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'उड़ता पंजाब' की राह पर बिहार! नशा उन्मूलन केंद्र में भी बढ़ी नाबालिगों की संख्या

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Published : Nov 21, 2019, 12:16 PM IST

बिहार में नशे की दवाई और इंजेक्शन का प्रयोग धड़ल्ले से जारी है. नशा उन्मूलन केंद्र की कर्मी राखी शर्मा ने बताया कि पहले जो नशा उन्मूलन केंद्र आते थे, उनकी उम्र 20 वर्ष से ज्यादा होती थी. लेकिन अब 13 से 14 साल के बच्चे भी आ रहे हैं. ब्राउन शुगर की लत नाबालिगों को सबसे ज्यादा है.

नशा उन्मूलन केंद्र में बढ़ी नाबालिगों की संख्या

पटना: राज्य सरकार ने भले ही सूबे में शराबबंदी कानून लागू कर दिया है लेकिन नशे के सौदागरों की जड़ें काफी मजबूत हो चुकी हैं. आलम ये है कि अब बिहार भी 'उड़ता पंजाब' की तरह उड़ता बिहार बनने की राह पर चल पड़ा है. शराबबंदी के बाद बिहार में मादक पदार्थों की बरामदगी का आंकड़ा अब पहले के मुकाबले 1000 गुना तक बढ़ गया है. ब्राउन शुगर, अफीम, गांजा, चरस और हेरोइन से लेकर नशे की दवाइयों का सेवन का शौक युवाओं पर इस कदर चढ़ा है कि शराबियों की संख्या तो अब इनसे पीछे ही छूट गई है.

बच्चे और नौजवान बहुत ही तेजी के साथ मादक पदार्थों के सेवन के आदि हो रहे हैं. खासकर राजधानी के युवाओं में इसका आकर्षण काफी बढ़ता हुआ देखा जा रहा है. इसका जीता जागता सबूत शराबबंदी के बाद गांजा, अफीम और हेरोइन की लगातार हो रही बरामदगी है. हाल के महीनों में ही राजधानी में करोड़ों के मादक पदार्थों की खेप जब्त की गई थी.

patna
नशा उन्मूलन केंद्र

बच्चों को लेकर नशा उन्मूलन केंद्र पहुंच रहे परिजन
नशे के शिकार कई युवा अब नशा उन्मूलन केंद्र में भर्ती होते दिख रहे हैं. पहले के मुकाबले इनकी संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. अपने बच्चों को लेकर नशा उन्मूलन केंद्र और अस्पताल पहुंचे परिजन कहते हैं कि जिन बच्चों के सहारे वो अपना बुढ़ापा गुजारना चाहते थे, आज उन्हें ही अपने जवान बच्चों का सहारा बनना पड़ रहा है. नशे की लत से लोग कई तरह की बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं.

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नशा उन्मूलन केंद्र की कर्मी राखी शर्मा

नाबालिग भी हो रहे हैं नशे का शिकार
नशा उन्मूलन केंद्र की कर्मी राखी शर्मा से जब ईटीवी भारत ने बात की तो काफी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. राखी ने बताया कि पहले जो नशा उन्मूलन केंद्र आते थे उनकी उम्र 20 वर्ष से ज्यादा होती थी. लेकिन अब 13 से 14 साल के बच्चे भी आ रहे हैं. किसी को ड्रग्स की आदत है तो किसी को ब्राउन शुगर की. राजधानी में सबसे ज्यादा ब्राउन शुगर की लत नाबालिग बच्चों को है जो उनके सेंटर में आ रहे हैं.

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नशा उन्मूलन केंद्र में बढ़ी नाबालिगों की संख्या

पिछले कई महीनों से चल रहा है इलाज
नशे की दवाई और इंजेक्शन का प्रयोग जिले में धड़ल्ले से जारी है. नशा उन्मूलन केंद्र में भर्ती 12 साल के सोनू ने बताया कि उसे स्मैक पीने की लत लग गई थी. दोस्तों ने उसे स्मैक की लत लगाई थी. आज वो इस नशे की लत से निकलने के लिए नशा उन्मूलन सेंटर में अपना इलाज पिछले कई महीनों से करा रहा है.

