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दिन प्रतिदिन बढ़ रही वाहनों की संख्या, ट्रैफिक पुलिस के पदों का नहीं हो रहा है सृजन

राजधानी पटना समेत बिहार के बड़े शहरों में ट्रैफिक की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रही है. हर साल वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन ट्रैफिक पुलिस के संसाधन और उनके पदों का सृजन नहीं हो पा रहा है.

patna traffic police
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Published : Feb 12, 2021, 7:34 PM IST

पटना: हर साल गाड़ियों की संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन उस हिसाब से ट्रैफिक पुलिस के संसाधन और उनके पदों का सृजन नहीं हो रहा है. जिस वजह से खासकर राजधानी पटना की ट्रैफिक की समस्या बढ़ती जा रही है.

patna traffic police
पटना की ट्रैफिक बड़ी समस्या

यह भी पढ़ें- सुमित सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल कर नीतीश ने साधा एक तीर से दो निशाना?

पटना की ट्रैफिक बड़ी समस्या
राजधानी पटना के ट्रैफिक संचालन के लिए महज 1000 पुलिसकर्मी हैं. जिनकी बदौलत ट्रैफिक का संचालन होता है. पटना ट्रैफिक पुलिस के पास जवान और अधिकारी को मिलाकर इन दिनों लगभग 1000 पुलिसकर्मी है. इनके पदों का सृजन 2005 के पटना शहर के वाहन लोड और आबादी को देखते हुए किया गया था.

patna traffic police
ट्रैफिक पुलिस के पद का नहीं हो रहा सृजन

ट्रैफिक पुलिस के पद का नहीं हो रहा सृजन
राजधानी के कुछ चौक चौराहों को छोड़ दिया जाए तो पुलिसकर्मियों के बैठने या उनके लिए बुनियादी सुविधा, शौचालय तक मुहैया नहीं है. पुरुष पुलिसकर्मी शौचालय की समस्या से परेशान हैं तो उनके साथ साथ सड़कों पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

patna traffic police
संसाधनों की कमी

महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय नहीं
पटना में यातायात रेगुलेशन के लिए केवल 10 दस्ते मौजूद हैं तो वहीं वाहनों की कमी के कारण एक दो दस्ते काम नहीं कर पाते हैं. जबकि राजधानी पटना में वाहनों की क्षमता के अनुसार 20 रेगुलेशन दस्ते की जरूरत है.

patna traffic police
महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय नहीं

संसाधनों की कमी
परिवहन विभाग ने हर जिले में एक ट्रैफिक पार्क बनाने का निर्णय लिया है. इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है जिसके बाद राज्य सरकार से स्वीकृति ली जाएगी. फिलहाल पटना गया और मुजफ्फरपुर में अस्थाई ट्रैफिक बनाया जा रहा है जहां पर आम लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा.

patna traffic police
ट्रैफिक की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रही है

वाहन ज्यादा पुलिस कम
जब 2005 में पटना शहर के वाहन लोड और आबादी को देखते हुए 1000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. उन दिनों लगभग चार लाख वाहन प्रतिदिन सड़क पर दौड़ते थे. पिछले 16 वर्षों में वाहनों की संख्या लगभग 3 गुना बढ़ गयी है. लेकिन सृजित पदों की संख्या में इजाफा नहीं हो पाया है.

एक नजर में जानिये ट्रैफिक पुलिस और व्यवस्था का हाल

  • पटना डीटीओ में मार्च 2019 तक कुल 17 लाख वाहन पंजीकृत थे.
  • उनमें 1200000 वाहन चलने की स्थिति में है जबकि 500000 वाहन पुराने और जर्जर होने के कारण सड़को से दूर हैं.
  • पटना में 13 लाख वाहन ऐसे हैं जो चलने लायक हैं.
  • उनमें से करीबन 10 लाख वाहन हर दिन पटना के सड़कों पर दौड़ रहे हैं.
  • अन्य जिलों से भी लगभग 1 से 2 लाख वाहन प्रतिदिन पटना में आते हैं.
  • ट्रैफिक की समस्या से निजात के लिए राज्य में पहली बार आईजी ट्रैफिक पद का सृजन किया गया है.
  • एमआर नायक के पहली बार आईजी ट्रैफिक बने हैं.

