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पटना में सिर्फ 587 नर्सिंग हॉस्पिटल हैं रजिस्टर्ड, 4 हजार से ज्यादा का हो रहा संचालन

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Published : Aug 23, 2020, 6:33 PM IST

सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी ने कहा कि वर्तमान में पटना जिले में 587 प्राइवेट हॉस्पिटल रजिस्टर्ड हैं. इनमें से भी अधिकांश के रजिस्ट्रेशन फेल हो चुके हैं, क्योंकि रजिस्ट्रेशन 2016 में हुआ था और यह 1 साल के लिए रजिस्ट्रेशन होता है.

पटना
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पटना: देश में प्राइवेट अस्पतालों के लिए साल 2016 में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू किया गया था. जिसके बाद से वर्तमान समय में इस एक्ट के तहत राजधानी पटना के सिविल सर्जन कार्यालय में मात्र 587 नर्सिंग होम रजिस्टर्ड है. हालांकि पटना में छोटे बड़े मिलाकर कुल 4 हजार से ज्यादा प्राइवेट नर्सिंग हॉस्पिटल है.

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट क्या है और क्यों सभी प्राइवेट हॉस्पिटल इस एक्ट के तहत अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराए हैं. इसका प्रमुख कारण क्या रहा है. इसके बारे में विशेष जानकारी पटना के सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी ने दी.

'रेफर करने से पहले करना होता है स्टेबलाइज'
डॉ. राजकिशोर चौधरी ने बताया कि पहले अस्पतालों में एक सिंपल रजिस्ट्रेशन होता था, जो कोई भी नर्सिंग संचालक सिविल सर्जन कार्यालय में आकर रजिस्ट्रेशन करा लेता था. लेकिन साल 2016 में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट भारत सरकार की तरफ से लाया गया था. इसे देश में लागू होना था. उन्होंने बताया कि इस एक्ट में प्रमुख बात यह है कि कोई भी पेशेंट किसी हॉस्पिटल में जाता है, तो उसे कहीं और रेफर करने से पहले स्टेबलाइज करना होता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

ऐसे में समस्या यह आ जाती है कि अगर कोई आंख का हॉस्पिटल है और वहां कोई हार्ट का मरीज पहुंच जाता है, तो वह उसे कहीं और रेफर करने से पहले कैसे स्टेबलाइज कर पाएगा. उन्होंने कहा कि आई हॉस्पिटल में आंखों के ही चिकित्सक होते हैं अन्य विभागों के नहीं. ऐसे में पेशेंट को कहीं और रेफर करने से पहले स्टेबलाइज करने में काफी समस्या आती है.

'रजिस्ट्रेशन कराने के लिए नहीं किया जा सकता बाध्य'
सिविल सर्जन ने कहा कि इस कारण कई अस्पताल संचालक फैसले के खिलाफ कोर्ट चले गए और अभी यह मामला कोर्ट में है. इसलिए सभी प्राइवेट नर्सिंग हॉस्पिटल को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

उन्होंने बताया कि जिन अस्पताल संचालकों को सरकार की सुविधाओं में सहभागी बनना होता है. जैसे कि आयुष्मान भारत का इंपैनल बनना होता है या फिर वर्तमान जैसी महामारी के समय कोरोना पेशेंट का इलाज करना हो या फिर अन्य प्रक्रियाएं जो सिविल सर्जन कार्यालय से निर्गत की जाती है. जैसे पीसी एंड पीएनजीटी एक्ट वह क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत सीएस ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराते हैं.

'587 प्राइवेट हॉस्पिटल रजिस्टर्ड है'
डॉ. राजकिशोर चौधरी ने कहा कि वर्तमान में पटना जिले में 587 प्राइवेट हॉस्पिटल रजिस्टर्ड है. इनमें से भी अधिकांश के रजिस्ट्रेशन फेल हो चुके हैं, क्योंकि रजिस्ट्रेशन 2016 में हुआ था और यह 1 साल के लिए रजिस्ट्रेशन होता है. उन्होंने कहा कि क्योंकि अभी रजिस्ट्रेशन का मामला कोर्ट में है. इसलिए सभी प्राइवेट हॉस्पिटल पर दबाव नहीं डाला जा सकता कि वह रजिस्ट्रेशन कराएं. जब तक सभी का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है, तब तक यह जानकारी दे पाना कठिन है कि जिले में कितने नर्सिंग होम कार्यरत हैं.

