पटनाः पूरे देश में लॉक डाउन है और हर क्षेत्र में इसका असर दिख रहा है. खासकर इसका प्रभाव गरीब मजदूरों और मरीजों पर पड़ रहा है. लॉक डाउन के कारण जहां गरीब भूख से परेशान हैं तो वहीं मरीज भी इलाज नहीं मिल पाने से परेशान है. लॉक डाउन के कारण बिहार के कई मरीजों का अंग प्रत्यारोपण नहीं हो पा रहा है. इस कार्य को करने वाले डॉक्टर कहते हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही समस्या का समाधान होगा.
लॉक डाउन से मरीजों को हो रही परेशानी
वहीं, पारस अस्पताल के डॉ. और आईजीआईएमएस के डॉ. का कहना है कि लॉक डाउन की स्थिति में अभी प्रत्यारोपण संभव नहीं है. इसीलिए बंद कर दिए हैं. लॉकडाउन के समय किसी भी तरह का प्रत्यारोपण नहीं हो रहा क्योंकि संक्रमण का डर बना हुआ रहता है. इसी कारण अभी किसी भी अंग का प्रत्यारोपण ऐसे में नहीं किया जा रहा है.
लॉक डाउन में अंग प्रत्यारोपण पर रोक
बता दें कि बिहार में अंग प्रत्यारोपण की शुरुआत आंख के कॉर्निया प्रत्यारोपण से हुआ था. 4 साल पहले इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान से इसकी शुरुआत हुई और बिहार सरकार ने बजाप्ता कॉर्निया को सुरक्षित रखने के लिए आई बैंक की स्थापना आईजीआईएमएस में किया. वहीं, आज के समय में उत्पन्न परिस्थिति में इन अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण पर रोक लगा दी गई है.
आंख के कॉर्निया प्रत्यारोपण
आईजीआईएमएस के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट मनीष मंडल के अनुसार विगत ढाई साल में 250 से भी ज्यादा मरीजों को आंख के कोर्निया का प्रत्यारोपण किया गया. साथ ही 75 मरीजों को किडनी का प्रत्यारोपण किया गया. उन्होंने कहा कि आईजीएमएस में दो लीवर का भी प्रत्यारोपण हुआ है और दोनों सफल प्रत्यारोपण है. जिसमें से पिछले महीने यानी मार्च के महीने में लॉक डाउन से ठीक पहले एक ब्रैनडेड मरीज का लीवर दूसरे मरीज में प्रत्यारोपित किया गया. जो कि पूर्णतः सफल रहा. अब हमारा प्रयास है कि किसी भी तरह हृदय का प्रत्यारोपण आईजीआईएमएस में शुरू किया जाए और इसके लिए कार्य भी शुरू हुए हैं. लेकिन लॉक डाउन के कारण कहीं न कहीं कार्य प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि लॉक डॉउन के समय किसी भी तरह का प्रत्यारोपण नहीं हो रहा है क्योंकि संक्रमण का डर बना हुआ है. इसी कारण अभी किसी भी अंग का प्रत्यारोपण ऐसे में नहीं किया जा रहा है.
लॉक डॉउन में नहीं हो रहा किसी भी अंग का प्रत्यारोपण
राज्य के दूसरे बड़े प्राइवेट अस्पताल पारस में भी अंग प्रत्यारोपण का कार्य होता है. जहां मुख्य रूप से आंख और किडनी के कई प्रत्यारोपण हुए हैं. पारस के निदेशक डॉ. अजय कुमार के अनुसार सबसे पहला स्वाप किडनी का ट्रांसप्लांटेशन पारस अस्पताल में ही हुआ है. निश्चित तौर पर हम किडनी के किसी भी तरह के ट्रांसप्लांटेशन के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं. साथ ही हमारे पास आई बैंक और किडनी रखने वाला बैंक भी उपलब्ध है.