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Bihar BJP: सम्राट चौधरी पर BJP ने क्यों लगाया दांव.. कुशवाहा वोट बैंक के आसरे 2025 में खिला पाएंगे 'कमल'? - BJP government in Bihar in 2025

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे से पहले भारतीय जनता पार्टी ने मास्टर स्ट्रोक खेला है. मिशन 2024 के मद्देनजर पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने के लिए ने पत्ते खोल दिए हैं और सम्राट अशोक की जयंती से पहले केंद्रीय नेतृत्व ने सम्राट चौधरी को बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बनाकर सबको चौंका दिया है. माना जाता है कि बिहार में 7 से 8 फीसदी के बीच कुशवाहा वोट है. जानकार मानते हैं कि इसी सोच के साथ सम्राट चौधरी पर बीजेपी ने ये बड़ा दांव चला है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी
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Published : Mar 23, 2023, 7:01 PM IST

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लव-कुश वोट बैंक की बदौलत ही सत्ता के शीर्ष पर कायम है. नीतीश कुमार के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए बीजेपी ने जहां उपेंद्र कुशवाहा को साथ लाने की तैयारी कर रही है, वहीं सम्राट चौधरी () को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का भी फैसला लिया गया है. सम्राट चौधरी ऐसे नेता हैं, जिनका राजनीतिक अनुभव लगभग 30 साल का है. वह 15 साल तक आरजेडी में रहे और दो बार पार्टी के टिकट पर विधायक बने. 1998 से लेकर 2013 तक परबत्ता से दो बार विधायक बने.

ये भी पढ़ें: Bihar Politics: राबड़ी देवी ने बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को दी शुभकामनाएं, कही ये बात

सम्राट चौधरी 1999 में मंत्री बने: सम्राट चौधरी को बिहार सरकार में तीन बार मंत्री बनने का मौका मिला. पहली बार वह आरजेडी कोटे से 1999 में माप-तौल मंत्री बने. उसके बाद साल 2014 में नगर विकास विभाग के मंत्री बने और फिर 2021 में पंचायती राज विभाग के मंत्री बने. सम्राट चौधरी 1995 में सक्रिय राजनीति में आए थे. विधायक बनने से पहले सम्राट चौधरी 1999 में मंत्री बन चुके थे. साल 2000 में पहली बार सम्राट चौधरी को एमएलए बनने का मौका मिला. दूसरी बार साल 2010 में भी एमएलए का चुनाव जीतने में कामयाब हुए.

आरजेडी और जेडीयू में रह चुके हैं चौधरी: आरजेडी छोड़ने के बाद सम्राट चौधरी जेडीयू में शामिल हुए. 2014 में जेडीयू कोटे से सम्राट चौधरी विधान पार्षद हुए और नगर विकास मंत्री बनाए गए लेकिन मांझी प्रकरण के बाद 2015 में सम्राट चौधरी की सदस्यता समाप्त करा दी गई. साल 2017 में सम्राट चौधरी बीजेपी में आए और 2020 में विधान परिषद भेजे गए. भारतीय जनता पार्टी ने सम्राट चौधरी को पहले प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया. उसके बाद बिहार विधान परिषद में नेता विरोधी दल बनाए गए और अब प्रदेश अध्यक्ष पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है.

'लालू की यातना के कारण राजनीति में आया': जिस आरजेडी के टिकट पर पहली बार सम्राट चौधरी विधायक और मंत्री बने, उससे उनका रिश्ता 2012 आते-आते खराब हो चुका था. खुद सम्राट चौधरी कहते हैं कि मैं राजनीति में लालू प्रसाद यादव की यातना सहने के बाद आया था. 16 मर्डर केस में मुझे फंसाकर जेल भिजवा दिया गया. इसके साथ ही वह कहते हैं कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव से मैं 30 साल के कार्यकाल का हिसाब लूंगा.