जानकारी देते मरीज के परिजन और नशा उन्मूलन केंद्र की कर्मी

ड्रग्स की जब्ती में 1000 प्रतिशत तक हुई बढ़ोतरी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2015 में जब शराबबंदी पूरी तरह से बिहार में लागू हुई थी, उसके बाद से बिहार में ड्रग्स की जब्ती में 1000 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पटना जोन के मुताबिक ओपियम और आशीष जैसे ड्रग्स की जब्ती मामले में बिहार देश में अव्वल रहा है. गांजा जब्ती की अगर हम बात करें तो आंध्र प्रदेश के बाद बिहार दूसरे नंबर पर आता है.

ये भी पढ़ें- नवादा: 'राष्ट्रीय वयोश्री योजना' के तहत बुजुर्गों को दिए जाएंगे कृत्रिम यंत्र, इन जगहों पर लगेगा शिविर

बड़े पैमाने पर हो रहा है नशे का कारोबार
साल 2015 में राज्य में 14.4 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया था. 2016 में ये 10 हजार 800 किलोग्राम तक पहुंच गया. अगर 2017 की बात करें तो 28,888 किलो और 2018 में 40,670 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया है. इतने बड़े पैमाने पर हो रही बरामदगी ये बताने के लिए काफी है कि बिहार में कितने बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार हो रहा है. इससे ये साफ है कि शराब के विकल्प के बाद लोग इन मादक पदार्थों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रहे हैं.

पटना: राज्य सरकार ने भले ही सूबे में शराबबंदी कानून लागू कर दिया है लेकिन नशे के सौदागरों की जड़ें काफी मजबूत हो चुकी हैं. आलम ये है कि अब बिहार भी 'उड़ता पंजाब' की तरह उड़ता बिहार बनने की राह पर चल पड़ा है. शराबबंदी के बाद बिहार में मादक पदार्थों की बरामदगी का आंकड़ा अब पहले के मुकाबले 1000 गुना तक बढ़ गया है. ब्राउन शुगर, अफीम, गांजा, चरस और हेरोइन से लेकर नशे की दवाइयों का सेवन का शौक युवाओं पर इस कदर चढ़ा है कि शराबियों की संख्या तो अब इनसे पीछे ही छूट गई है.

बच्चे और नौजवान बहुत ही तेजी के साथ मादक पदार्थों के सेवन के आदि हो रहे हैं. खासकर राजधानी के युवाओं में इसका आकर्षण काफी बढ़ता हुआ देखा जा रहा है. इसका जीता जागता सबूत शराबबंदी के बाद गांजा, अफीम और हेरोइन की लगातार हो रही बरामदगी है. हाल के महीनों में ही राजधानी में करोड़ों के मादक पदार्थों की खेप जब्त की गई थी.

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नशा उन्मूलन केंद्र

बच्चों को लेकर नशा उन्मूलन केंद्र पहुंच रहे परिजन
नशे के शिकार कई युवा अब नशा उन्मूलन केंद्र में भर्ती होते दिख रहे हैं. पहले के मुकाबले इनकी संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. अपने बच्चों को लेकर नशा उन्मूलन केंद्र और अस्पताल पहुंचे परिजन कहते हैं कि जिन बच्चों के सहारे वो अपना बुढ़ापा गुजारना चाहते थे, आज उन्हें ही अपने जवान बच्चों का सहारा बनना पड़ रहा है. नशे की लत से लोग कई तरह की बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं.

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नशा उन्मूलन केंद्र की कर्मी राखी शर्मा

नाबालिग भी हो रहे हैं नशे का शिकार
नशा उन्मूलन केंद्र की कर्मी राखी शर्मा से जब ईटीवी भारत ने बात की तो काफी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. राखी ने बताया कि पहले जो नशा उन्मूलन केंद्र आते थे उनकी उम्र 20 वर्ष से ज्यादा होती थी. लेकिन अब 13 से 14 साल के बच्चे भी आ रहे हैं. किसी को ड्रग्स की आदत है तो किसी को ब्राउन शुगर की. राजधानी में सबसे ज्यादा ब्राउन शुगर की लत नाबालिग बच्चों को है जो उनके सेंटर में आ रहे हैं.

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नशा उन्मूलन केंद्र में बढ़ी नाबालिगों की संख्या

पिछले कई महीनों से चल रहा है इलाज
नशे की दवाई और इंजेक्शन का प्रयोग जिले में धड़ल्ले से जारी है. नशा उन्मूलन केंद्र में भर्ती 12 साल के सोनू ने बताया कि उसे स्मैक पीने की लत लग गई थी. दोस्तों ने उसे स्मैक की लत लगाई थी. आज वो इस नशे की लत से निकलने के लिए नशा उन्मूलन सेंटर में अपना इलाज पिछले कई महीनों से करा रहा है.

