पटना: बिहार में लोकतंत्र के महापर्व बिहार विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है. ऐसे में विपक्ष लगातार सरकार को हर मोर्चे पर घेरने का प्रयास कर रही है. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने सत्ता में वापसी करने की बड़ी चुनौती है. हालांकि उन्होंने चुनावी नैया को पार लगाने के लिए पार्टी के 'पंचरत्नों' को जिम्मेदारी सौंप दी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसे तो पार्टी के बड़े फैसले खुद लेते हैं. जानकारी यह भी है कि हर बड़े मुद्दे पर नीतीश अपने पंचरत्नों से राय मशवरा करते हैं. पटना से दिल्ली तक अपने इन्हीं पंचरत्नों के सहारे नीतीश पार्टी का कामकाज चला रहे हैं.
नीतीश कुमार के 'पंचरत्नों' में आरसीपी सिंह
नीतीश कुमार के पंचरत्नों में सबसे पहला नाम आरसीपी सिंह का है, जो पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और संगठन का सारा काम काज भी कई सालों से संभालते रहे हैं. आरसीपी सिंह आईएएस अधिकारी रह चुके हैं और नीतीश कुमार के सबसे नजदीकियों में से एक हैं. अभी राज्यसभा में पार्टी के संसदीय दल के भी नेता है.
'पंचरत्नों' में दूसरा नाम ललन सिंह का
सीएम नीतीश के 'पंचरत्नों' में दूसरा नाम ललन सिंह का है. ललन सिंह और नीतीश कुमार की दोस्ती वर्षों पुरानी है. नीतीश कुमार अपने कई बड़े फैसलों में ललन सिंह को शामिल करते रहे हैं. बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन कराने में ललन सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और मंत्री भी. अभी लोकसभा में संसदीय दल के पार्टी के नेता हैं.
'पंचरत्नों' में तीसरा नाम विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी का
नीतीश कुमार के 'पंचरत्नों' में तीसरा नाम विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी का है. विजय चौधरी भी जदयू के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और मंत्री भी. विजय चौधरी पर भी नीतीश कुमार विश्वास करते हैं. पार्टी का कोई भी महत्वपूर्ण कार्यक्रम हो या बैठक सीएम नीतीश के साथ जरुर नजर आते है. विजय चौधरी सराय रंजन से लगातार दो बार विधायक रह चुके हैं और तीसरी बार भी चुनाव मैदान में जाने वाले हैं.
संजय झा को जेडीयू में बड़ी जिम्मेदारी
'पंचरत्नों' में चौथा नाम संजय झा का है. संजय झा पहले बीजेपी में थे. लेकिन नीतीश कुमार से नजदीकियों के कारण ही बीजेपी से नाता तोड़ जदयू में शामिल हो गए और यह तब हुआ जब जदयू एनडीए में ही था. संजय झा का बीजेपी के कई केंद्रीय नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं. संजय झा से भी नीतीश अपने कई महत्वपूर्ण निर्णयों में सलाह लेते रहे हैं. पटना से दिल्ली तक में नीतीश के लिए संजय झा कई सालों से तुरुप के पत्ता बने हुए हैं. दरभंगा एम्स की स्वीकृति में भी संजय झा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और नीतीश कुमार संजय झा के कारण ही दरभंगा एम्स के लिए जिद पर अड़ गए. ऐसे तो लोकसभा चुनाव भी दरभंगा से संजय जानना चाहते थे. लेकिन सीट बीजेपी में चला गया और इसलिए नीतीश कुमार ने विधान परिषद से इन्हें सदन में भेज कर जल संसाधन विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेवारी दी.
सीएम नीतीश के 'पंचरत्नों' में अशोक चौधरी भी शामिल
नीतीश कुमार के 'पंचरत्नों' में 5 वां नाम अशोक चौधरी का है. अशोक चौधरी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. नीतीश कुमार के साथ पहले से काफी अच्छे संबंध रहे हैं. कांग्रेस छोड़कर अपने कई साथियों के साथ जदयू में आए हैं और आज नीतीश कुमार के सबसे नजदीकियों में से भी एक हैं. अशोक चौधरी पर विश्वास करके ही नीतीश कुमार ने जदयू प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया है. भवन निर्माण मंत्री भी हैं. अशोक चौधरी भी पिछले कुछ सालों से लगातार नीतीश कुमार के बड़े निर्णयों में शामिल होते रहे हैं.