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महात्मा गांधी सेतु के पश्चिमी लेन के उद्घाटन की 6 बार बदली तिथियां - Road Construction Minister Nandkishore Yadav

उत्तर बिहार को जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु का पश्चिमी लेन 2018 में ही शुरू हो जाना था, लेकिन हर बार उद्घाटन की तिथि बदलती रही. पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने इस साल 15 जून को शुरू होने की बात कही थी. लेकिन 15 जुलाई बीत चुकी है और अब तक पश्चिमी लेन शुरू नहीं हुई है.

Gandhi Setu
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Published : Jul 19, 2020, 1:58 PM IST

पटनाः उत्तर बिहार को जोड़ने वाले 5.575 किलोमीटर महात्मा गांधी सेतु के पश्चिमी लेन का जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है. लेकिन जीर्णोद्धार की गति काफी धीमी है. अब तक पश्चिमी लेन के उद्घाटन की तिथि 6 बार घोषित हुई है. लेकिन सब फेल हो चुका है. अभी भी पिचिंग का काम खत्म नहीं हुआ है. अगर काम चला तो जुलाई का पूरा महीना लग सकता है.

2018 में शुरू होना था, लेकिन कार्य नहीं हुआ पूरा
ऐसे तो उत्तर बिहार को जोड़ने वाले गांधी सेतु का पश्चिमी लेन 2018 में ही शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन हर बार उद्घाटन की तिथि बदलती रही. पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने इस साल 15 जून को शुरू होने की बात कही थी. लेकिन 15 जुलाई बीत चुकी है और अब तक पश्चिमी लेन शुरू नहीं हो सका है. अब जब पीपा पुल भी खुल चुका है. ऐसे में लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गांधी सेतु के पूर्वी लेन पर भारी ट्रकों का परिचालन भी पूरी तरह बंद है. पिछले एक साल से उत्तर बिहार की तरफ बालू, गिट्टी सहित अन्य महत्वपूर्ण सामग्री भेजने में खासी परेशानी हो रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सेतु के जीर्णोद्धार के लिए 1400 करोड़ की राशि खर्च
बता दें कि गांधी सेतु के जीर्णोद्धार का कार्य केंद्र और राज्य सरकार के बीच 2014 में सहमति के बाद शुरू हुआ था. इस सेतु के जीर्णोद्धार के लिए 1400 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो रही है. आईआईटी विशेषज्ञों से अध्ययन कराने के बाद 2017 में गांधी सेतु की मरम्मती का काम शुरू हुआ. गांधी सेतु के कंक्रीट का सुपर स्ट्रक्चर हाजीपुर साइड से पहले काट कर हटाया गया और 45 स्पैन बनाए गए. एक स्पैन में 33 हजार मैट्रिक टन स्टील लगा है. वहीं मुंबई की एजेंसी एप्कॉन्स को नवंबर 2018 में ही इसे चालू करने का लक्ष्य दिया था. लेकिन पुराने स्ट्रक्चर को काटने में ही काफी समय लग गया. फिर गंगा में पानी अधिक होने के कारण भी जीर्णोद्धार कार्य पर असर पड़ा.

गांधी सेतु के जीर्णोद्धार के उद्घाटन की तिथि

  • नवंबर 2018 में सबसे पहले रखी गयी उद्घाटन की तिथि
  • फिर जून 2019 के शुरू होने का समय रखा गया
  • दिसंबर 2019 का उसके बाद समय तय किया गया
  • मार्च 2020 में इसके शुरू होने की बात कही गई. लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण यह भी फेल हो गया
  • अप्रैल में जब फिर से काम शुरू हुआ तो 15 जून की तिथि तय की गई लेकिन वह भी फेल हो गया
  • पथ निर्माण विभाग की ओर से जुलाई में गांधी सेतु के पश्चिमी लेन शुरू करने की बात कही गई थी. लेकिन अभी तक कार्य पूरा नहीं हुआ है

पश्चिमी लेन शुरू होने के बाद पूर्वी लेन का जीर्णोधार
गौरतलब है कि 1969 में महात्मा गांधी सेतु की नींव रखी गई थी. जिसके बाद 1972 से सेतु बनाने का काम शुरू हुआ. 1982 में इंदिरा गांधी ने इसकी एक लेन की शुरुआत की थी और 1987 में गांधी सेतु का दूसरा लैंड भी शुरू हुआ. जिसके 100 साल चलने का दावा किया गया था. लेकिन 1991 से ही मरम्मती को लेकर इस पर चर्चा शुरू हो गई और कुछ सालों बाद ही इसमें दरार भी दिखने लगा. दरार को ठीक करने की कई बार कोशिश हुई. लेकिन पुल की स्थिति लगातार खराब होती गई और अंत में कई सालों बाद 2014 में केंद्र और राज्य सरकार ने इसकी जीर्णोद्धार का कार्य करने का फैसला लिया. जिसमें सुपरस्ट्रक्चर को चेंज कर स्टील का स्ट्रक्चर लगाने का निर्णय लिया गया और उस पर कार्य चल रहा है. लेकिन पूरा करने के लिए तय लक्ष्य से डेढ़ साल से भी अधिक पीछे चल रहा है. 2020 में पूर्वी लेन के जीर्णोद्धार का कार्य भी पूरा होना था. तो अब इसमें कम से कम 2 साल और समय लगेगा.

