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वीरान पड़ा है वो आश्रम.. जिसकी खुद बापू ने रखी थी नींव, जयंती पर भी नहीं हुआ कोई कार्यक्रम

गांधी की जयंती पर हर जगह कार्यक्रम हो रहे हैं. लेकिन पटना में एक ऐसी भी जगह है जहां गांधी आश्रम तो है, लेकिन कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं. विक्रम के ऐतिहासिक गांधी आश्रम में ना ही कोई कार्यक्रम हो रहा है और ना ही विकास कार्य. आश्रम को 100 साल पूरे हो गए हैं. लेकिन किसी सरकार ने इस ओर नहीं देखा. पढ़ें रिपोर्ट...

गांधी जी
गांधी जी
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Published : Oct 2, 2021, 9:32 PM IST

पटना: दो अक्टूबर को जहां पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जयंती मना रहा है, वहीं राजधानी पटना से सटे बिक्रम प्रखंड में स्थित गांधी आश्रम आज भी व्यवस्था के अभाव में काफी खराब स्थिति में है. गांधी जी की मूर्ति ऐसे पड़ी है, जैसे किसी आम इंसान की कलाकृति हो. जानकारी हो कि बिक्रम का गांधी आश्रम एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां स्वंत्रता आन्दोलन के दौरान स्वयं महात्मा गांधी आए थे. उन्होंने ही 1921 में आश्रम की नींव रखी थी. उनके अनुआयी महान स्वतंत्रता ने इसी आश्रम से अंग्रेजों के खिलाफ आन्दोलन जारी रखा था.

यह भी पढ़ें- गांधी जयंती स्पेशल: चंपारण का 'राजकुमार'.. जिनकी वजह से गांधी बने 'महात्मा'

इतना ही नहीं, इसी आश्रम से निकलकर क्रांतिकारियों ने 17 अगस्त 1942 को विक्रम थाना पर तिरंगा फहराने चले थे. जिसमें तीन नौजवान शहीद हुए थे. इस आश्रम में विनोबा भावे अपने तीन भाइयों के साथ कई दिनों तक निवास किये. जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सुभाष चन्द्र बोस, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, खान अब्दुल गफूर खां जैसे कई स्वतंत्रता आंदोलन के शीर्षस्थ नेताओं ने भी क्रांतिकारियों को दिशा दिया. फिर 21 मई 1947 को दंगा के दौरान महात्मा गांधी का दुबारा आगमन हुआ.

देखें वीडियो

लेकिन आज इस आश्रम के विकास में कई तरह की बाधाएं आ रही हैं. इस ऐतिहासिक सार्वजनिक धरोहर को निजी बता कर विकास पर ग्रहण लग गया. यह वही गांधी आश्रम है, जहां स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान 1921 ई. में सेनानी पुण्यदेव शर्मा के अथक प्रयास से गांधी जी आये थे. खुद ही आश्रम की नींव रखी.

अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे आन्दोलन में भी इस आश्रम का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है. जिसका अपनी आत्मकथा में सेनानी रामवरण शर्मा ने देश की स्वतंत्रता का गवाह रहा. यह आश्रम आज अपने विकास के लिए इंतजार कर रहा है. ऐसा नहीं है कि सरकार के तरफ से इसके विकास के लिए पहल नहीं की गई.

तत्कालीन नगर विकास मंत्री प्रेम कुमार ने राज्य के दो मंत्रियों एवं अन्य भाजपा-जदयू नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों एवं अन्य हजारों लोगों की उपस्थिति में इस आश्रम के विकास के लिए घोषणा की. राशि स्वीकृत होने के पहले विभागीय खर्च से जमीन की नापी हुई. नगर विकास विभाग से स्टीमेट के साथ वर्ष 2012-13 में 87 लाख रुपये स्वीकृत कर कमेटी हॉल बनाने का निर्णय हुआ.

तकनीकी कारणों से अबतक उस स्वीकृत राशि से कार्यारम्भ नहीं हुआ. प्रखंड के अंचलाधिकारी का कहना है कि यह जमीन पूरी तरह से सार्वजनिक है. यह गांधी आश्रम के नाम से प्रचलित भी है. वहीं विक्रम स्थित गांधी आश्रम का 100 साल स्थापना का पूरा होने के बावजूद भी आज भी आश्रम विकास से काफी दूर है. एक तरफ सूबे की सरकार गांधी जयंती पर कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है. कई योजना भी चला रही है, लेकिन गांधी जी द्वारा स्थापित आश्रम आज भी वीरान पड़ा हुआ है.

वहीं शशी भूषण शर्मा ने कहा कि विक्रम के इस गांधी आश्रम में गांधी जी के आने के बाद से अभी तक उनसे जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा है. यह बात साबित करती है कि यह स्थल पूरी तरह से सार्वजनिक है. वहीं इस मौके पर स्थानीय लोगों ने कहा कि इस गांधी आश्रम का विकास हो कर रहेगा. वे बिक्रम के लोगों के साथ मिलकर आश्रम को साबरमती आश्रम बनाकर रहेंगे.

