पटना: साल 2005 से नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) बिहार के लिए विशेष दर्जे ( Special Status ) की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब ऐसा लग रह है कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू अब बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग छोड़ दी है और अब विशेष मदद की मांग कर रहे हैं.
दरअसल, नीतीश कुमार की कोर कमेटी के सदस्य और बिहार सरकार में योजना-विकास और ऊर्जा विभाग के मंत्री विजेंद्र यादव ( Vijendra Yadav ) ने एलान कर दिया है कि अब बिहार सरकार केन्द्र से विशेष दर्जे की मांग नहीं करेगी. पटना में में पत्रकारों से बात करते हुए विजेंद्र यादव ने कहा- 'विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते-करते हम थक गए हैं. केंद्र सरकार ने विशेष राज्य के दर्जा को लेकर कमेटी का भी गठन किया था. उसकी रिपोर्ट भी आयी. लेकिन उसके बाद भी कोई फैसला नहीं हुआ. अब कितनी मांग की जाए.'
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'मांग करने की एक सीमा होती है. कब तक मांगा जाएगा. 7-8 साल से तो मांग रहे हैं लेकिन कुछ हुआ नहीं. अनवरत यह सिलसिला कब तक चलेगा. हम लोग तो एक सरकार में हैं. इसलिए अब हम लोग अपना काम कर रहे हैं.' - विजेंद्र यादव, मंत्री, योजना एवं विकास विभाग
बता दें कि साल 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार आयी थी. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. तब से ही नीतीश कुमार बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं. यही नहीं, साल 2010 के विधानसभा चुनाव के बाद तो नीतीश ने एलान भी कर दिया था कि जो कोई भी पार्टी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगी, वे उसका समर्थन कर देंगे. उस वक्त भी नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के साथ चुनाव लडे थे और सरकार भी बनाए थे.
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उस वक्त केंद्र में यूपीए सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. साल 2013 में केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सरकार ने बिहार समेत देश के कुछ दूसरे राज्यों द्वारा विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर विचार करने के लिए रघुराम राजन कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में माना कि बिहार देश में उड़ीसा के बाद सबसे पिछडा राज्य है. लेकिन रघुराम राजन कमेटी ने किसी भी राज्य को विशेष दर्जा देने का प्रावधान खत्म कर देने की ही सिफारिश कर दी थी.