जानकारी देते मरीज के परिजन और नशा उन्मूलन केंद्र की कर्मी

ड्रग्स की जब्ती में 1000 प्रतिशत तक हुई बढ़ोतरी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2015 में जब शराबबंदी पूरी तरह से बिहार में लागू हुई थी, उसके बाद से बिहार में ड्रग्स की जब्ती में 1000 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पटना जोन के मुताबिक ओपियम और आशीष जैसे ड्रग्स की जब्ती मामले में बिहार देश में अव्वल रहा है. गांजा जब्ती की अगर हम बात करें तो आंध्र प्रदेश के बाद बिहार दूसरे नंबर पर आता है.

ये भी पढ़ें- नवादा: 'राष्ट्रीय वयोश्री योजना' के तहत बुजुर्गों को दिए जाएंगे कृत्रिम यंत्र, इन जगहों पर लगेगा शिविर

बड़े पैमाने पर हो रहा है नशे का कारोबार
साल 2015 में राज्य में 14.4 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया था. 2016 में ये 10 हजार 800 किलोग्राम तक पहुंच गया. अगर 2017 की बात करें तो 28,888 किलो और 2018 में 40,670 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया है. इतने बड़े पैमाने पर हो रही बरामदगी ये बताने के लिए काफी है कि बिहार में कितने बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार हो रहा है. इससे ये साफ है कि शराब के विकल्प के बाद लोग इन मादक पदार्थों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रहे हैं.

Intro:बिहार सरकार ने भरे हैं शराब के कारोबारियों के अरमानों पर कई बार बुलडोजर चला दिया है लेकिन राज्य में नशे के सौदागर ओके जड़ें काफी मजबूत हो चुके हैं अब हकीकत यह है कि बिहार उड़ता पंजाब की तरह उड़ता बिहार बनने की राह पर चल पड़ा है जहां राजधानी पटना से लेकर हर शहर और कस्बों तक नशे के सौदागरों का जाल बिछ गया है चाहे पड़ोसी देश नेपाल से ड्रग माफिया हो या मुंबई से लेकर कोलकाता तक सभी का नेटवर्क बिहार में अब काफी फैल चुका है शराबबंदी के बाद बिहार में मादक पदार्थों की बरामदगी का आंकड़ा अबपहले के मुकाबले 1000 गुना तक बढ़ गया है ब्राउन शुगर अफीम गांजा चरस और हीरोइन से लेकर नशे की दवाइयों का सेवन का शौक युवाओं पर इस कदर बढ़ा है किस शराबियों की संख्या तो अब पीछे ही छूट गई बिहार में बच्चे और नौजवान बहुत ही तेजी के साथ मादक पदार्थों के सेवन के आदि हो रहे हैं और खास करके राजधानी पटना के युवाओं में इसका आकर्षण काफी बढ़ता हुआ देखा जा रहा है और इसका जीता जागता सबूत शराबबंदी के बाद सूबे में गांजा अफीम हीरोइन की लगातार हो रही बरामदगी है...

ऐसे ही नशे के शिकार कई युवा अब नशा उन्मूलन केंद्र में भर्ती होते दिख रहे हैं जहां पहले के मुकाबले इनकी संख्या में काफी तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है अपने बच्चों को लेकर नशा उन्मूलन केंद्र में भर्ती करवाने आए परिजन कहते सुने जाते हैं कि जिन बच्चों के सहारे वह अपना बुढ़ापा गुजारना चाहते थे अब उनके जवानी के बाद भी उनका सहारा उनके परिजनों को ही बनना पड़ रहा है....


