गया : बिहार के गया जिले के मानपुर में स्थित कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री अवधेश सिंह की हवेली सौहार्द और गंगा-जमुनी तहजीब की बड़ी मिसाल है. इस हवेली में देश के मशहूर उर्दू साहित्यकार और शायर इमदाद इमाम असर और उनके वंशजों की मजार स्थित है. पिछले 65 सालों से पूर्व मंत्री अवधेश सिंह का परिवार इस मजार की देखभाल, सुरक्षा और चादरपोशी करता आ रहा है.
हवेली का इतिहास और मजार : यह हवेली 1960 में अवधेश सिंह के पिता बालेश्वर प्रसाद सिंह ने खरीदी थी. तब उन्हें यह जानकारी थी कि यहां इमदाद इमाम असर और उनके वंशजों की मजार है. हवेली खरीदने के बाद से इस परिवार ने मजार की देखभाल शुरू की थी, जो आज भी जारी है. पहले बालेश्वर प्रसाद सिंह ने मजार की देखभाल की, और अब उनके बेटे अवधेश सिंह और उनके पुत्र डॉ. शशि शेखर सिंह इसे संभालते हैं.
सौभाग्य और गर्व का अहसास : पूर्व मंत्री अवधेश सिंह इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि उनकी हवेली में देश के प्रसिद्ध साहित्यकार इमदाद इमाम असर और उनके वंशजों की मजार है. वे इसे सौभाग्य मानते हैं. वहीं, उनके पुत्र डॉ. शशि शेखर सिंह को मजार की देखभाल और चादरपोशी करते हुए सुकून मिलता है.
इन कृतियों की रचनाएं : इमदाद इमाम असर का जन्म 1849 में हुआ था और उन्हें अंग्रेजों ने नवाब की उपाधि दी थी. उनके वालिद पटना के करापुर सराय सलारपुर के नवाब थे. इमदाद इमाम असर 11 मार्च 1933 को मानपुर स्थित अपने बंगले में दफनाए गए थे. उनकी प्रमुख कृतियों में 'काशीफल हकाईक', 'मिरातल', 'हुकमा', 'फसाना ए हिम्मत', और 'दीवान ए असर' शामिल हैं.
![अवधेश सिंह का बंगला](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-02-2025/hindu-ki-haweli-me-mazar_14022025171940_1402f_1739533780_802.jpg)
मजार पर चादरपोशी की परंपरा : पूर्व मंत्री के परिवार ने 1960 से इस मजार पर पूजा और चादरपोशी की परंपरा शुरू की. शब ए बरात के दिन परिवार के सदस्य मजार पर चादरपोशी करते हैं, अगरबत्ती और प्रसाद चढ़ाते हैं, और मौलवी से दुआ भी कराते हैं. इस परंपरा को पिछले 65 सालों से परिवार निभा रहा है.
![ETV Bharat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-02-2025/hindu-ki-haweli-me-mazar_14022025171940_1402f_1739533780_19.jpg)
पाकिस्तान से परिवार का आना और मजार की सुरक्षा : 1965-70 तक इमदाद इमाम असर के परिवार के सदस्य पाकिस्तान से इस हवेली में आते थे, लेकिन इसके बाद उनका आना बंद हो गया. हालांकि, अवधेश सिंह के परिवार ने हवेली खरीदने के बाद से मजार की सुरक्षा और देखभाल जारी रखी है. इस मजार पर हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग मन्नतें मांगने आते हैं.
![अवधेश सिंह का बंगला](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-02-2025/hindu-ki-haweli-me-mazar_14022025171940_1402f_1739533780_498.jpg)
''जबसे बंगला है, तब से इनके पूर्वजों का कब्रिस्तान है. आज भी हम लोगों ने इसे सुरक्षित करके रखा है. प्रत्येक वर्ष मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार शबे बरात को ताजपोशी चादरपोशी करते हैं. मैं जिस दल से हूं, उसमें गंगा जमुनी तहजीब की बात होती है. उसकी एक मिसाल यह मजार है.''- अवधेश सिंह, पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता
![ETV Bharat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-02-2025/hindu-ki-haweli-me-mazar_14022025171940_1402f_1739533780_427.jpg)
गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल : पूर्व मंत्री अवधेश सिंह का मानना है कि उनके परिवार द्वारा मजार की देखभाल और चादरपोशी करने की परंपरा गंगा-जमुनी तहजीब का जीता-जागता उदाहरण है. वे इसे किसी दिखावे से नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास से करते हैं. उनके अनुसार, यह मजार देश में भाईचारे और सद्भाव का संदेश देती है.
![ETV Bharat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-02-2025/hindu-ki-haweli-me-mazar_14022025171940_1402f_1739533780_213.jpg)
य़े भी पढ़ें-