पटना: विपक्ष मानसून सत्र (Monsoon Session Of Bihar Legislative) के दौरान बिहार में बेरोजगारी (Unemployment in Bihar) की समस्या को जोर-शोर से उठाने की तैयारी कर रहा है. कांग्रेस और राजद ने कहा कि सरकार ने बिहार के युवाओं का भविष्य बर्बाद किया है. हम इस मुद्दे पर सरकार (Nitish Government) को घेरेंगे.
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सीएमआईई की रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश में रोजगार घटे हैं और बेरोजगारी दर बढ़ी है. राज्य में बेरोजगारी की समस्या किस हद तक है ये साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सभी ने महसूस किया. जब एक राजनीतिक दल ने 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया, तो दूसरी तरफ एनडीए ने सरकार बनने पर 20 लाख रोजगार देने की घोषणा की. ये अलग बात है कि चुनाव के बाद रोजगार को लेकर अब तक कोई ठोस उपाय नहीं हो पाया है. इसके कारण युवा बेकार बैठे हैं और सीएमआईई (CMIE) की रिपोर्ट बिहार में बेरोजगारी की पोल खोल रही है.
'राष्ट्रीय जनता दल ने बेरोजगारी के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था. हम एक बार फिर आगामी सत्र में सरकार से सवाल पूछेंगे और सदन से लेकर सड़क तक इस मुद्दे को प्रमुखता से जनता के सामने भी रखेंगे.'- भाई वीरेंद्र, राजद विधायक
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की जनवरी 2021 से अप्रैल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में बेरोजगारी का राष्ट्रीय औसत 6.83% रहा है. इसमें शहरी बेरोजगारी दर 7.7% रही, वहीं ग्रामीण बेरोजगारी दर 6.4% रिकॉर्ड की गई. वहीं, बिहार में इसी दौरान बेरोजगारी दर 14.05% दर्ज की गई है. इसमें शहरी बेरोजगारी 18.3% जबकि ग्रामीण बेरोजगारी 11.3% दर्ज की गई.
'बिहार सरकार ने वर्ष 2012 के बाद से ही सरकारी नौकरियों पर रोक लगा दी है. राज्य में निजी क्षेत्र में भी इन्वेस्टमेंट नहीं होने के कारण प्राइवेट नौकरियों की भी कमी है. ऐसे में नीतीश सरकार युवाओं की दुश्मन बन गई है. हम इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे और सरकार को जवाब देना होगा.'- असित नाथ तिवारी, कांग्रेस प्रवक्ता
26 जुलाई से मानसून सत्र के ऐलान के साथ ही बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) और बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) दोनों जगह इसकी तैयारियां शुरू हो गई है. राजनीतिक दल भी अखाड़े में उतरने के लिए तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में सीएमआईई की रिपोर्ट ने विपक्ष को बैठे बिठाए एक और बड़ा मुद्दा दे दिया है जिसका जवाब देना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.