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शराब धंधेबाजों से मिलीभगत के आरोप में दारोगा गया था जेल, IO की लापरवाही के कारण मिली बेल

शराब बेचने के आरोप में जेल जाने वाले मद्य निषेध विभाग ( Bihar Prohibition Department) के अधिकारी के खिलाफ 2 महीने में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई. जिस वजह से उसे जमानत मिल गई है. सवाल उठने पर सहायक आयुक्त ने अब मामले में जांच की बात कही है.

शराब के धंधेबाज
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Published : Aug 3, 2021, 11:00 PM IST

पटना: मद्य निषेध विभाग ( Bihar Prohibition Department) का विवादों से पुराना नाता रहा है. अब एक बार फिर विभाग के एक दारोगा विजय कुमार पर शराब के धंधेबाजों से मिलीभगत का आरोप लगा है. इस मामले में उसे जेल भी भेजा गया था, लेकिन 2 महीने बाद वो बाहर घूम आ रहा है. ऐसे में गंभीर सवाल उठने लगे हैं.

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दरअसल 15 अप्रैल को खुलेआम देसी शराब की बिक्री करने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया था. उसके पास से 80 लीटर शराब भी जप्त की गई थी. जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया था, लेकिन जांच अधिकारी (IO) की ओर से आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाने के कारण आरोपी 60 दिनों के भीतर ही बेल पर छूट गया.

आपको बताएं कि शिकायतकर्ता ने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के मुख्य सचिव से इस मामले में लिखित शिकायत की थी कि 15 अप्रैल के दिन विक्की के साथ चितकोहरा से युवराज सिंह नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया था. एक तरफ पुलिस ने जहां विक्की को जेल भेज दिया, वहीं युवराज से एक लाख रुपए लेकर उसे छोड़ दिया था.

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वहीं, छापेमारी के दो-दो प्रतिवेदन और जब्त की लिस्ट में सिर्फ विक्की का नाम था, जबकि दूसरा प्रतिवेदन में विक्की और युवराज दोनों का नाम था. दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजने से पहले अस्पताल में कोरोना टेस्ट कराया गया था. जिसमें विक्की की रिपोर्ट नेगेटिव और युवराज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी.

इस मामले में पुलिस द्वारा सिर्फ एक अभियुक्त विक्की को ही जेल भेजा गया था. मद्य निषेध विभाग के सहायक आयुक्त किशोर शाह से ईटीवी भारत की टेलिफोनिक बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी उन्हें प्राप्त हुई है, जिसकी जांच की जा रही है. साथ ही संबंधित आईओ (IO) से स्पष्टीकरण मांगा गया है.

पटना: मद्य निषेध विभाग ( Bihar Prohibition Department) का विवादों से पुराना नाता रहा है. अब एक बार फिर विभाग के एक दारोगा विजय कुमार पर शराब के धंधेबाजों से मिलीभगत का आरोप लगा है. इस मामले में उसे जेल भी भेजा गया था, लेकिन 2 महीने बाद वो बाहर घूम आ रहा है. ऐसे में गंभीर सवाल उठने लगे हैं.

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दरअसल 15 अप्रैल को खुलेआम देसी शराब की बिक्री करने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया था. उसके पास से 80 लीटर शराब भी जप्त की गई थी. जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया था, लेकिन जांच अधिकारी (IO) की ओर से आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाने के कारण आरोपी 60 दिनों के भीतर ही बेल पर छूट गया.

आपको बताएं कि शिकायतकर्ता ने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के मुख्य सचिव से इस मामले में लिखित शिकायत की थी कि 15 अप्रैल के दिन विक्की के साथ चितकोहरा से युवराज सिंह नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया था. एक तरफ पुलिस ने जहां विक्की को जेल भेज दिया, वहीं युवराज से एक लाख रुपए लेकर उसे छोड़ दिया था.

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वहीं, छापेमारी के दो-दो प्रतिवेदन और जब्त की लिस्ट में सिर्फ विक्की का नाम था, जबकि दूसरा प्रतिवेदन में विक्की और युवराज दोनों का नाम था. दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजने से पहले अस्पताल में कोरोना टेस्ट कराया गया था. जिसमें विक्की की रिपोर्ट नेगेटिव और युवराज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी.

इस मामले में पुलिस द्वारा सिर्फ एक अभियुक्त विक्की को ही जेल भेजा गया था. मद्य निषेध विभाग के सहायक आयुक्त किशोर शाह से ईटीवी भारत की टेलिफोनिक बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी उन्हें प्राप्त हुई है, जिसकी जांच की जा रही है. साथ ही संबंधित आईओ (IO) से स्पष्टीकरण मांगा गया है.

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