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बिहार में ऑक्सीजन घोटाला: कागजों पर दोगुनी सप्लाई, अस्पतालों को आधी !

कोरोना पहले से ही लोगों की जान पर आफत बनी हुई है. सांसों की डोर को बांधे रखना बड़ी चुनौती बन रही है. ऑक्सीजन की कमी ने रही सही कसर पूरी कर दी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऑक्सीजन की कमी के पीछे की बड़ी वजह क्या है.पढ़िए ये रिपोर्ट

black marketing of oxygen cylinder
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Published : May 8, 2021, 10:23 PM IST

Updated : May 8, 2021, 10:37 PM IST

पटना: बिहार में इन दिनों ऑक्सीजन की कालाबाजारी आम बात हो गई है. कोरोनाकाल में सरकार ने सारी तैयारियों का दावा किया था. लेकिन सरकार के तमाम दावों की पोल उनके अपने मेडिकल कॉलेज ही खोल रहे हैं. ऑक्सीजन की किल्लत किस कदर है ये इसी बात से समझा जा सकता है कि मरीजों की मौत की चिंता के कारण डीएमसीएच के मेडिसिन विभागाध्यक्ष ने खुद को पद से मुक्त करने की मांग तक कर डाली है. इसके पहले एनएमसीएच से भी ऐसा ही मामला सामने आया था. इन सबके बीच पीएमसीएच ने तो सारी हदें ही पारी कर दी. यहां कागजों पर मरीजों की संख्या से कहीं ज्यादा ऑक्सीजन की खपत दिखाई गई है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- बिहार के अस्पतालों में कबाड़ हो रहे वेंटिलेटर, टेक्नीशियन की कमी से टूट रही मरीजों की सांसें

जरूरत से दोगुनी दिखाई गई खपत
मामला पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल से जुड़ा है. बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में जितनी जरूरत ऑक्सीजन की है उससे कहीं ज्यादा खपत दिखाकर बड़े घोटाले का खेल सामने आया है.इस पूरे मामले का पर्दाफाश तब हुआ जब पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर बनी स्पेशल टीम ने पीएमसीएच में चल रहे इस बड़े घोटाले की रिपोर्ट दी. पीएमसीएच में 127 कोरोना मरीजों पर 348 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत दिखाई गई जबकि अधिकतम 150 सिलेंडर की खपत होनी चाहिए थी. कुछ इसी तरह अन्य विभागों में भी सिलेंडर की खपत जरूरत से ज्यादा दिखाने का खेल सामने आया है.

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ऑक्सीजन सिलेंडर

जरूरत और खपत में काफी अंतर
इसके अलावा गैर कोरोना मरीजों के मामले में भी यही लापरवाही सामने आई. जांच टीम के मुताबिक पीएमसीएच के क्रिटिकल केयर वार्ड, महिला वार्ड, ईएनटी वार और टाटा वार्ड में भर्ती ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की वास्तविक आवश्यकता से कई गुना ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत दिखाई गई है. यानी पूरे अस्पताल में जरूरत और कागजों पर दिखाई गई खपत में काफी अंतर पाया गया.

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ईटीवी भारत gfx

ऑक्सीजन सिलेंडर की ब्लैक मार्केटिंग
पटना में ऑक्सीजन सिलेंडर की काला बाजारी चरम पर है. 30,000 से 40,000 तक एक सिलेंडर के लिए वसूले जा रहे हैं. मरीज बगैर ऑक्सीजन के दम तोड़ रहे हैं. मरीजों के परिजन ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मारे मारे फिर रहे हैं. दूसरी तरफ जो सिलेंडर उपलब्ध है उनकी कालाबाजारी हो रही है.