पटना: हर साल गाड़ियों की संख्या में इजाफा हो रहा है लेकिन उस हिसाब से ट्रैफिक पुलिस के संसाधन और उनके पदों का सृजन नहीं हो रहा है. जिस वजह से खासकर राजधानी पटना की ट्रैफिक की समस्या बढ़ती जा रही है.

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पटना की ट्रैफिक बड़ी समस्या

यह भी पढ़ें- सुमित सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल कर नीतीश ने साधा एक तीर से दो निशाना?

पटना की ट्रैफिक बड़ी समस्या
राजधानी पटना के ट्रैफिक संचालन के लिए महज 1000 पुलिसकर्मी हैं. जिनकी बदौलत ट्रैफिक का संचालन होता है. पटना ट्रैफिक पुलिस के पास जवान और अधिकारी को मिलाकर इन दिनों लगभग 1000 पुलिसकर्मी है. इनके पदों का सृजन 2005 के पटना शहर के वाहन लोड और आबादी को देखते हुए किया गया था.

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ट्रैफिक पुलिस के पद का नहीं हो रहा सृजन

ट्रैफिक पुलिस के पद का नहीं हो रहा सृजन
राजधानी के कुछ चौक चौराहों को छोड़ दिया जाए तो पुलिसकर्मियों के बैठने या उनके लिए बुनियादी सुविधा, शौचालय तक मुहैया नहीं है. पुरुष पुलिसकर्मी शौचालय की समस्या से परेशान हैं तो उनके साथ साथ सड़कों पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

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संसाधनों की कमी

महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय नहीं
पटना में यातायात रेगुलेशन के लिए केवल 10 दस्ते मौजूद हैं तो वहीं वाहनों की कमी के कारण एक दो दस्ते काम नहीं कर पाते हैं. जबकि राजधानी पटना में वाहनों की क्षमता के अनुसार 20 रेगुलेशन दस्ते की जरूरत है.

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महिला पुलिसकर्मियों के लिए शौचालय नहीं

संसाधनों की कमी
परिवहन विभाग ने हर जिले में एक ट्रैफिक पार्क बनाने का निर्णय लिया है. इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है जिसके बाद राज्य सरकार से स्वीकृति ली जाएगी. फिलहाल पटना गया और मुजफ्फरपुर में अस्थाई ट्रैफिक बनाया जा रहा है जहां पर आम लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा.

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ट्रैफिक की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रही है

वाहन ज्यादा पुलिस कम
जब 2005 में पटना शहर के वाहन लोड और आबादी को देखते हुए 1000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. उन दिनों लगभग चार लाख वाहन प्रतिदिन सड़क पर दौड़ते थे. पिछले 16 वर्षों में वाहनों की संख्या लगभग 3 गुना बढ़ गयी है. लेकिन सृजित पदों की संख्या में इजाफा नहीं हो पाया है.

एक नजर में जानिये ट्रैफिक पुलिस और व्यवस्था का हाल

  • पटना डीटीओ में मार्च 2019 तक कुल 17 लाख वाहन पंजीकृत थे.
  • उनमें 1200000 वाहन चलने की स्थिति में है जबकि 500000 वाहन पुराने और जर्जर होने के कारण सड़को से दूर हैं.
  • पटना में 13 लाख वाहन ऐसे हैं जो चलने लायक हैं.
  • उनमें से करीबन 10 लाख वाहन हर दिन पटना के सड़कों पर दौड़ रहे हैं.
  • अन्य जिलों से भी लगभग 1 से 2 लाख वाहन प्रतिदिन पटना में आते हैं.
  • ट्रैफिक की समस्या से निजात के लिए राज्य में पहली बार आईजी ट्रैफिक पद का सृजन किया गया है.
  • एमआर नायक के पहली बार आईजी ट्रैफिक बने हैं.
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