पटना: अनलॉक-1 में सरकार की ओर से जारी रियायत के बाद से लोगों की जिंंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है. लेकिन अभी भी स्कूल और कॉलेज बंद हैं. ढाई महीने से भी अधिक वक्त से शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण पूरे प्रदेश में शैक्षणिक गतिविधियां बंद हैं. स्कूल प्रबंधनों ने इस परेशानी का हल निकालते हुए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था शुरू की. लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों के लिए भी जी का जंजाल बन गई है.
'डिजिटल इंडिया की बदलती तस्वीर'
ऑनलाइन क्लास को लेकर पटना स्थित निजी स्कूल के डायरेक्टर प्रो. विजय कुमार प्रसाद ने बताया कि कोरोना के कारण देश भर के बच्चे घर से ही पढ़ रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ है, जब विद्यार्थी स्कूल के बजाए घर बैठे ही इंटरनेट और टीवी, रेडियो की मदद से पढ़ रहे हैं. यह डिजिटल इंडिया की बदलती तस्वीर की झलक है. हालांकि, अभी ऑनलाइन पढ़ाई में कई परेशानियां है. इंटरनेट की धीमी रफ्तार सबसे बड़ी मुसीबत बन रही है. यह बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए भी बिल्कुल नई है. बच्चों को कुछ भी समझाने के लिए आई-टू-आई कॉन्टेक्ट होना बेहद जरूरी है. इससे हमें यह समझ में आता है कि बच्चे कुछ समझ रहे हैं या नहीं. किसी अन्य गतिविधि जैसे फिजिकल क्लास तो हम ऑनलाइन करा सकते हैं. लेकिन टेक्निकली बच्चे चीजों को नहीं समझ पा रहे हैं.
'ऑनलाइन माध्यम से बच्चे को समझने में लग रहा समय'
फिटनेस टीचर अमित कुमार शर्मा बताते हैं कि स्कूल प्रबंधन की तरफ से बच्चों के परफॉर्मेंस को लेकर हमलोगों के ऊपर दबाव रहता है. पहले बच्चों को ऑफलाइन ट्रेनिंग करवाया जाता था. ऑनलाइन माध्यम से बच्चे उतने बेहतर तरीके से नहीं सीख पा रहे हैं. सत्र के अनुसार बच्चे काफी पीछे चल रहे हैं. सभी चीजें रिकवर करने में काफी समय लगेगा.
ऑनलाइन क्लास बच्चों के लिए मुसीबत
चिकित्सकों की मानें तो ऑनलाइन क्लास पूरे दिन में एक घंटे से अधिक का नहीं होना चाहिए. लंबे समय तक बच्चा जब लैपटॉप या मोबाइल के सामने बैठेंगे तो कई परेशानियां हो सकती है. बच्चों के आंखें, गर्दन और हाथों सभी में दर्द हो सकता है. डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करने से दिमाग में कॉन्सेप्ट को स्टोर करने की क्षमता भी प्रभावित होती है. बच्चे का वजन भी बढ़ सकता है, इससे उसकी लंबाई भी प्रभावित हो सकती है.