पटना: बिहार में बदलते समय के साथ स्वास्थ्य सेवाओं में भी बदलाव हो रहा है. इसी बदलाव को लेकर राजधानी में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन के प्रतिनिधि शामिल हुए. कार्यक्रम का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पाल, डॉ. सुभाष शर्मा विकास आयुक्त और राष्ट्रीय निदेशक हरि मीनिंग ने किया.
स्वास्थ्य बजट में आर्थिक कमी
निति आयोग के सदस्य डॅा. विनोद पाल ने कहा कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं के बजट में सकारात्मक बदलाव बेहद जरूरी है. बिहार में आधारभूत संरचना बढ़ाए बिना स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं लाया जा सकता है. बिहार के तमाम बड़े अस्पताल में डॉक्टरों और दवाओं की कमी है. लगातार हर साल स्वास्थ्य बजट में जीडीपी और कई आर्थिक कमी आ रही है. जिसको लेकर सरकार चिंतित है.
विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि यह बात सही है कि आधारभूत संरचना को बढ़ाए बिना स्वास्थ्य सेवाओं में बदलाव नहीं लाया जा सकता है. इसके लिए राज्य सरकार कृतसंकल्प है कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी हो. बिहार के कई बड़े अस्पतालों में अब 230 दवाओं की उपलब्धता हो गई है. साथ ही कई मेडिकल उपकरण भी मंगाए गए हैं. बिहार में 25 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज और जीएनएम, एएनएम नर्सिंग स्कूल भी खोले जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पीएमसीएच का सितंबर महीने में टेंडर पास किया जाएगा. उसके बाद अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा. यह विश्व स्तर का सबसे बड़ा अस्पताल होगा. वहीं आईजीआईएमएस के बारे में उन्होंने कहा कि, अब यहां किडनी ट्रांसप्लांट भी किया जाएगा और अब लोगों को इलाज कराने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा.
सरकार कर रही व्यवस्था को सुचारू
बीते कुछ वर्षों में राज्य की शिशु मृत्यु दर, कालाजार कुपोषण और लैंगिक असमानता में अत्यधिक कमी दर्ज हुई है. साथ ही टीकाकरण, संस्थागत प्रसव और दवाओं की उपलब्धता में बढ़ोतरी हुई है. बिहार सरकार वर्ष 2006 से ही व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने में लगी हुई है. ताकि गांव से लेकर शहर तक के लोग को स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके.