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पटना: OTS को सरकार ने फिर से किया लागू, चैंबर ऑफ कॉमर्स ने किया स्वागत

चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया कि बिहार वेट में व्यवसाय का एंट्री टैक्स, सेल टैक्स, वेट सेंट्रल टैक्स, लग्जरी टैक्स, मनोरंजन कर और विज्ञापन कर आदि के कई एक विवादित मामले लंबित चल रहे थे. जिसे देखते हुए एक मुश्त समझौता योजना ओटीएस लाया गया था. लेकिन इसकी तिथि समाप्त हो चुकी थी.

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Published : Sep 22, 2020, 10:04 PM IST

 Bihar VAT
Bihar VAT

पटना: बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने वाणिज्य कर विभाग द्वारा बिहार वैट के अंतर्गत लंबित विवादित मामलों के निपटारे हेतु एक बार पुनः लाए गए एक मुश्त समझौता योजना ओटीएस का स्वागत किया है.

कई टैक्स के मामले थे लंबित
चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया कि बिहार वेट में व्यवसाय का एंट्री टैक्स, सेल टैक्स, वेट सेंट्रल टैक्स, लग्जरी टैक्स, मनोरंजन कर और विज्ञापन कर आदि के कई एक विवादित मामले लंबित चल रहे थे. जिसे देखते हुए एक मुश्त समझौता योजना ओटीएस लाया गया था. लेकिन इसकी तिथि समाप्त हो चुकी थी.

राजस्व के रूप में होगी राशि की प्राप्ति
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण व्यवसाई इस योजना का लाभ नहीं उठा सके थे. उसे देखते हुए चेंबर ऑफ कॉमर्स ने सरकार से मांग की थी कि इस योजना को पुनः लाया जाए. जिसके बाद सरकार ने इस योजना को फिर से लागू किया है. इससे वाणिज्य कर विभाग का भी कार्यभार कम हो जाएगा. साथ ही सरकार को एक बड़ी राशि की प्राप्ति राजस्व के रूप में होगी.

पटना: बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने वाणिज्य कर विभाग द्वारा बिहार वैट के अंतर्गत लंबित विवादित मामलों के निपटारे हेतु एक बार पुनः लाए गए एक मुश्त समझौता योजना ओटीएस का स्वागत किया है.

कई टैक्स के मामले थे लंबित
चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया कि बिहार वेट में व्यवसाय का एंट्री टैक्स, सेल टैक्स, वेट सेंट्रल टैक्स, लग्जरी टैक्स, मनोरंजन कर और विज्ञापन कर आदि के कई एक विवादित मामले लंबित चल रहे थे. जिसे देखते हुए एक मुश्त समझौता योजना ओटीएस लाया गया था. लेकिन इसकी तिथि समाप्त हो चुकी थी.

राजस्व के रूप में होगी राशि की प्राप्ति
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण व्यवसाई इस योजना का लाभ नहीं उठा सके थे. उसे देखते हुए चेंबर ऑफ कॉमर्स ने सरकार से मांग की थी कि इस योजना को पुनः लाया जाए. जिसके बाद सरकार ने इस योजना को फिर से लागू किया है. इससे वाणिज्य कर विभाग का भी कार्यभार कम हो जाएगा. साथ ही सरकार को एक बड़ी राशि की प्राप्ति राजस्व के रूप में होगी.

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