"राजनीति में मुझे जबरदस्ती लाया गया. लालू प्रसाद की सरकार में जेल में डाला गया. हजारों लाठियां मेरे शरीर पर चली. घर तोड़ दिए गए और हमारे परिवार के 20-22 लोगों को जेल में डाला गया. हमलोग अत्याचार से राजनीति में आए. लालू प्रसाद जी की यातना से सियासत में आए. मिशन स्पष्ट है कि भाजपा की सरकार बिहार में बने, यही हमलोग चाहते हैं"- सम्राट चौधरी, अध्यक्ष, बिहार बीजेपी

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लव-कुश वोट बैंक की बदौलत ही सत्ता के शीर्ष पर कायम है. नीतीश कुमार के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए बीजेपी ने जहां उपेंद्र कुशवाहा को साथ लाने की तैयारी कर रही है, वहीं सम्राट चौधरी () को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का भी फैसला लिया गया है. सम्राट चौधरी ऐसे नेता हैं, जिनका राजनीतिक अनुभव लगभग 30 साल का है. वह 15 साल तक आरजेडी में रहे और दो बार पार्टी के टिकट पर विधायक बने. 1998 से लेकर 2013 तक परबत्ता से दो बार विधायक बने.

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सम्राट चौधरी 1999 में मंत्री बने: सम्राट चौधरी को बिहार सरकार में तीन बार मंत्री बनने का मौका मिला. पहली बार वह आरजेडी कोटे से 1999 में माप-तौल मंत्री बने. उसके बाद साल 2014 में नगर विकास विभाग के मंत्री बने और फिर 2021 में पंचायती राज विभाग के मंत्री बने. सम्राट चौधरी 1995 में सक्रिय राजनीति में आए थे. विधायक बनने से पहले सम्राट चौधरी 1999 में मंत्री बन चुके थे. साल 2000 में पहली बार सम्राट चौधरी को एमएलए बनने का मौका मिला. दूसरी बार साल 2010 में भी एमएलए का चुनाव जीतने में कामयाब हुए.

आरजेडी और जेडीयू में रह चुके हैं चौधरी: आरजेडी छोड़ने के बाद सम्राट चौधरी जेडीयू में शामिल हुए. 2014 में जेडीयू कोटे से सम्राट चौधरी विधान पार्षद हुए और नगर विकास मंत्री बनाए गए लेकिन मांझी प्रकरण के बाद 2015 में सम्राट चौधरी की सदस्यता समाप्त करा दी गई. साल 2017 में सम्राट चौधरी बीजेपी में आए और 2020 में विधान परिषद भेजे गए. भारतीय जनता पार्टी ने सम्राट चौधरी को पहले प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया. उसके बाद बिहार विधान परिषद में नेता विरोधी दल बनाए गए और अब प्रदेश अध्यक्ष पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है.

'लालू की यातना के कारण राजनीति में आया': जिस आरजेडी के टिकट पर पहली बार सम्राट चौधरी विधायक और मंत्री बने, उससे उनका रिश्ता 2012 आते-आते खराब हो चुका था. खुद सम्राट चौधरी कहते हैं कि मैं राजनीति में लालू प्रसाद यादव की यातना सहने के बाद आया था. 16 मर्डर केस में मुझे फंसाकर जेल भिजवा दिया गया. इसके साथ ही वह कहते हैं कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव से मैं 30 साल के कार्यकाल का हिसाब लूंगा.

"राजनीति में मुझे जबरदस्ती लाया गया. लालू प्रसाद की सरकार में जेल में डाला गया. हजारों लाठियां मेरे शरीर पर चली. घर तोड़ दिए गए और हमारे परिवार के 20-22 लोगों को जेल में डाला गया. हमलोग अत्याचार से राजनीति में आए. लालू प्रसाद जी की यातना से सियासत में आए. मिशन स्पष्ट है कि भाजपा की सरकार बिहार में बने, यही हमलोग चाहते हैं"- सम्राट चौधरी, अध्यक्ष, बिहार बीजेपी

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