पटना: राजधानी पटना के प्रतिष्ठित पीएमसीएच हॉस्पिटल में जांच कराने आने वाले कोरोना सस्पेक्टेड लोगों को एक अलग किस्म की तकलीफ हो रही है. दरअसल, तकलीफ ये है कि पीएमसीएच कैंपस काफी बड़ा है और ये लगभग दो किलोमीटर के रेडियस में फैला है. मरीजों की जानकारी के लिए कोई साइन बोर्ड नहीं लगा है.
पर्ची कटवाने में होती परेशानी
पीएमसीएच के वार्ड के पास एक कोने में कोरोना के जांच की पर्ची कटती है और अगर किसी को इसकी प्रॉपर जानकारी ना हो तो उसे यही पास खड़े होकर ढूंढने में काफी समय लग जाएगा. यहां से लगभग 50 मीटर की दूरी पर जाकर कॉलेज के एआरटी सेंटर में बनाए गए फ्लू कॉर्नर से मरीजों को फ्लू नंबर लेना पड़ता है. इसके बाद दो जगह सैंपल कलेक्ट किए जाते हैं.
फर्स्ट फ्लोर पर होते हैं सैंपल कलेक्ट
पीएमसीएच के प्रिंसिपल ऑफिस के पास स्थित पीएमसीएच के कैंटीन के फर्स्ट फ्लोर पर सैंपल कलेक्ट किए जाते हैं. जहां एंटीजन और आरटीपीसीआर दोनों तरीकों से सैंपल की जांच की सुविधा है. इसके अलावा माइक्रोबायोलॉजी के पास स्थित एनसीसी कार्यालय के भवन के दो कमरों में भी सैंपल कलेक्ट किए जाते हैं.
'काफी दिनों से अस्पताल में कोरोना का जांच हो रहा है और यह पुराना विषय हो चुका है. ऐसे में अस्पताल के सभी स्टाफ को पता है कि जांच कहां होता है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा जांच कराने आने वाले लोग भी किसी परिचित के माध्यम से आते हैं और उन्हें यह ध्यान रहता है कि जांच कराने के लिए कहां कहां जाना है और क्या प्रोसीजर फॉलो करना हैं' - डॉ. विद्यापति चौधरी, प्राचार्य, पीएमसीएच
डॉ. विद्यापति चौधरी ने कहा कि जो अनजान लोग हैं, वह पीएमसीएच के किसी भी स्टाफ से पूछ सकते हैं और स्टाफ उन्हें आसानी से कोरोना जांच केंद्र का रास्ता बता देंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि पीएमसीएच में प्रतिदिन 1100 से 1200 कोरोना सैंपल की जांच किए जाते हैं, जिसमें लगभग 700 के करीब आरटी पीसीआर टेस्ट होते हैं.
एडमिनिस्ट्रेशन का गैर जिम्मेदाराना रवैया
बता दें कि पीएमसीएच में दूरदराज इलाके से काफी गरीब लोग इलाज कराने पहुंचते हैं और जब वह अस्पताल की किसी कर्मी से कोरोना जांच कराने की बात कहते हैं तो वह कर्मी उस मरीज से सबसे पहले दूर भागते हैं. जल्दी कोई ऐसे मरीजों से बात करने नहीं आता और आता भी है तो बेहतर तरीके से बात नहीं करता है. ऐसे में व्यवस्था में सुधार के बजाय पीएमसीएच के प्राचार्य का बयान कहीं ना कहीं एडमिनिस्ट्रेशन का गैर जिम्मेदाराना रवैया है.