पटना: एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल होने के बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव 2024 के लिए विपक्षी दलों के एकजुट करने की मुहिम चला रहे हैं. इस बीच आरसीपी सिंह- उपेंद्र कुशवाहा जैसे उनके करीबी दल छोड़कर अलग हो गये. वहीं जीतन राम मांझी जैसे सहयोगी दल ने भी नाता तोड़ लिया. राजनीतिक विश्लेषक और विपक्षी पार्टियां जदयू में टूट के कयास लगाने लगे. इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के अंदर बने संशय की स्थिति से निकलाने के लिए डैमेज कंट्रोल करना शुरू किया.
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एक-एक कर मुलाकात कीः नीतीश कुमार ने पहले सभी विधायकों और विधान पार्षदों से एक एक कर मुलाकात की. उनका मन टटोला. सांसदों से भी मुख्यमंत्री ने एक-एक कर मुलाकात की और उसी दौरान राज्यसभा के उपसभापति और जदयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश से भी मुलाकात की. हरिवंश को लेकर पार्टी नेताओं की नाराजगी उस समय साफ दिखी थी जब संसद भवन उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे. क्योंकि जदयू ने संसद भवन उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया था. हालांकि पार्टी की तरफ से उस समय कोई कार्रवाई नहीं हुई. नीतीश कुमार ने जब सांसदों से मिलना शुरू किया तो हरिवंश जी को भी बुलावा भेजा और उनसे मुलाकात भी की.
"पार्टी के अंदर भारी असंतोष है और नीतीश कुमार असंतोष को दूर करने के लिए डैमेज कंट्रोल करने में लगे हैं. जिस हरिवंश के खिलाफ पार्टी के प्रवक्ताओं से क्या-क्या नहीं बुलवाया उनसे मुलाकात की है."- संजय टाइगर, प्रवक्ता बीजेपी
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पीएम से हरिवंश का रहा है बेहतर तालमेलः राजनीतिक गलियारों में इस को लेकर कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हरिवंश का बहुत ही बेहतर तालमेल है. यह एक बड़ा कारण कयास लगाने की वजह है. लेकिन नीतीश कुमार की मुलाकात डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि नीतीश कुमार के भी काफी नजदीकी हरिवंश रहे हैं भले ही लालू परिवार का कभी उन्होंने समर्थन नहीं किया है.
रामेश्वर महतो को भी नीतीश ने मनाया: उपेंद्र कुशवाहा के जदयू से बाहर जाने के बाद एमएलसी रामेश्वर महतो मोर्चा खोले हुए थे. पहले अशोक चौधरी के खिलाफ जमकर बोला और फिर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा पर भी कई गंभीर आरोप लगाये. उमेश कुशवाहा ने भी रामेश्वर महतो को धूर्त और स्वार्थी तक बता दिया. रामेश्वर महतो को उपेंद्र कुशवाहा का नजदीकी माना जाता है. पार्टी के भीतर ही मोर्चा खोल पार्टी नेताओं की मुश्किल बढ़ाने वाले रामेश्वर महतो को भी नीतीश कुमार ने मना लिया है.
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तल्ख बयानबाजी करने वाले नेताओं से मिलेः नीतीश कुमार वैसे नेताओं से भी मिले हैं जो लगातार बयान देकर पार्टी की मुश्किलें बढ़ाते रहे हैं, जिसमें विधायक डॉक्टर संजीव कुमार सिंह भी है. इसके अलावा जदयू के एक विधायक चिराग पासवान से भी मिले थे तो उस विधायक से भी नीतीश कुमार ने मुलाकात की और उसे भी समझाया. उससे पहले जदयू के प्रवक्ता निखिल मंडल को भी मुख्यमंत्री ने मनाया था.
"पार्टी में कोई असंतोष नहीं है. मुख्यमंत्री पहले भी अपने पार्टी नेताओं से मिलते रहे हैं. विधायक और सांसद से मुलाकात की है. उसी कड़ी में हरिवंश से भी मिले हैं और रामेश्वर महतो से भी मुलाकात की है. कोई डैमेज कंट्रोल की बात नहीं है. बिहार में मजबूती से महागठबंधन की सरकार चल रही है."- संजय गांधी, एमएलसी, जदयू
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आनन फानन में रत्नेश सदा को मंत्री बनायाः जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनकी पार्टी भी महागठबंधन से अलग हो गई. जीतन राम मांझी मुसहर समाज से आते हैं. मुसहर समाज में मैसेज खराब ना जाए नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के रत्नेश सदा को तुरंत मंत्री बना दिया, जबकि मंत्रिमंडल विस्तार का मामला पिछले 6 महीने से भी अधिक समय से लटका हुआ है. इसे भी एक बड़ा डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है.
नीतीश जब भी नेताओं से मिलते हैं कुछ बड़ा होता है: कुल मिलाकर देखें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डैमेज कंट्रोल करने में माहिर माने जाते हैं. ऐसे विधायकों, विधान पार्षद, सांसदों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से जब भी मिलते हैं तो बिहार में कुछ बड़ा होता है. 2017 और 2022 में सभी ने देखा भी है. उससे पहले भी जब कोई बड़ा निर्णय लेना रहता है तो नीतीश कुमार पार्टी नेताओं के साथ बैठक करते रहे हैं. इस बार भी कई तरह के कयास लग रहे हैं लेकिन पार्टी को एकजुट करने और पार्टी को धारदार देने के रूप में भी नीतीश कुमार के इन बड़े फैसलों को देखा जा रहा है.