पटना: राज्य सरकार ने भले ही सूबे में शराबबंदी कानून लागू कर दिया है लेकिन नशे के सौदागरों की जड़ें काफी मजबूत हो चुकी हैं. आलम ये है कि अब बिहार भी 'उड़ता पंजाब' की तरह उड़ता बिहार बनने की राह पर चल पड़ा है. शराबबंदी के बाद बिहार में मादक पदार्थों की बरामदगी का आंकड़ा अब पहले के मुकाबले 1000 गुना तक बढ़ गया है. ब्राउन शुगर, अफीम, गांजा, चरस और हेरोइन से लेकर नशे की दवाइयों का सेवन का शौक युवाओं पर इस कदर चढ़ा है कि शराबियों की संख्या तो अब इनसे पीछे ही छूट गई है.
बच्चे और नौजवान बहुत ही तेजी के साथ मादक पदार्थों के सेवन के आदि हो रहे हैं. खासकर राजधानी के युवाओं में इसका आकर्षण काफी बढ़ता हुआ देखा जा रहा है. इसका जीता जागता सबूत शराबबंदी के बाद गांजा, अफीम और हेरोइन की लगातार हो रही बरामदगी है. हाल के महीनों में ही राजधानी में करोड़ों के मादक पदार्थों की खेप जब्त की गई थी.
बच्चों को लेकर नशा उन्मूलन केंद्र पहुंच रहे परिजन
नशे के शिकार कई युवा अब नशा उन्मूलन केंद्र में भर्ती होते दिख रहे हैं. पहले के मुकाबले इनकी संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. अपने बच्चों को लेकर नशा उन्मूलन केंद्र और अस्पताल पहुंचे परिजन कहते हैं कि जिन बच्चों के सहारे वो अपना बुढ़ापा गुजारना चाहते थे, आज उन्हें ही अपने जवान बच्चों का सहारा बनना पड़ रहा है. नशे की लत से लोग कई तरह की बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं.
नाबालिग भी हो रहे हैं नशे का शिकार
नशा उन्मूलन केंद्र की कर्मी राखी शर्मा से जब ईटीवी भारत ने बात की तो काफी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. राखी ने बताया कि पहले जो नशा उन्मूलन केंद्र आते थे उनकी उम्र 20 वर्ष से ज्यादा होती थी. लेकिन अब 13 से 14 साल के बच्चे भी आ रहे हैं. किसी को ड्रग्स की आदत है तो किसी को ब्राउन शुगर की. राजधानी में सबसे ज्यादा ब्राउन शुगर की लत नाबालिग बच्चों को है जो उनके सेंटर में आ रहे हैं.
पिछले कई महीनों से चल रहा है इलाज
नशे की दवाई और इंजेक्शन का प्रयोग जिले में धड़ल्ले से जारी है. नशा उन्मूलन केंद्र में भर्ती 12 साल के सोनू ने बताया कि उसे स्मैक पीने की लत लग गई थी. दोस्तों ने उसे स्मैक की लत लगाई थी. आज वो इस नशे की लत से निकलने के लिए नशा उन्मूलन सेंटर में अपना इलाज पिछले कई महीनों से करा रहा है.
ड्रग्स की जब्ती में 1000 प्रतिशत तक हुई बढ़ोतरी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2015 में जब शराबबंदी पूरी तरह से बिहार में लागू हुई थी, उसके बाद से बिहार में ड्रग्स की जब्ती में 1000 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पटना जोन के मुताबिक ओपियम और आशीष जैसे ड्रग्स की जब्ती मामले में बिहार देश में अव्वल रहा है. गांजा जब्ती की अगर हम बात करें तो आंध्र प्रदेश के बाद बिहार दूसरे नंबर पर आता है.
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बड़े पैमाने पर हो रहा है नशे का कारोबार
साल 2015 में राज्य में 14.4 किलोग्राम गांजा जब्त किया गया था. 2016 में ये 10 हजार 800 किलोग्राम तक पहुंच गया. अगर 2017 की बात करें तो 28,888 किलो और 2018 में 40,670 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया है. इतने बड़े पैमाने पर हो रही बरामदगी ये बताने के लिए काफी है कि बिहार में कितने बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार हो रहा है. इससे ये साफ है कि शराब के विकल्प के बाद लोग इन मादक पदार्थों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रहे हैं.