे पॉलिथीन बिछाकर सोए रहते हैं, तब उनके ऊपर स्ट्रीट डॉग कूद जाते हैं. जिससे मरीज और तीमारदार परेशान हो जाते हैं. लेकिन इनकी निगरानी करने वाला कोई गार्ड वहां नजर नहीं आता. कहने को तो अस्पताल में गार्ड है लेकिन मरीज के परिजन ही कुत्तों को भगाते हैं.

मरीज को नहीं मिलती ट्रॉलीः इन सबके अलावा अस्पताल की ओपीडी की बात करें तो अस्पताल के 29 विभागों में 19 विभाग की ओपीडी चलती है. रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास से पैथोलॉजिकल लैपटॉप अस्पताल परिसर में सड़क पर नाली का पानी कई दिनों से यूं ही बह रहा है और संक्रामक बीमारियों का निमंत्रण दे रहा है. लाचार मरीज को पैथोलॉजिकल जांच करानी होती है तो उसे ट्रॉली नहीं मिलती अस्पताल की स्किन ओपीडी में इलाज करवाने आए रंजीत कुमार ने बताया कि उन्हें 2 दवाइयां प्रिसक्राइब की गई है, जिनमें से अस्पताल में एक दवा ही उपलब्ध हुई है और एक दवा बाहर से खरीदने के लिए बोला गया है.

"यहां 4 दवाएं लिखी जाती हैं और उनमें से सिर्फ एक कैल्शियम की दवा पकड़ा दी जाती है और बाकी महंगी दवाइयां नहीं दी जाती हैं. बाहर से खरीदने को कहा जाता है. पीएमसीएच की शुरू से यही समस्या रही है कि कभी पूरी दवाई नहीं मिलती है और इस बार भी हमें सिर्फ कैल्शियम की गोली पकड़ाई जा हमने नहीं लिया, क्योंकि बाजार में अच्छी कैल्शियम के दवा मिल जाएगी. जो जरूरी दवाइयां है वह अस्पताल में मिले तो अच्छी बात रहेगी, हम लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी"- फहमीदा खानम, परिजन

"5 दिनों से अस्पताल में मां को लेकर हैं. अस्पताल में सिर्फ सलाइन वॉटर और सिरिंज उपलब्ध कराया जा रहा है. बाकी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ रही है. अब तक उन्होंने 8000 तक की दवाइयां खरीदी है. अस्पताल में गंदगी काफी है और शौचालय यूज करने के लायक नहीं है. मां को किसी प्रकार इस शौचालय में ले जाती हूं. लेकिन हम तो पैसे खर्च करके बाहर में सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं"- रोजी प्रवीण, परिजन

अधीक्षक ने मिलने से किया इंकारः वहीं, इस मामले पर ईटीवी भारत ने अस्पताल के अधीक्षक का पक्ष जानने का प्रयास किया तो अधीक्षक ने मीटिंग का हवाला देते हुए संवाददाता से मिलने से इनकार किया. फोन करने पर फोन भी रिसीव नहीं किया. तेजस्वी यादव ने जब से पीएमसीएच का विजिट किया है और अस्पताल में व्यवस्था की कलई खुली है, तब से अस्पताल के अधीक्षक मीडिया से दूरी बना रहे हैं.

ये भी पढेः पीएमसीएच के ऑर्थो इमरजेंसी में कई दिनों से भर्ती हैं मरीज, नहीं हो रही सर्जरी

पटनाः प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच की हालत बद से बदतर (Bihar Worst Health System) होती जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने बीते दिनों पीएमसीएच का देर रात औचक निरीक्षण किया था जिसमें पीएमसीएच की व्यवस्था की कलई खुल गई थी. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है और व्यवस्था जस की तस बनी हुई है. अस्पताल में गंदगी के कारण मरीज और परिजन परेशान (Patient Upset Due To Bad Condition Of PMCH) हैं. रात होते ही वार्ड में कुत्तों का उत्पात शुरू हो जाता है. मरीजों को बुनियादी सुविधाएं भी अस्पताल में नहीं मिल पा रहीं हैं. आलम यह है कि मरीजों को वार्ड के अंदर सिरिंज और सलाइन वॉटर को छोड़कर कुछ भी नहीं मिल रहा. दवाइयां तो मरीजों के परिजन को बाहर से ही से खरीदनी पड़ती हैं.

ये भी पढ़ेंः लापरवाही! इलाज के अभाव में PMCH में मरीज की मौत, 3 महीने से था एडमिट

नहीं होती कई तरह की जरूरी जांचः पीएमसीएच में कई महीनों से खून के कई तरह के जांच बंद है. ऑपरेशन के पूर्व किसी भी मरीज का हेपिटाइटिस और एचआईवी जांच अनिवार्य है लेकिन यह जांच भी पीएमसीएच नहीं होता. ऑपरेशन के लिए जिन मरीजों को आना होता है, उन्हें बाहर से इस प्रकार की जांच को कराना पड़ता है. इसके अलावा कई अन्य प्रकार के रक्त जांच पीएमसीएच में नहीं होते. दलाल वार्ड के अंदर चक्कर लगाते हैं जो बताते हैं कि जो जांच पीएमसीएच में नहीं हो रहा वो उनके लैब से हो जाएगा. इतना ही नहीं यह दलाल ब्लड टेस्ट के लिए मरीजों का ब्लड भी कलेक्ट करते हैं, ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकारी अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ को छोड़कर दूसरा व्यक्ति मरीजों को सिरिंज कैसे लगा सकता है.