पटना: देश में प्राइवेट अस्पतालों के लिए साल 2016 में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू किया गया था. जिसके बाद से वर्तमान समय में इस एक्ट के तहत राजधानी पटना के सिविल सर्जन कार्यालय में मात्र 587 नर्सिंग होम रजिस्टर्ड है. हालांकि पटना में छोटे बड़े मिलाकर कुल 4 हजार से ज्यादा प्राइवेट नर्सिंग हॉस्पिटल है.

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट क्या है और क्यों सभी प्राइवेट हॉस्पिटल इस एक्ट के तहत अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराए हैं. इसका प्रमुख कारण क्या रहा है. इसके बारे में विशेष जानकारी पटना के सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी ने दी.

'रेफर करने से पहले करना होता है स्टेबलाइज'
डॉ. राजकिशोर चौधरी ने बताया कि पहले अस्पतालों में एक सिंपल रजिस्ट्रेशन होता था, जो कोई भी नर्सिंग संचालक सिविल सर्जन कार्यालय में आकर रजिस्ट्रेशन करा लेता था. लेकिन साल 2016 में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट भारत सरकार की तरफ से लाया गया था. इसे देश में लागू होना था. उन्होंने बताया कि इस एक्ट में प्रमुख बात यह है कि कोई भी पेशेंट किसी हॉस्पिटल में जाता है, तो उसे कहीं और रेफर करने से पहले स्टेबलाइज करना होता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

ऐसे में समस्या यह आ जाती है कि अगर कोई आंख का हॉस्पिटल है और वहां कोई हार्ट का मरीज पहुंच जाता है, तो वह उसे कहीं और रेफर करने से पहले कैसे स्टेबलाइज कर पाएगा. उन्होंने कहा कि आई हॉस्पिटल में आंखों के ही चिकित्सक होते हैं अन्य विभागों के नहीं. ऐसे में पेशेंट को कहीं और रेफर करने से पहले स्टेबलाइज करने में काफी समस्या आती है.

'रजिस्ट्रेशन कराने के लिए नहीं किया जा सकता बाध्य'
सिविल सर्जन ने कहा कि इस कारण कई अस्पताल संचालक फैसले के खिलाफ कोर्ट चले गए और अभी यह मामला कोर्ट में है. इसलिए सभी प्राइवेट नर्सिंग हॉस्पिटल को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

उन्होंने बताया कि जिन अस्पताल संचालकों को सरकार की सुविधाओं में सहभागी बनना होता है. जैसे कि आयुष्मान भारत का इंपैनल बनना होता है या फिर वर्तमान जैसी महामारी के समय कोरोना पेशेंट का इलाज करना हो या फिर अन्य प्रक्रियाएं जो सिविल सर्जन कार्यालय से निर्गत की जाती है. जैसे पीसी एंड पीएनजीटी एक्ट वह क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत सीएस ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराते हैं.

'587 प्राइवेट हॉस्पिटल रजिस्टर्ड है'
डॉ. राजकिशोर चौधरी ने कहा कि वर्तमान में पटना जिले में 587 प्राइवेट हॉस्पिटल रजिस्टर्ड है. इनमें से भी अधिकांश के रजिस्ट्रेशन फेल हो चुके हैं, क्योंकि रजिस्ट्रेशन 2016 में हुआ था और यह 1 साल के लिए रजिस्ट्रेशन होता है. उन्होंने कहा कि क्योंकि अभी रजिस्ट्रेशन का मामला कोर्ट में है. इसलिए सभी प्राइवेट हॉस्पिटल पर दबाव नहीं डाला जा सकता कि वह रजिस्ट्रेशन कराएं. जब तक सभी का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है, तब तक यह जानकारी दे पाना कठिन है कि जिले में कितने नर्सिंग होम कार्यरत हैं.

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