पटना: राजधानी पटना को स्मार्ट बनाने के लिए सरकार ने कई योजना बना रही है. उन योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने नगर निगम को जिम्मेदारी दी है. ताकि इस समय पर योजना का काम पूरा हो सके. लेकिन शहर की बड़ी आबादी जिस ऑटो के भरोसे है, उस ऑटो के लिए शहर में स्टैंड जैसा कुछ नजर नहीं आता है. इसको लेकर ट्रैफिक पुलिस से लेकर ऑटो चालक और नगर निगम के अधिकारी अपना-अपना तर्क देने में लगे हुए हैं.
पटना शहर कैसे स्मार्ट होगा. इसका खाका सरकार समय-समय पर जारी करती है. लेकिन शहर अभी तक स्मार्ट नहीं बन पाया है. स्मार्ट योजनाओं को लेकर नगर निगम लगातार काम करने का दावा तो कर रही है. लेकिन धरातल पर सच्चाई नहीं दिख रही है.
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निगम प्रशासन की तरफ से पटना शहर को स्मार्ट बनाने के लिए स्ट्रीट लाइट लगाई जा रही है. तो स्मार्ट सड़कें भी लगातार बन रही हैं. आज के समय में पटना की आबादी लगभग 20 लाख हो गई है. यह आबादी अधिकतर ऑटो और ई-रिक्शा पर ही निर्भर होता है. कहीं लोगों को जाना होता है, तो ऑटो या ई-रिक्शा का ही लोग सहारा लेते हैं. पटनावासियों को शहर में स्टैंड जैसा कुछ नजर नहीं आता है.
महिलाओं को होती है परेशानी
दरअसल, पटना में 34 हजार ऑटो और 13 हजार ई-रिक्शा है. लेकिन इनके लिए स्टैंड केवल 11 है. वह भी सिर्फ नाम के लिए नोटिफाइड स्टैंड की बात करें तो 20 लाख से अधिक आबादी वाले पटना शहर में नगर निगम की ओर से केवल 6 ऑटो स्टैंड के रूप में सिलेक्ट किया गया गया था. लेकिन पटनावासियों को शहर में ऑटो स्टैंड कहीं नजर नहीं आता है. जिसकी वजह से सड़क किनारे खड़ा होकर ही ऑटो पकड़ना पड़ता है. ऑटो स्टैंड नहीं होने के कारण पटना शहर से बाहर से आने वाले यात्रियों में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है.
महिलाओं का कहना है कि पटना शहर राजधानी है. लेकिन राजधानी जैसा लगता नहीं है. क्योंकि यहां पर ऑटो स्टैंड का घोर अभाव है. हम जब भी बच्चों के साथ आते हैं तो काफिर परेशानी का सामना करना पड़ता है.
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स्टैंड नहीं होने की वजह से काफी परेशानी उठानी पड़ती है. यात्री समझ नहीं पाते हैं कि उन्हें ऑटो कहां से पकड़ना है. यदि हम सड़क किनारे ऑटो लगाते हैं तो पुलिस वालों से झगड़ा भी हो जाता है. पुलिस वाले फाइन भी कर देते हैं. नगर निगम के तरफ से शहर में ऑटो स्टैंड बनाया गया था. उस में मूलभूत सुविधा देने की बात कही गई थी, जो भी यात्री ऑटो पकड़ने आते हैं तो उन्हें सबसे ज्यादा प्रॉब्लम शौचालय को लेकर होती है: वीरेंद्र यादव, ऑटो यूनियन के नेता
ट्रैफिक पुलिस भी परेशान
शहर के प्रमुख सड़कों पर 18 ऐसे ट्रैफिक पॉइंट्स हैं. जहां ऑटो लगती हैं. लेकिन अब तक स्टैंड नहीं बनाया गया है, जिससे न केवल ऑटो चालकों की परेशानी हो रही है, बल्कि पैसेंजर के साथ ट्राफिक पुलिस भी परेशान रहते हैं. ऑटो स्टैंड नहीं होने की वजह से चालक अपनी गाड़ी सड़क पर लगा देते हैं, जिससे आए दिन जाम भी देखने को मिलता है.
ट्रैफिक पुलिस के एसआई शमीम अहमद बताते हैं कि शहर में सीमित ऑटो स्टैंड हैं. उसमें चालक अपनी गाड़ी को लगाते हैं जो बाहर से ऑटो आते हैं, हम लोग उनसे फाइन भी वसूलते हैं और वहां से भगा भी देते हैं.
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क्या कहते हैं स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी
पटना नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी बताते हैं- 'शहर को स्मार्ट बनाने के लिए हम लाख कोशिश कर लें. लेकिन जब तक सरकार और आम पब्लिक सहयोग नहीं करेगी. तब तक हम स्मार्ट नहीं हो सकते हैं'. उन्होंने बताया कि जिन जगहों पर हमने ऑटो स्टैंड बनाए हैं. वहां पर भी वसूली अब ट्रैफिक पुलिस ही करती है.
इन जगहों पर हैं ट्राफिक पॉइंट ऑटो स्टैंड
पानी टंकी (बोरिंग रोड), पाटलिपुत्र गोलंबर, फुलवारी थाना, एम्स, चितकोहरा, राजापुर पुल, मिथिला कॉलोनी, दीघा (बाटा के पास), गायघाट, सिटी चौक, हनुमान नगर, नाला रोड, जीरो माइल, पटना जंक्शन गोलंबर, मीठापुर, अगमकुआं, गुलजारबाग, आशियाना-दीघा रोड
नगर निगम की ओर से इन जहगों पर बनाए गए हैं ऑटो स्टैंड
जीपीओ गोलंबर, टाटा पार्क, मल्टीनेशनल पार्किंग, काली मंदिर (गांधी मैदान), कारगिल चौक, कंकड़बाग (ऑटो स्टैंड)
पटना में इन सड़कों पर ऑटो से अधिकतर होती है जाम समस्या
- दीघा आशियाना मोड़ पर दीघा में ऑटो के ठहराव से हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है.
- पीएनएम मॉल के सामने कतार में ऑटो खड़े रहने की वजह से भी जाम की समस्या रहती है.
- बेली रोड चौड़ी सड़क होने के कारण ऑटो को राहत मिली है, फिर भी जहां-तहां और ऑटो लगी रहती हैं.
- कुर्जी मोड़ और राजापुर पुल पर सड़क पर ही ऑटो लगी रहती है.
- अनिशाबाद, चितकोहरा और रोड पर जहां-तहां ऑटो रहने से वाहन जाम में फंसे रहते हैं.
- अशोक राजपथ पुराना बाईपास सहित सभी सड़कों पर एक जैसे हालात हमेशा बनी रहती है.