टॉयलेट में दरवाजे तक नहींः बात अगर साफ सफाई की व्यवस्था की करें तो पीएमसीएच की स्थिति नारकीय है. अधीक्षक कार्यालय के ठीक सटे हथवा वार्ड है जो 2 मंजिला है और 4 पार्ट में बंटा हुआ है. चारों पार्ट में 8-8 टॉयलेट हैं, लेकिन किसी भी टॉयलेट में गेट नहीं है. कुछ टॉयलेट में चौखट से अलग गेट रखे हुए हैं और जब मरीज टॉयलेट के अंदर जाते हैं तो गेट को उठा कर चौखट पर सटाते हैं, टॉयलेट काफी बदहाल हालत में है, दुर्गंध काफी रहती है और कई टॉयलेट के सीट तक खराब हो चुके हैं. लाचार मरीज किसी प्रकार इस टॉयलेट को यूज करते हैं. जिससे अन्य संक्रामित बीमारियों से संक्रमित होने का भी खतरा बना रहता है. परिजनों का कहना है कि वह बाहर 10 रुपये खर्च कर सार्वजनिक शौचालय को इस्तेमाल करते हैं. अंदर का शौचालय यूज करने लायक नहीं है.

रात में मरीजों पर कूद जाते हैं आवारा कुत्ते: अस्पताल में गंदगी और व्यवस्था रात के समय काफी नजर आती है. गुजरी वार्ड के अंदर रात के समय कुत्ते टहलते हैं और मरीज के पेशाब के थैले (यूरीन बैग), दवाइयों के पैकेट इत्यादि को डैमेज कर देते हैं. मरीज के परिजन जो बेड के नीचे पॉलिथीन बिछाकर सोए रहते हैं, तब उनके ऊपर स्ट्रीट डॉग कूद जाते हैं. जिससे मरीज और तीमारदार परेशान हो जाते हैं. लेकिन इनकी निगरानी करने वाला कोई गार्ड वहां नजर नहीं आता. कहने को तो अस्पताल में गार्ड है लेकिन मरीज के परिजन ही कुत्तों को भगाते हैं.

मरीज को नहीं मिलती ट्रॉलीः इन सबके अलावा अस्पताल की ओपीडी की बात करें तो अस्पताल के 29 विभागों में 19 विभाग की ओपीडी चलती है. रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास से पैथोलॉजिकल लैपटॉप अस्पताल परिसर में सड़क पर नाली का पानी कई दिनों से यूं ही बह रहा है और संक्रामक बीमारियों का निमंत्रण दे रहा है. लाचार मरीज को पैथोलॉजिकल जांच करानी होती है तो उसे ट्रॉली नहीं मिलती अस्पताल की स्किन ओपीडी में इलाज करवाने आए रंजीत कुमार ने बताया कि उन्हें 2 दवाइयां प्रिसक्राइब की गई है, जिनमें से अस्पताल में एक दवा ही उपलब्ध हुई है और एक दवा बाहर से खरीदने के लिए बोला गया है.

"यहां 4 दवाएं लिखी जाती हैं और उनमें से सिर्फ एक कैल्शियम की दवा पकड़ा दी जाती है और बाकी महंगी दवाइयां नहीं दी जाती हैं. बाहर से खरीदने को कहा जाता है. पीएमसीएच की शुरू से यही समस्या रही है कि कभी पूरी दवाई नहीं मिलती है और इस बार भी हमें सिर्फ कैल्शियम की गोली पकड़ाई जा हमने नहीं लिया, क्योंकि बाजार में अच्छी कैल्शियम के दवा मिल जाएगी. जो जरूरी दवाइयां है वह अस्पताल में मिले तो अच्छी बात रहेगी, हम लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी"- फहमीदा खानम, परिजन

"5 दिनों से अस्पताल में मां को लेकर हैं. अस्पताल में सिर्फ सलाइन वॉटर और सिरिंज उपलब्ध कराया जा रहा है. बाकी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ रही है. अब तक उन्होंने 8000 तक की दवाइयां खरीदी है. अस्पताल में गंदगी काफी है और शौचालय यूज करने के लायक नहीं है. मां को किसी प्रकार इस शौचालय में ले जाती हूं. लेकिन हम तो पैसे खर्च करके बाहर में सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं"- रोजी प्रवीण, परिजन

अधीक्षक ने मिलने से किया इंकारः वहीं, इस मामले पर ईटीवी भारत ने अस्पताल के अधीक्षक का पक्ष जानने का प्रयास किया तो अधीक्षक ने मीटिंग का हवाला देते हुए संवाददाता से मिलने से इनकार किया. फोन करने पर फोन भी रिसीव नहीं किया. तेजस्वी यादव ने जब से पीएमसीएच का विजिट किया है और अस्पताल में व्यवस्था की कलई खुली है, तब से अस्पताल के अधीक्षक मीडिया से दूरी बना रहे हैं.

ये भी पढेः पीएमसीएच के ऑर्थो इमरजेंसी में कई दिनों से भर्ती हैं मरीज, नहीं हो रही सर्जरी

Last Updated : Sep 15, 2022, 11:39 AM IST
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