यह भी पढ़ें- सभापति अवधेश नारायण सिंह ने MLC तनवीर अख्तर के निधन पर जताया शोक

छापेमारी में सामने आया सच
पटना जिला प्रशासन की ओर से कई जगहों पर छापेमारी की गई और ऑक्सीजन सिलेंडर जब्त भी किए गए हैं, लेकिन कालाबाजारी का यह खेल अब भी जारी है. दरअसल डीएम चंद्रशेखर सिंह ने सबसे पहले पटना के तीन मेडिकल कॉलेजों के ऑक्सीजन की सप्लाई की ऑडिट कराने की मांग स्वास्थ्य विभाग से की थी.

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डीएम ने जांच के लिए लिखा था पत्र
डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को लिखा था कि पटना जिले में ऑक्सीजन उत्पादन की कुल क्षमता 7000 सिलेंडर की है. उनमें से 3000 सिलेंडर की मांग पीएमसीएच, एनएमसीएच और आईजीआईएमएस कर रहे हैं. डीएम ने लिखा कि पीएमसीएच और एनएमसीएच को एक-एक हजार सिलेंडर जबकि आईजीआईएमएस को भी एक हजार ऑक्सीजन सिलेंडर प्रतिदिन सप्लाई किया जा रहा है. लेकिन इन तीनों संस्थानों की जांच जरूरी है.

'ऑक्सीजन की सप्लाई और इसके उपयोग में जो गड़बड़ी मिली है उसके बारे में हाईकोर्ट के निर्देश का इंतजार है. इस बारे में हाईकोर्ट ही फैसला करेगा कि क्या करना है. पीएमसीएच और एनएमसीएच के साथ आईजीआईएमएस को भी अब हर दिन 1000 सिलेंडर की सप्लाई हो रही है.'- चंद्रशेखर सिंह, पटना डीएम

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन पर किन्नरों का छलका दर्द, कहा-नाचे-गाएंगे नहीं, तो खाएंगे कहां से?

कहां जा रहा ऑक्सीजन
अब सवाल उठ रहे हैं कि जब मरीजों और उनके परिजनों को ऑक्सीजन के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही है तो सारा ऑक्सीजन कहां जा रहा है. ये कौन लोग हैं जिनको सांसों के लिए तड़पते लोगों का दर्द नहीं दिखता. फिलहाल मामला सामने आने के बाद कई सवाल हैं जिनका हल ढूढना जरूरी है. वहीं पटना जिला प्रशासन को अब हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार है.

यह भी पढ़ें- पप्पू यादव ने खोली पोल 'सांसद फंड वाली एंबुलेंस' से बालू की ढुलाई करवा रहे रूडी

पटना: बिहार में इन दिनों ऑक्सीजन की कालाबाजारी आम बात हो गई है. कोरोनाकाल में सरकार ने सारी तैयारियों का दावा किया था. लेकिन सरकार के तमाम दावों की पोल उनके अपने मेडिकल कॉलेज ही खोल रहे हैं. ऑक्सीजन की किल्लत किस कदर है ये इसी बात से समझा जा सकता है कि मरीजों की मौत की चिंता के कारण डीएमसीएच के मेडिसिन विभागाध्यक्ष ने खुद को पद से मुक्त करने की मांग तक कर डाली है. इसके पहले एनएमसीएच से भी ऐसा ही मामला सामने आया था. इन सबके बीच पीएमसीएच ने तो सारी हदें ही पारी कर दी. यहां कागजों पर मरीजों की संख्या से कहीं ज्यादा ऑक्सीजन की खपत दिखाई गई है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- बिहार के अस्पतालों में कबाड़ हो रहे वेंटिलेटर, टेक्नीशियन की कमी से टूट रही मरीजों की सांसें

जरूरत से दोगुनी दिखाई गई खपत
मामला पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल से जुड़ा है. बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में जितनी जरूरत ऑक्सीजन की है उससे कहीं ज्यादा खपत दिखाकर बड़े घोटाले का खेल सामने आया है.इस पूरे मामले का पर्दाफाश तब हुआ जब पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर बनी स्पेशल टीम ने पीएमसीएच में चल रहे इस बड़े घोटाले की रिपोर्ट दी. पीएमसीएच में 127 कोरोना मरीजों पर 348 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत दिखाई गई जबकि अधिकतम 150 सिलेंडर की खपत होनी चाहिए थी. कुछ इसी तरह अन्य विभागों में भी सिलेंडर की खपत जरूरत से ज्यादा दिखाने का खेल सामने आया है.