पटनाः उत्तर बिहार को जोड़ने वाले 5.575 किलोमीटर महात्मा गांधी सेतु के पश्चिमी लेन का जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है. लेकिन जीर्णोद्धार की गति काफी धीमी है. अब तक पश्चिमी लेन के उद्घाटन की तिथि 6 बार घोषित हुई है. लेकिन सब फेल हो चुका है. अभी भी पिचिंग का काम खत्म नहीं हुआ है. अगर काम चला तो जुलाई का पूरा महीना लग सकता है.

2018 में शुरू होना था, लेकिन कार्य नहीं हुआ पूरा
ऐसे तो उत्तर बिहार को जोड़ने वाले गांधी सेतु का पश्चिमी लेन 2018 में ही शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन हर बार उद्घाटन की तिथि बदलती रही. पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने इस साल 15 जून को शुरू होने की बात कही थी. लेकिन 15 जुलाई बीत चुकी है और अब तक पश्चिमी लेन शुरू नहीं हो सका है. अब जब पीपा पुल भी खुल चुका है. ऐसे में लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गांधी सेतु के पूर्वी लेन पर भारी ट्रकों का परिचालन भी पूरी तरह बंद है. पिछले एक साल से उत्तर बिहार की तरफ बालू, गिट्टी सहित अन्य महत्वपूर्ण सामग्री भेजने में खासी परेशानी हो रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सेतु के जीर्णोद्धार के लिए 1400 करोड़ की राशि खर्च
बता दें कि गांधी सेतु के जीर्णोद्धार का कार्य केंद्र और राज्य सरकार के बीच 2014 में सहमति के बाद शुरू हुआ था. इस सेतु के जीर्णोद्धार के लिए 1400 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो रही है. आईआईटी विशेषज्ञों से अध्ययन कराने के बाद 2017 में गांधी सेतु की मरम्मती का काम शुरू हुआ. गांधी सेतु के कंक्रीट का सुपर स्ट्रक्चर हाजीपुर साइड से पहले काट कर हटाया गया और 45 स्पैन बनाए गए. एक स्पैन में 33 हजार मैट्रिक टन स्टील लगा है. वहीं मुंबई की एजेंसी एप्कॉन्स को नवंबर 2018 में ही इसे चालू करने का लक्ष्य दिया था. लेकिन पुराने स्ट्रक्चर को काटने में ही काफी समय लग गया. फिर गंगा में पानी अधिक होने के कारण भी जीर्णोद्धार कार्य पर असर पड़ा.

गांधी सेतु के जीर्णोद्धार के उद्घाटन की तिथि

  • नवंबर 2018 में सबसे पहले रखी गयी उद्घाटन की तिथि
  • फिर जून 2019 के शुरू होने का समय रखा गया
  • दिसंबर 2019 का उसके बाद समय तय किया गया
  • मार्च 2020 में इसके शुरू होने की बात कही गई. लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण यह भी फेल हो गया
  • अप्रैल में जब फिर से काम शुरू हुआ तो 15 जून की तिथि तय की गई लेकिन वह भी फेल हो गया
  • पथ निर्माण विभाग की ओर से जुलाई में गांधी सेतु के पश्चिमी लेन शुरू करने की बात कही गई थी. लेकिन अभी तक कार्य पूरा नहीं हुआ है

पश्चिमी लेन शुरू होने के बाद पूर्वी लेन का जीर्णोधार
गौरतलब है कि 1969 में महात्मा गांधी सेतु की नींव रखी गई थी. जिसके बाद 1972 से सेतु बनाने का काम शुरू हुआ. 1982 में इंदिरा गांधी ने इसकी एक लेन की शुरुआत की थी और 1987 में गांधी सेतु का दूसरा लैंड भी शुरू हुआ. जिसके 100 साल चलने का दावा किया गया था. लेकिन 1991 से ही मरम्मती को लेकर इस पर चर्चा शुरू हो गई और कुछ सालों बाद ही इसमें दरार भी दिखने लगा. दरार को ठीक करने की कई बार कोशिश हुई. लेकिन पुल की स्थिति लगातार खराब होती गई और अंत में कई सालों बाद 2014 में केंद्र और राज्य सरकार ने इसकी जीर्णोद्धार का कार्य करने का फैसला लिया. जिसमें सुपरस्ट्रक्चर को चेंज कर स्टील का स्ट्रक्चर लगाने का निर्णय लिया गया और उस पर कार्य चल रहा है. लेकिन पूरा करने के लिए तय लक्ष्य से डेढ़ साल से भी अधिक पीछे चल रहा है. 2020 में पूर्वी लेन के जीर्णोद्धार का कार्य भी पूरा होना था. तो अब इसमें कम से कम 2 साल और समय लगेगा.

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