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अमेरिका के पूर्व एनएसए ने कहा, 'मोदी मजबूत नेता, समाधान खोजने वाले व्यक्ति'

अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नरेंद्र मोदी एक मजबूत नेता हैं. वह समाधान खोजने पर जोर देने वाले नेता हैं.

PM Modi
पीएम मोदी (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 9, 2024, 7:29 PM IST

नई दिल्ली : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार (एनएसए) और संयुक्त राष्ट्र में पूर्व यूएस राजदूत जॉन बोल्टन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक 'मजबूत नेता' बताया. उनका मानना ​​है कि भारत-अमेरिकी संबंध 21वीं सदी की 'निर्णायक घटना' साबित हो सकते हैं, क्योंकि भारत ने एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी प्रगति जारी रखी है.

अगले महीने होने वाले महत्वपूर्ण अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले बुधवार को बोल्टन ने पीएम मोदी के नेतृत्व, रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका और ट्रंप के साथ भारतीय प्रधानमंत्री की दोस्ती पर प्रकाश डाला.

बोल्टन ने कहा, "मुझे लगता है कि भारत स्पष्ट रूप से आगे बढ़ रहा है. अब इसकी आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा है और जैसे-जैसे बीजिंग के साथ तनाव बढ़ेगा तो चीन के विकल्प के रूप में भारत की अहमियत अमेरिका के लिए बढ़ जाएगी, विशेष रूप से निवेश के नजरिए से. भारतीय लोगों में अंग्रेजी का व्यापक ज्ञान होना भारत को बहुत अहम बनाता है."

रूस यूक्रेन युद्ध की बात करते हुए बोल्टन ने कहा, "मुझे लगता है कि (नरेंद्र) मोदी एक मजबूत नेता हैं. मुझे नहीं पता कि यूक्रेन और रूस के बीच मध्यस्थ के रूप में उन्हें (मोदी) कितनी सफलता मिलेगी. लेकिन अगर मोदी, व्यक्तिगत या आधिकारिक क्षमता में युद्ध का ऐसा समाधान खोजने की कोशिश करते हैं, जो रूस-यूक्रेन दोनों को स्वीकार हो, तो उनकी इस कोशिश का अमेरिका में कोई विरोध नहीं करेगा.'

दोनों देशों के बीच रिश्तों पर बोलते हुए अमेरिका के पूर्व एनएसए ने कहा, "मुझे लगता है कि अमेरिका-भारत संबंध 21वीं सदी की निर्णायक घटना साबित हो सकते हैं. हम एक साथ कैसे काम करते हैं, चीन और दुनिया की अन्य जटिल समस्याओं से कैसे निपटते हैं, यह दोनों देशों के लिए सबसे महत्वपूर्ण विदेश नीति प्राथमिकता हो सकती है.'

बोल्टन ने पीएम मोदी और पूर्व यूएस प्रेसिडेंट व राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि ट्रंप और मोदी के बीच अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं. ट्रंप का ऐसा मानना है कि अगर किसी दूसरे देश के नेता के साथ उनके अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं, तो दोनों देशों के बीच रिश्ते भी अच्छे होंगे. यह एक अति सरलीकरण है. लेकिन यह निश्चित रूप से कह सकते हैं कि दो देशों के नेताओं के बीच अच्छे संबंध हों, तो इससे समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है."

बोल्टन ने भारत के बारे में उस गलत प्रचार की आलोचना की जिसमें भारत की विविधतापूर्ण, बहुलवादी और लोकतांत्रिक प्रकृति पर सवाल उठाया जाता है. 2005 से 2006 तक संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत रहे बोल्टन ने कहा, "भारत में, मुझे लगता है, दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है. 1947 में विभाजन के बाद से भारतीय लोकतंत्र की सफलता व्यापक रूप से अलग-अलग धर्मों के बीच आपसी सम्मान पर आधारित रही है. भारत के महान राष्ट्र बनने में यह भी एक कारण है. इसलिए इस परंपरा का जारी रहना महत्वपूर्ण है. मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि प्रधानमंत्री मोदी या किसी और के अधीन यह परंपरा जारी नहीं रहेगी."

