पटना: बिहार (Bihar News ) में बेलगाम अफसरशाही (Bureaucracy) की बात कोई नई नहीं है. 2014 के 7 महीने को छोड़ दे तो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 2005 नवंबर से बिहार की सत्ता संभाल रहे हैं. नीतीश कुमार, नेताओं से ज्यादा वफादार रहने वाले सिविल सेवकों (Civil Servant) पर भरोसा करते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार (Chanchal Kumar) पर अफसरशाही के गंभीर आरोप लग रहे हैं.
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नेताओं से ज्यादा अधिकारियों पर भरोसा
सीएम के अपने विधायकों और मंत्रियों तक को यह पता नहीं होता कि आगे क्या होने वाला है लेकिन उनके करीबी अधिकारियों को पूरी जानकारी होती है. अगर किसी राज्य का मंत्री अधिकारियों से परेशान होकर अपने इस्तीफे की पेशकश करता है तो उसका दर्द समझा जा सकता है. बिहार में भले ही सरकार एनडीए (Bihar NDA) की हो लेकिन हर विभाग के प्रधान सचिव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पसंद के हैं. किस विभाग में कौन सा काम होगा और कितना होगा इस बारे में आखिरी फैसला मंत्री की बजाए अधिकारियों के पास से आता है. मंत्रियों को तो बस हस्ताक्षर करना होता है.
'मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि आखिर क्यों वर्षों से चंद लोगों की टीम उनके इर्द-गिर्द बैठी है. नीतीश कुमार के राज में लालफीताशाही हावी है. सीएम के इर्द गिर्द चार चंचल कुमार हैं. मंत्री तो इन लोगों के सामने चपरासी है. मंत्री बदल जाते हैं सरकार बदल जाती है लेकिन ये चार अफसर क्यों नहीं बदलते, सीएम को इसका कारण बताना चाहिए.'- राजेश राठौर, कांग्रेस प्रवक्ता
मदन सहनी ने खोल कच्चा चिट्ठा
बिहार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी (Minister Madan Sahni) ने तो साफ-साफ कह दिया कि सीएम के प्रधान सचिव चंचल कुमार उनका फोन नहीं उठाते और ना ही कॉल बैक करते हैं. हालांकि उनकी शिकायत अपने विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद (IAS Atul Prasad) से थी. लेकिन जब उन्होंने अपनी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचानी चाही तो चंचल कुमार ने उन्हें यह मौका भी नहीं दिया. पूरा मामला जून में होने वाले तबादलों से जुड़ा है.
'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डेमोक्रेटिक सेटअप पसंद ही नहीं है. उन्होंने हमेशा ब्यूरोक्रेसी को डेमोक्रेसी से ऊपर रखा है और यही वजह है कि बिहार में ऊपर से नीचे तक जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है. चंचल कुमार वर्षों से मुख्यमंत्री के करीब बने हुए हैं. बिहार में मंत्रियों के विभाग बदल जाते हैं लेकिन चंचल कुमार जैसे चंद अधिकारी जस के तस अपनी जगह बने हुए हैं.'- अनवर हुसैन, प्रदेश प्रवक्ता, राजद
1992 बैच के IAS अधिकारी हैं चंचल कुमार
आईएएस चंचल कुमार सिर्फ एक ब्यूरोक्रेट ही नहीं बल्कि एक टेक्नोक्रेट भी माने जाते हैं. वे आईआईटी कानपुर से एमटेक करने के बाद आइएएस बने. यही वजह है कि नीतीश कुमार जब रेल मंत्री बने थे उसके बाद से ही चंचल कुमार नीतीश के साथ बने हुए हैं. बिहार के तमाम आईएएस अधिकारी चंचल कुमार की ही सुनते हैं. बिना चंचल कुमार की इजाजत के कोई मंत्री या कोई विधायक मुख्यमंत्री तक भी नहीं पहुंच पाता.
चंचल कुमार अकेले नहीं हैं बल्कि सीएम के आसपास चंद ऐसे आईएएस अधिकारियों की टीम है जो वर्षों से इधर से उधर नहीं हुई. उन चंद लोगों की टीम ही पूरे बिहार के भविष्य का ताना-बाना बुनती है.
लालू की बेबाक टिप्पणी
इस पूरे मसले पर लालू यादव ने ट्वीट किया है. लालू ने लिखा है कि गिरते पड़ते रेंगते लोटते धनबल, प्रशासनिक बल के बूते जैसे तैसे थर्ड डिवीजन प्राप्त 40 सीट वाला जब नैतिकता, लोक मर्यादा और जनादेश को ताक पर रखकर मुख्यमंत्री बनता है तब ऐसा होना स्वाभाविक है.
'चुनाव जीतकर जनता का प्रतिनिधि बनकर विधायक जब मंत्री बनते हैं तो उन से लोगों की उम्मीदें बढ़ जाती हैं. ऐसे मंत्री जब लोगों की समस्याएं सुनकर उनसा समाधान करना चाहते हैं लेकिन उनके अधिकारी उनकी नहीं सुनते. तब उन्हें अपने क्षेत्र की जनता के सामने जवाब देना मुश्किल हो जाता है और यही वजह है कि मदन सहनी ने जनता के सामने पेश होने से बेहतर इस्तीफा देना समझा.'-डