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'अगर आंदोलनकारी शब्द जोड़ दिया जाता तो सभी को पेंशन मिलता...हमलोग भी जेल गए थे'

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Published : Dec 6, 2021, 2:13 PM IST

जनता दरबार के बाहर एक बुजुर्ग अपनी पेंशन की समस्या को लेकर पहुंचे. जहां उन्होंने मुख्यमंत्री से जेपी पेंशन के लिए गुहार लगाई. पढ़ें पूरी खबर...

मुख्यमंत्री से जेपी पेंशन के लिए गुहार
मुख्यमंत्री से जेपी पेंशन के लिए गुहार

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar Janata Darbar) का जनता दरबार आज जारी है. सीएम सचिवालय स्थित (Chief Minister Secretariat) संवाद में जनता दरबार जारी है. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में आज कई मामलों की सुनवाई की जा रही है. इस बीच जनता दरबार के बाहर एक बुजुर्ग अपनी फरियाद लेकर पहुंचे. बुजुर्ग फरियादी जयप्रकाश नारायण का कहना है कि 1974 में 3 महीने के लिए जेपी आंदोलन में जेल गए थे. लेकिन हम लोगों पर मीसा और डीआर धारा नहीं लगाई गई. जिसके कारण पेंशन (Complained About JP Pension) नहीं मिल रहा है.

इसे भी पढ़ें: CM Janata Darbar: मदद मांगी तो जबरन किया गलत काम, मुख्यमंत्री जी.. न्याय कीजिए

जेपी आंदोलन में बड़ी संख्या में बिहार के लोगों ने भी भाग लिया था. जो लोग मीसा और डीआईआर के तहत गिरफ्तार हुए थे, उन लोगों को सरकार पेंशन दे रही है. वहीं, जनता दरबार के बाहर पहुंचे पटना के रहने वाले जयप्रकाश नारायण का कहना है कि पिछले 12 साल से आंदोलन कर रहे हैं. पेंशन के लिए बीच में 2015 में मुख्यमंत्री ने संशोधन भी किया. लेकिन उससे केवल महिलाओं को लाभ मिल रहा है. पुरुषों को अभी भी पेंशन से वंचित रखा गया है.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: नालंदा की बेटी... पटना में ससुराल, पुलिस नहीं कर रही है कार्रवाई, बोले सीएम- लगाओ डीएम को फोन

जयप्रकाश नारायण का यह भी कहना है कि भागलपुर जेल में 3 महीने तक जेपी आंदोलन में जेल गए थे. लेकिन प्रशासन के लोगों ने मीसा और डीआईआर धारा नहीं लगाया. जिसके कारण सरकार पेंशन नहीं दे रही है. धारा लगाना जिला प्रशासन का काम था. उसमें आंदोलनकारियों की कोई गलती नहीं थी. जयप्रकाश मुख्यमंत्री की तारीफ भी कर रहे हैं कि उन्होंने पेंशन बढ़ाया है लेकिन जो आंदोलनकारी बच गए हैं उनके भी पेंशन के लिए गुहार लगा रहे हैं.

'मुख्यमंत्री जी ऐसे लोगों को ही पेंशन दिए हैं, जो लोग मीसा और डीआईआर के तहत जेल गए थे. धारा लगाने का काम पुलिस प्रशासन का काम है. जेपी आंदोलन में हमलोग भी जेल गए. भागलपुर के जेल में हमलोग तीन महीने तक बंद थे. पिछले 12 साल से आंदोलन कर रहे हैं. पेंशन के लिए बीच में 2015 में मुख्यमंत्री ने संशोधन भी किया. लेकिन उससे केवल महिलाओं को लाभ मिल रहा है. पुरुषों को अभी भी पेंशन से वंचित रखा गया है.' -जयप्रकाश नारायण, फरियादी

बता दें कि अभी लगभग 2,600 लोगों को जेपी पेंशन सरकार दे रही है. अभी हाल ही में सरकार ने पेंशन में भी काफी बढ़ोतरी की है. पेंशन को 5,000 से बढ़ाकर 10,000 और साढ़े 7,000 से बढ़ाकर 15,000 कर दिया गया है.

दरअसल, जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम प्रत्येक महीने के पहले तीन सोमवार को आयोजित होता है. हर सोमवार को अलग-अलग विभाग की समस्याएं ली जाती हैं. जनता दरबार में जिस दिन जिस विभाग की समस्या सुनी जाती है, उस दिन उस विभाग के पदाधिकारी और मंत्री मौजूद रहते हैं.

प्रथम सोमवार: गृह राजस्व एवं भूमि सुधार, कारा, मद्य निषेध उत्पाद निबंधन विभाग, निगरानी विभाग और खान एवं भूतत्व विभाग के मामले लिए जाते हैं.

द्वितीय सोमवार : स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, पिछड़ा अति पिछड़ा विभाग, विज्ञान एवं प्रावैधिकी, सूचना प्रावैधिकी कला संस्कृति, वित्त, श्रम संसाधन व अन्य विभागों की शिकायतें सुनी जाती है.

