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यूपी विधानसभा उपचुनाव: अखिलेश यादव के इस फैसले से कांग्रेस नाराज, गठबंधन में पड़ सकती है दरार

UP by-polls Congress SP: यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए सपा ने 6 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं.

Congress miffed over SP unilaterally announced candidates on 6 Seats for UP Assembly by-polls Akhilesh yadav
राहुल गांधी और अखिलेश यादव हाथ मिलाते हुए. (File Photo - ANI)
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By Amit Agnihotri

Published : Oct 9, 2024, 7:38 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस ने सहयोगी समाजवादी पार्टी के साथ कड़ा रुख अपनाया है, क्योंकि समाजवादी पार्टी ने भाजपा शासित राज्य में होने वाले 10 विधानसभा उपचुनावों में से 6 पर अपने उम्मीदवारों की एकतरफा घोषणा कर दी है. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अपनी सहयोगी सपा से नाराज है.

सपा-कांग्रेस गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कुल 80 सीटों में से 43 पर जीत दर्ज करके भाजपा को करारा झटका दिया था. लेकिन इसके कुछ महीनों बाद ही यह एकतरफा फैसला किया है.

आगामी उपचुनाव को लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया ब्लॉक की पहली परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है. स्थानीय विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने और विधानसभा से इस्तीफा देने के कारण उपचुनाव होने हैं और नियमों के अनुसार खाली हुई सीटों को अगले छह महीनों के भीतर भरा जाना है.

दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे को यह संकेत दिया था कि वे गठबंधन को आगे ले जाएंगे और आगामी विधानसभा उपचुनावों में भी भाजपा को हराएंगे, लेकिन बुधवार को सपा की ओर से चौंकाने वाला बयान आया.

कांग्रेस पदाधिकारियों ने कहा कि सपा हरियाणा विधानसभा चुनावों में देश की सबसे पुरानी पार्टी की हार के कारण उन पर तंज कस रही है, क्योंकि कांग्रेस 10 साल की सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भाजपा को सत्ता से हटाने में विफल रही.

हालांकि, कांग्रेस पदाधिकारियों ने यह भी कहा कि वे सहयोगियों की दबाव की रणनीति से नहीं डरेंगे, चाहे वह यूपी में सपा हो या महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) या दिल्ली में आम आदमी पार्टी, क्योंकि सभी मौजूदा राजनीतिक स्थिति का फायदा उठा रहे हैं.

अविनाश पांडे का क्या कहना है
यूपी में कांग्रेस मामलों के प्रभारी अविनाश पांडे ने ईटीवी भारत से कहा, "हम सभी 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी कर रहे हैं. सपा के साथ सीट बंटवारे पर कोई चर्चा नहीं हुई है. यह मुद्दा हाईकमान तय करेगा."

पांडे के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर 'संविधान बचाओ' सम्मेलन कर रही है ताकि देश की सबसे पुरानी पार्टी के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन के लिए जमीन तैयार की जा सके.

कांग्रेस इस 10 सीटों में से प्रत्येक के लिए लोकसभा सांसदों सहित वरिष्ठ नेताओं को प्रभारी नामित किया है. 21 जुलाई को, कांग्रेस ने अपने संगठन की ताकत और कमजोरियों का आकलन करने के लिए उपचुनाव के लिए नियुक्त किए गए सभी प्रभारियों की बैठक बुलाई थी.

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पार्टी के भीतर 10 में से 3 या 4 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की अनौपचारिक चर्चा चल रही थी, लेकिन इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के बीच औपचारिक चर्चा अभी शुरू नहीं हुई थी.

क्या है नाराजगी की वजह
कांग्रेस को सबसे ज्यादा इस बात से नाराजगी है कि सपा द्वारा जिन 6 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की घोषणा की गई है, उनमें से कुछ सीटों पर कांग्रेस भी चुनाव लड़ना चाहती है. जिसमें सीसामऊ, फूलपुर और मिल्कीपुर सीटें शामिल हैं.

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि सपा इसलिए नाराज है, क्योंकि उसने हरियाणा में कुछ सीटें मांगी थीं, लेकिन पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. इसके अलावा, सपा कांग्रेस पर महाराष्ट्र में चार सीटें देने का दबाव बना रही हैं, जहां इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

इससे पहले, कांग्रेस ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी को 90 में से 5 सीटें देने की पेशकश की थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया.

हरियाणा में बीजेपी को वापस लाने के लिए कांग्रेस की आलोचना करने वाले केजरीवाल की पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई. केजरीवाल ने 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन से भी इनकार किया है. लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के हिस्से के रूप में 'आप' ने दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से 4 और कांग्रेस ने 3 पर चुनाव लड़ा था.