ये भी पढ़ें : जब तक हमास बंधकों को रिहा नहीं कर देता, तब तक अमेरिका चैन से नहीं बैठेगा: मैथ्यू मिलर

नई दिल्ली : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार (एनएसए) और संयुक्त राष्ट्र में पूर्व यूएस राजदूत जॉन बोल्टन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक 'मजबूत नेता' बताया. उनका मानना ​​है कि भारत-अमेरिकी संबंध 21वीं सदी की 'निर्णायक घटना' साबित हो सकते हैं, क्योंकि भारत ने एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी प्रगति जारी रखी है.

अगले महीने होने वाले महत्वपूर्ण अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से पहले बुधवार को बोल्टन ने पीएम मोदी के नेतृत्व, रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका और ट्रंप के साथ भारतीय प्रधानमंत्री की दोस्ती पर प्रकाश डाला.

बोल्टन ने कहा, "मुझे लगता है कि भारत स्पष्ट रूप से आगे बढ़ रहा है. अब इसकी आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा है और जैसे-जैसे बीजिंग के साथ तनाव बढ़ेगा तो चीन के विकल्प के रूप में भारत की अहमियत अमेरिका के लिए बढ़ जाएगी, विशेष रूप से निवेश के नजरिए से. भारतीय लोगों में अंग्रेजी का व्यापक ज्ञान होना भारत को बहुत अहम बनाता है."

रूस यूक्रेन युद्ध की बात करते हुए बोल्टन ने कहा, "मुझे लगता है कि (नरेंद्र) मोदी एक मजबूत नेता हैं. मुझे नहीं पता कि यूक्रेन और रूस के बीच मध्यस्थ के रूप में उन्हें (मोदी) कितनी सफलता मिलेगी. लेकिन अगर मोदी, व्यक्तिगत या आधिकारिक क्षमता में युद्ध का ऐसा समाधान खोजने की कोशिश करते हैं, जो रूस-यूक्रेन दोनों को स्वीकार हो, तो उनकी इस कोशिश का अमेरिका में कोई विरोध नहीं करेगा.'

दोनों देशों के बीच रिश्तों पर बोलते हुए अमेरिका के पूर्व एनएसए ने कहा, "मुझे लगता है कि अमेरिका-भारत संबंध 21वीं सदी की निर्णायक घटना साबित हो सकते हैं. हम एक साथ कैसे काम करते हैं, चीन और दुनिया की अन्य जटिल समस्याओं से कैसे निपटते हैं, यह दोनों देशों के लिए सबसे महत्वपूर्ण विदेश नीति प्राथमिकता हो सकती है.'

बोल्टन ने पीएम मोदी और पूर्व यूएस प्रेसिडेंट व राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि ट्रंप और मोदी के बीच अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं. ट्रंप का ऐसा मानना है कि अगर किसी दूसरे देश के नेता के साथ उनके अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं, तो दोनों देशों के बीच रिश्ते भी अच्छे होंगे. यह एक अति सरलीकरण है. लेकिन यह निश्चित रूप से कह सकते हैं कि दो देशों के नेताओं के बीच अच्छे संबंध हों, तो इससे समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है."

बोल्टन ने भारत के बारे में उस गलत प्रचार की आलोचना की जिसमें भारत की विविधतापूर्ण, बहुलवादी और लोकतांत्रिक प्रकृति पर सवाल उठाया जाता है. 2005 से 2006 तक संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत रहे बोल्टन ने कहा, "भारत में, मुझे लगता है, दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है. 1947 में विभाजन के बाद से भारतीय लोकतंत्र की सफलता व्यापक रूप से अलग-अलग धर्मों के बीच आपसी सम्मान पर आधारित रही है. भारत के महान राष्ट्र बनने में यह भी एक कारण है. इसलिए इस परंपरा का जारी रहना महत्वपूर्ण है. मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि प्रधानमंत्री मोदी या किसी और के अधीन यह परंपरा जारी नहीं रहेगी."

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