तृतीय सोमवार : ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य, पंचायती राज, ऊर्जा, पथ निर्माण, पीएचईडी, गन्ना विकास, सहकारिता, पशु व मत्स्य संसाधन, जल संसाधन, लघु जल संसाधन, नगर विकास, सूचना एवं जन संपर्क विभाग, वन एवं पर्यावरण, भवन निर्माण व अन्य विभागों के मामले लिए जाते हैं.

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पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar Janata Darbar) का जनता दरबार आज जारी है. सीएम सचिवालय स्थित (Chief Minister Secretariat) संवाद में जनता दरबार जारी है. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में आज कई मामलों की सुनवाई की जा रही है. इस बीच जनता दरबार के बाहर एक बुजुर्ग अपनी फरियाद लेकर पहुंचे. बुजुर्ग फरियादी जयप्रकाश नारायण का कहना है कि 1974 में 3 महीने के लिए जेपी आंदोलन में जेल गए थे. लेकिन हम लोगों पर मीसा और डीआर धारा नहीं लगाई गई. जिसके कारण पेंशन (Complained About JP Pension) नहीं मिल रहा है.

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जेपी आंदोलन में बड़ी संख्या में बिहार के लोगों ने भी भाग लिया था. जो लोग मीसा और डीआईआर के तहत गिरफ्तार हुए थे, उन लोगों को सरकार पेंशन दे रही है. वहीं, जनता दरबार के बाहर पहुंचे पटना के रहने वाले जयप्रकाश नारायण का कहना है कि पिछले 12 साल से आंदोलन कर रहे हैं. पेंशन के लिए बीच में 2015 में मुख्यमंत्री ने संशोधन भी किया. लेकिन उससे केवल महिलाओं को लाभ मिल रहा है. पुरुषों को अभी भी पेंशन से वंचित रखा गया है.

देखें रिपोर्ट.

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जयप्रकाश नारायण का यह भी कहना है कि भागलपुर जेल में 3 महीने तक जेपी आंदोलन में जेल गए थे. लेकिन प्रशासन के लोगों ने मीसा और डीआईआर धारा नहीं लगाया. जिसके कारण सरकार पेंशन नहीं दे रही है. धारा लगाना जिला प्रशासन का काम था. उसमें आंदोलनकारियों की कोई गलती नहीं थी. जयप्रकाश मुख्यमंत्री की तारीफ भी कर रहे हैं कि उन्होंने पेंशन बढ़ाया है लेकिन जो आंदोलनकारी बच गए हैं उनके भी पेंशन के लिए गुहार लगा रहे हैं.

'मुख्यमंत्री जी ऐसे लोगों को ही पेंशन दिए हैं, जो लोग मीसा और डीआईआर के तहत जेल गए थे. धारा लगाने का काम पुलिस प्रशासन का काम है. जेपी आंदोलन में हमलोग भी जेल गए. भागलपुर के जेल में हमलोग तीन महीने तक बंद थे. पिछले 12 साल से आंदोलन कर रहे हैं. पेंशन के लिए बीच में 2015 में मुख्यमंत्री ने संशोधन भी किया. लेकिन उससे केवल महिलाओं को लाभ मिल रहा है. पुरुषों को अभी भी पेंशन से वंचित रखा गया है.' -जयप्रकाश नारायण, फरियादी

बता दें कि अभी लगभग 2,600 लोगों को जेपी पेंशन सरकार दे रही है. अभी हाल ही में सरकार ने पेंशन में भी काफी बढ़ोतरी की है. पेंशन को 5,000 से बढ़ाकर 10,000 और साढ़े 7,000 से बढ़ाकर 15,000 कर दिया गया है.

दरअसल, जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम प्रत्येक महीने के पहले तीन सोमवार को आयोजित होता है. हर सोमवार को अलग-अलग विभाग की समस्याएं ली जाती हैं. जनता दरबार में जिस दिन जिस विभाग की समस्या सुनी जाती है, उस दिन उस विभाग के पदाधिकारी और मंत्री मौजूद रहते हैं.

प्रथम सोमवार: गृह राजस्व एवं भूमि सुधार, कारा, मद्य निषेध उत्पाद निबंधन विभाग, निगरानी विभाग और खान एवं भूतत्व विभाग के मामले लिए जाते हैं.

द्वितीय सोमवार : स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, पिछड़ा अति पिछड़ा विभाग, विज्ञान एवं प्रावैधिकी, सूचना प्रावैधिकी कला संस्कृति, वित्त, श्रम संसाधन व अन्य विभागों की शिकायतें सुनी जाती है.

तृतीय सोमवार : ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य, पंचायती राज, ऊर्जा, पथ निर्माण, पीएचईडी, गन्ना विकास, सहकारिता, पशु व मत्स्य संसाधन, जल संसाधन, लघु जल संसाधन, नगर विकास, सूचना एवं जन संपर्क विभाग, वन एवं पर्यावरण, भवन निर्माण व अन्य विभागों के मामले लिए जाते हैं.

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