'आज पूरा देश गांधी जयंती मना रहा है. लेकिन इस बार विक्रम स्थित गांधी आश्रम वीरान पड़ा हुआ है. सभी जनप्रतिनिधि एवं सरकार तक को कार्यक्रम को लेकर चिट्ठी लिखी गई थी. लेकिन जवाब नहीं दिया गया. पिछले कई सालों से सरकार नीतीश कुमार की है. उनके मंत्री वादे करके भूल जाते हैं. आश्रम सभी के लिए है यह आश्रम बिहार के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यहां से गांधी जी ने आंदोलन की शुरुआत की थी. लेकिन आज की सरकार यह सब बात भूल चुकी है.' -कौशल किशोर, स्थानीय

यह भी पढ़ें- गांधी जयंती: 100 साल पहले महात्मा गांधी ने बिहार में खोला था स्कूल

पटना: दो अक्टूबर को जहां पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जयंती मना रहा है, वहीं राजधानी पटना से सटे बिक्रम प्रखंड में स्थित गांधी आश्रम आज भी व्यवस्था के अभाव में काफी खराब स्थिति में है. गांधी जी की मूर्ति ऐसे पड़ी है, जैसे किसी आम इंसान की कलाकृति हो. जानकारी हो कि बिक्रम का गांधी आश्रम एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां स्वंत्रता आन्दोलन के दौरान स्वयं महात्मा गांधी आए थे. उन्होंने ही 1921 में आश्रम की नींव रखी थी. उनके अनुआयी महान स्वतंत्रता ने इसी आश्रम से अंग्रेजों के खिलाफ आन्दोलन जारी रखा था.

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इतना ही नहीं, इसी आश्रम से निकलकर क्रांतिकारियों ने 17 अगस्त 1942 को विक्रम थाना पर तिरंगा फहराने चले थे. जिसमें तीन नौजवान शहीद हुए थे. इस आश्रम में विनोबा भावे अपने तीन भाइयों के साथ कई दिनों तक निवास किये. जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सुभाष चन्द्र बोस, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, खान अब्दुल गफूर खां जैसे कई स्वतंत्रता आंदोलन के शीर्षस्थ नेताओं ने भी क्रांतिकारियों को दिशा दिया. फिर 21 मई 1947 को दंगा के दौरान महात्मा गांधी का दुबारा आगमन हुआ.

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लेकिन आज इस आश्रम के विकास में कई तरह की बाधाएं आ रही हैं. इस ऐतिहासिक सार्वजनिक धरोहर को निजी बता कर विकास पर ग्रहण लग गया. यह वही गांधी आश्रम है, जहां स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान 1921 ई. में सेनानी पुण्यदेव शर्मा के अथक प्रयास से गांधी जी आये थे. खुद ही आश्रम की नींव रखी.

अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे आन्दोलन में भी इस आश्रम का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है. जिसका अपनी आत्मकथा में सेनानी रामवरण शर्मा ने देश की स्वतंत्रता का गवाह रहा. यह आश्रम आज अपने विकास के लिए इंतजार कर रहा है. ऐसा नहीं है कि सरकार के तरफ से इसके विकास के लिए पहल नहीं की गई.

तत्कालीन नगर विकास मंत्री प्रेम कुमार ने राज्य के दो मंत्रियों एवं अन्य भाजपा-जदयू नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों एवं अन्य हजारों लोगों की उपस्थिति में इस आश्रम के विकास के लिए घोषणा की. राशि स्वीकृत होने के पहले विभागीय खर्च से जमीन की नापी हुई. नगर विकास विभाग से स्टीमेट के साथ वर्ष 2012-13 में 87 लाख रुपये स्वीकृत कर कमेटी हॉल बनाने का निर्णय हुआ.

तकनीकी कारणों से अबतक उस स्वीकृत राशि से कार्यारम्भ नहीं हुआ. प्रखंड के अंचलाधिकारी का कहना है कि यह जमीन पूरी तरह से सार्वजनिक है. यह गांधी आश्रम के नाम से प्रचलित भी है. वहीं विक्रम स्थित गांधी आश्रम का 100 साल स्थापना का पूरा होने के बावजूद भी आज भी आश्रम विकास से काफी दूर है. एक तरफ सूबे की सरकार गांधी जयंती पर कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है. कई योजना भी चला रही है, लेकिन गांधी जी द्वारा स्थापित आश्रम आज भी वीरान पड़ा हुआ है.

वहीं शशी भूषण शर्मा ने कहा कि विक्रम के इस गांधी आश्रम में गांधी जी के आने के बाद से अभी तक उनसे जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा है. यह बात साबित करती है कि यह स्थल पूरी तरह से सार्वजनिक है. वहीं इस मौके पर स्थानीय लोगों ने कहा कि इस गांधी आश्रम का विकास हो कर रहेगा. वे बिक्रम के लोगों के साथ मिलकर आश्रम को साबरमती आश्रम बनाकर रहेंगे.

'आज पूरा देश गांधी जयंती मना रहा है. लेकिन इस बार विक्रम स्थित गांधी आश्रम वीरान पड़ा हुआ है. सभी जनप्रतिनिधि एवं सरकार तक को कार्यक्रम को लेकर चिट्ठी लिखी गई थी. लेकिन जवाब नहीं दिया गया. पिछले कई सालों से सरकार नीतीश कुमार की है. उनके मंत्री वादे करके भूल जाते हैं. आश्रम सभी के लिए है यह आश्रम बिहार के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यहां से गांधी जी ने आंदोलन की शुरुआत की थी. लेकिन आज की सरकार यह सब बात भूल चुकी है.' -कौशल किशोर, स्थानीय

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