यह भी पढ़ें- 2028 तक मिलता रहेगा मुफ्त राशन, चुनाव खत्म होते ही मोदी सरकार के तीन बड़े फैसले

नई दिल्ली: कांग्रेस ने सहयोगी समाजवादी पार्टी के साथ कड़ा रुख अपनाया है, क्योंकि समाजवादी पार्टी ने भाजपा शासित राज्य में होने वाले 10 विधानसभा उपचुनावों में से 6 पर अपने उम्मीदवारों की एकतरफा घोषणा कर दी है. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अपनी सहयोगी सपा से नाराज है.

सपा-कांग्रेस गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कुल 80 सीटों में से 43 पर जीत दर्ज करके भाजपा को करारा झटका दिया था. लेकिन इसके कुछ महीनों बाद ही यह एकतरफा फैसला किया है.

आगामी उपचुनाव को लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया ब्लॉक की पहली परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है. स्थानीय विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने और विधानसभा से इस्तीफा देने के कारण उपचुनाव होने हैं और नियमों के अनुसार खाली हुई सीटों को अगले छह महीनों के भीतर भरा जाना है.

दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे को यह संकेत दिया था कि वे गठबंधन को आगे ले जाएंगे और आगामी विधानसभा उपचुनावों में भी भाजपा को हराएंगे, लेकिन बुधवार को सपा की ओर से चौंकाने वाला बयान आया.

कांग्रेस पदाधिकारियों ने कहा कि सपा हरियाणा विधानसभा चुनावों में देश की सबसे पुरानी पार्टी की हार के कारण उन पर तंज कस रही है, क्योंकि कांग्रेस 10 साल की सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भाजपा को सत्ता से हटाने में विफल रही.

हालांकि, कांग्रेस पदाधिकारियों ने यह भी कहा कि वे सहयोगियों की दबाव की रणनीति से नहीं डरेंगे, चाहे वह यूपी में सपा हो या महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) या दिल्ली में आम आदमी पार्टी, क्योंकि सभी मौजूदा राजनीतिक स्थिति का फायदा उठा रहे हैं.

अविनाश पांडे का क्या कहना है
यूपी में कांग्रेस मामलों के प्रभारी अविनाश पांडे ने ईटीवी भारत से कहा, "हम सभी 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी कर रहे हैं. सपा के साथ सीट बंटवारे पर कोई चर्चा नहीं हुई है. यह मुद्दा हाईकमान तय करेगा."

पांडे के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर 'संविधान बचाओ' सम्मेलन कर रही है ताकि देश की सबसे पुरानी पार्टी के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन के लिए जमीन तैयार की जा सके.

कांग्रेस इस 10 सीटों में से प्रत्येक के लिए लोकसभा सांसदों सहित वरिष्ठ नेताओं को प्रभारी नामित किया है. 21 जुलाई को, कांग्रेस ने अपने संगठन की ताकत और कमजोरियों का आकलन करने के लिए उपचुनाव के लिए नियुक्त किए गए सभी प्रभारियों की बैठक बुलाई थी.

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, पार्टी के भीतर 10 में से 3 या 4 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की अनौपचारिक चर्चा चल रही थी, लेकिन इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के बीच औपचारिक चर्चा अभी शुरू नहीं हुई थी.

क्या है नाराजगी की वजह
कांग्रेस को सबसे ज्यादा इस बात से नाराजगी है कि सपा द्वारा जिन 6 सीटों पर उपचुनाव लड़ने की घोषणा की गई है, उनमें से कुछ सीटों पर कांग्रेस भी चुनाव लड़ना चाहती है. जिसमें सीसामऊ, फूलपुर और मिल्कीपुर सीटें शामिल हैं.

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि सपा इसलिए नाराज है, क्योंकि उसने हरियाणा में कुछ सीटें मांगी थीं, लेकिन पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. इसके अलावा, सपा कांग्रेस पर महाराष्ट्र में चार सीटें देने का दबाव बना रही हैं, जहां इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

इससे पहले, कांग्रेस ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी को 90 में से 5 सीटें देने की पेशकश की थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया.

हरियाणा में बीजेपी को वापस लाने के लिए कांग्रेस की आलोचना करने वाले केजरीवाल की पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई. केजरीवाल ने 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन से भी इनकार किया है. लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के हिस्से के रूप में 'आप' ने दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से 4 और कांग्रेस ने 3 पर चुनाव लड़ा था.

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