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Bihar Cabinet Meeting: नियोजित शिक्षकों का इंतजार बढ़ा, राज्यकर्मी का दर्जा देने पर नहीं हुआ कैबिनेट में फैसला

बिहार कैबिनेट की बैठक खत्म हो गई है. कैबिनेट ने 10 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगाई है. हालांकि सरकार ने राज्य के नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के मामले में आज भी कोई फैसला नहीं लिया, जिस वजह से शिक्षकों को अभी और इंतजार करना पड़ेगा.

बिहार में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा
बिहार में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 25, 2023, 5:14 PM IST

Updated : Sep 25, 2023, 5:30 PM IST

पटना: बिहार में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा आज भी नहीं मिल पाया. उम्मीद की जा रही थी कि सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक में इस फैसले पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा सकती है लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. अगर राज्यकर्मी को दर्जा देने का फैसला कैबिनेट करती तो बिहार के 4 लाख से अधिक शिक्षकों को फायदा होता. न केवल उनकी सैलेरी में बढ़ोतरी होती, बल्कि कई अन्य तरह की भी सुविधा भी मिलती.

ये भी पढ़ें: Bihar Niyojit Shikshak: कौन हैं नियोजित शिक्षक? बड़ा वोट बैंक है शिक्षकों का..

सीएम ने दिए थे संकेत: मुख्यमंत्री ने इसी साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पटना के गांधी मैदान से इस बात के संकेत दिए थे कि आने वाले समय में शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाएगा. वैसे भी पिछले कई सालों से नियोजित शिक्षक इसकी मांग कर रहे हैं. कई बार उन्होंने आंदोलन भी किया. अभी 2 अक्टूबर को भी सामूहिक उपवास का कार्यक्रम प्रस्तावित है.

राज्यकर्मी का दर्जा देने से क्या बदलेगा?: नीतीश कैबिनेट अगर नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसले लेती तो राज्य के चार लाख से अधिक शिक्षकों को सीधा लाभ मिलता. माना जा रहा है कि राज्यकर्मी का दर्जा मिलने से नियोजित शिक्षकों के तनख्वाह में प्रति महीने दो से तीन हजार रुपये की वृद्धि होगी. इसके साथ ही तमाम शिक्षक एक श्रेणी में आ जाएंगे, मतलब ये कि नियोजित शिक्षक भी शिक्षा विभाग के अंतर्गत आ जाएंगे. अभी ये सभी पंचायत और निकाय के तहत आते हैं.

कौन हैं ये नियोजित शिक्षक?: बिहार में साल 2003 में मैट्रिक और इंटरमीडिएट में प्राप्त अंकों के आधार पर इनको सरकारी स्कूलों में शिक्षा मित्र के तौर पर रखा गया था, उस वक्त इनको प्रति माह 1500 रुपये मिलते थे. जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो 2006 में इनको नियोजित शिक्षक का दर्जा दिया गया. समय-समय पर इनका वेतन बढ़ता रहा. वर्तमान समय में प्राइमरी शिक्षकों को 22 से 25 हजार रुपये और माध्यमिक शिक्षकों को 22 से 29 हजार और हाई स्कूलों के टीचर को 22 से 30 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं.

आर-पार के मूड में नियोजित शिक्षक: दरअसल, अपनी मांग को लेकर नियोजित शिक्षक संघ लगातार आंदोलनरत हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि अगर सरकार जल्द इस पर फैसला नहीं लेगी तो वे लोग गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर को सामूहिक उपवास करेंगे और आने वाले समय में हड़ताल पर चले जाएंगे. आपको याद दिलाएं कि इसको लेकर पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन के नेताओं के साथ बैठक भी की थी. सभी घटक दल इसके समर्थन में थे.

पटना: बिहार में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा आज भी नहीं मिल पाया. उम्मीद की जा रही थी कि सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक में इस फैसले पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा सकती है लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. अगर राज्यकर्मी को दर्जा देने का फैसला कैबिनेट करती तो बिहार के 4 लाख से अधिक शिक्षकों को फायदा होता. न केवल उनकी सैलेरी में बढ़ोतरी होती, बल्कि कई अन्य तरह की भी सुविधा भी मिलती.

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सीएम ने दिए थे संकेत: मुख्यमंत्री ने इसी साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पटना के गांधी मैदान से इस बात के संकेत दिए थे कि आने वाले समय में शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाएगा. वैसे भी पिछले कई सालों से नियोजित शिक्षक इसकी मांग कर रहे हैं. कई बार उन्होंने आंदोलन भी किया. अभी 2 अक्टूबर को भी सामूहिक उपवास का कार्यक्रम प्रस्तावित है.

राज्यकर्मी का दर्जा देने से क्या बदलेगा?: नीतीश कैबिनेट अगर नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसले लेती तो राज्य के चार लाख से अधिक शिक्षकों को सीधा लाभ मिलता. माना जा रहा है कि राज्यकर्मी का दर्जा मिलने से नियोजित शिक्षकों के तनख्वाह में प्रति महीने दो से तीन हजार रुपये की वृद्धि होगी. इसके साथ ही तमाम शिक्षक एक श्रेणी में आ जाएंगे, मतलब ये कि नियोजित शिक्षक भी शिक्षा विभाग के अंतर्गत आ जाएंगे. अभी ये सभी पंचायत और निकाय के तहत आते हैं.

कौन हैं ये नियोजित शिक्षक?: बिहार में साल 2003 में मैट्रिक और इंटरमीडिएट में प्राप्त अंकों के आधार पर इनको सरकारी स्कूलों में शिक्षा मित्र के तौर पर रखा गया था, उस वक्त इनको प्रति माह 1500 रुपये मिलते थे. जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो 2006 में इनको नियोजित शिक्षक का दर्जा दिया गया. समय-समय पर इनका वेतन बढ़ता रहा. वर्तमान समय में प्राइमरी शिक्षकों को 22 से 25 हजार रुपये और माध्यमिक शिक्षकों को 22 से 29 हजार और हाई स्कूलों के टीचर को 22 से 30 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं.

आर-पार के मूड में नियोजित शिक्षक: दरअसल, अपनी मांग को लेकर नियोजित शिक्षक संघ लगातार आंदोलनरत हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि अगर सरकार जल्द इस पर फैसला नहीं लेगी तो वे लोग गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर को सामूहिक उपवास करेंगे और आने वाले समय में हड़ताल पर चले जाएंगे. आपको याद दिलाएं कि इसको लेकर पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन के नेताओं के साथ बैठक भी की थी. सभी घटक दल इसके समर्थन में थे.

Last Updated : Sep 25, 2023, 5:30 PM IST
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