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ऑक्सीजन सिलेंडर

जरूरत और खपत में काफी अंतर
इसके अलावा गैर कोरोना मरीजों के मामले में भी यही लापरवाही सामने आई. जांच टीम के मुताबिक पीएमसीएच के क्रिटिकल केयर वार्ड, महिला वार्ड, ईएनटी वार और टाटा वार्ड में भर्ती ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों की वास्तविक आवश्यकता से कई गुना ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत दिखाई गई है. यानी पूरे अस्पताल में जरूरत और कागजों पर दिखाई गई खपत में काफी अंतर पाया गया.

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ऑक्सीजन सिलेंडर की ब्लैक मार्केटिंग
पटना में ऑक्सीजन सिलेंडर की काला बाजारी चरम पर है. 30,000 से 40,000 तक एक सिलेंडर के लिए वसूले जा रहे हैं. मरीज बगैर ऑक्सीजन के दम तोड़ रहे हैं. मरीजों के परिजन ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मारे मारे फिर रहे हैं. दूसरी तरफ जो सिलेंडर उपलब्ध है उनकी कालाबाजारी हो रही है.

यह भी पढ़ें- सभापति अवधेश नारायण सिंह ने MLC तनवीर अख्तर के निधन पर जताया शोक

छापेमारी में सामने आया सच
पटना जिला प्रशासन की ओर से कई जगहों पर छापेमारी की गई और ऑक्सीजन सिलेंडर जब्त भी किए गए हैं, लेकिन कालाबाजारी का यह खेल अब भी जारी है. दरअसल डीएम चंद्रशेखर सिंह ने सबसे पहले पटना के तीन मेडिकल कॉलेजों के ऑक्सीजन की सप्लाई की ऑडिट कराने की मांग स्वास्थ्य विभाग से की थी.

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डीएम ने जांच के लिए लिखा था पत्र
डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को लिखा था कि पटना जिले में ऑक्सीजन उत्पादन की कुल क्षमता 7000 सिलेंडर की है. उनमें से 3000 सिलेंडर की मांग पीएमसीएच, एनएमसीएच और आईजीआईएमएस कर रहे हैं. डीएम ने लिखा कि पीएमसीएच और एनएमसीएच को एक-एक हजार सिलेंडर जबकि आईजीआईएमएस को भी एक हजार ऑक्सीजन सिलेंडर प्रतिदिन सप्लाई किया जा रहा है. लेकिन इन तीनों संस्थानों की जांच जरूरी है.

'ऑक्सीजन की सप्लाई और इसके उपयोग में जो गड़बड़ी मिली है उसके बारे में हाईकोर्ट के निर्देश का इंतजार है. इस बारे में हाईकोर्ट ही फैसला करेगा कि क्या करना है. पीएमसीएच और एनएमसीएच के साथ आईजीआईएमएस को भी अब हर दिन 1000 सिलेंडर की सप्लाई हो रही है.'- चंद्रशेखर सिंह, पटना डीएम

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन पर किन्नरों का छलका दर्द, कहा-नाचे-गाएंगे नहीं, तो खाएंगे कहां से?

कहां जा रहा ऑक्सीजन
अब सवाल उठ रहे हैं कि जब मरीजों और उनके परिजनों को ऑक्सीजन के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही है तो सारा ऑक्सीजन कहां जा रहा है. ये कौन लोग हैं जिनको सांसों के लिए तड़पते लोगों का दर्द नहीं दिखता. फिलहाल मामला सामने आने के बाद कई सवाल हैं जिनका हल ढूढना जरूरी है. वहीं पटना जिला प्रशासन को अब हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार है.

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Last Updated : May 8, 2021, 10:37 PM IST
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