Body:वही पटना में नशा उन्मूलन से जुड़ी राखी शर्मा ने भी चौंकाने वाली जानकारी दी उन्होंने कहा कि शहर में नशा उन्मूलन केंद्र को पिछले 20 वर्षों से चलाते हैं और इनके केंद्र में बड़ी से लेकर बच्चे तक भर्ती है लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि पहले जहां शराबी इनके नशा उन्मूलन सेंटर पहुंचते थे उनकी उम्र 20 वर्ष से ज्यादा होती थी लेकिन अब 13:00 14 साल के बच्चे भी आ रहे हैं किसी को नशे वाली ड्रग्स की आदत है तो किसी को ब्राउन शुगर की राखी शर्मा बताती हैं कि पटना में सबसे ज्यादा ब्राउन शुगर के वाले नाबालिग बच्चे हैं उनके सेंटर में सबसे ज्यादा आ रहे हैं और राखी के अनुसार यह स्थिति काफी चिंताजनक है राखी बताती है कि शराबबंदी के बाद विकल्प के तौर पर युवा अध्यक्ष का इस्तेमाल करने लगे हैं और इसके साथ ही नशे की दवाई और इंजेक्शन का प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं राखी बताती है कि शराबबंदी के बाद पहले एक दो महीने तो नशे के शिकार लोग उनके सेंटर में कम पहुंचे और देखते ही देखते हर महीने नशे के शिकार युवाओं की भीड़ इनके सेंटर पर जुटने शुरू हो गई...

वही राखी के नशा उन्मूलन केंद्र में भर्ती 12 वर्ष का सोनू जिसे स्मैक पीने की लत लग गई थी उसने भी बताया कि किस तरह से उसके दोस्तों ने उसे स्मैक की लत लगाई थी और आज धीरे-धीरे वह इस नशे की लत से निकलने के लिए राखी के उन्मूलन सेंटर में अपना इलाज पिछले कई महीनों से करवा रहा है....




Conclusion:वही कुछ दिन पहले पटना के जक्कनपुर थाना से ब्राउन शुगर का नेटवर्क चलाने वाली सरगना भाभी जी को भी पटना पुलिस ने गिरफ्तार किया था और पुलिस ने उसके पास से डेढ़ करोड़ रुपए का ब्राउन शुगर भी बरामद किया था जांच में सामने आया था कि कैसे भाभी जी पटना से इतने बड़े गिरोह का संचालन घर बैठे कर रही थी भाभी जी का नेटवर्क नेपाल से लेकर दिल्ली और मुंबई तक फैला हुआ था और इसी कड़ी में राजधानी पटना नशा उन्मूलन सेंटर या फिर अस्पतालों में नशा करने वाले युवाओं का इलाज किया जा रहा है राजधानी पटना के राजेंद्र नगर अस्पताल में अपने बेटे को समस्तीपुर से लेकर पहुंचे सुभाष चंद्र यादव बताते हैं कि उनके बेटे प्रिय कुमार को स्मैक का लती हो गया था और अपने बेटे को नशे के गिरफ्त में जाता देख आज उसके पिता इलाज करवाने पटना पहुंचे प्रिय कुमार के पिता सुभाष चंद्र बताते हैं कि अपने बेटे को इलाज के लिए पटना लाने के दौरान भी उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा....

वही बिहार सरकार के आंकड़े ही बताते हैं कि 2015 में जब शराब बंदी पूरी तरह से बिहार में लागू हुई थी उसके बाद से बिहार में ड्रग्स की जब्ती में 1000 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पटना जोन के मुताबिक ओपियम और आशीष जैसे ड्रग्स के जब्ती मामले में बिहार देश में अव्वल रहा है गांजा जब्ती की अगर हम बात करें तो आंध्र प्रदेश के बाद बिहार दूसरे नंबर पर आता है सबसे खास बात यह है कि साल 2015 में गंजा 14.4 किलोग्राम जप्त हुआ था तो 2016 में यह 10800 किलोग्राम तक पहुंच गया और 2017 की अगर हम बात करें तो 2017 में 28,888 किलो जब थोड़ा था जबकि 2018 में 40,670 किलोग्राम बरामद किया गया है इतने बड़े पैमाने पर हो रही बरामद की कहीं ना कहीं यह बताने के लिए काफी है कि बिहार में कितने बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार हो रहा है और इससे एक मतलब तो जरूर और इससे एक मतलब तो साफ है कि शराब के विकल्प के बाद लोग इन मादक पदार्थों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रहे हैं....

नोट-सोनू की बाइट मोजो से ही गई है जो बच्चा इस वीडियो में बाइट दे रहा है वही सोनू है और जिस महिला की बाइट गई है वही राखी है...वही कुछ शॉट्स और बाइट इस खबर की पर्सनल वाट्सअप पर गई है उसमें जिस लड़के के हाथों में हथकड़ी लगी है उसका नाम प्रिय कुमार है और उसके पिता या नाम सुभाष चंद्र यादव है ।।

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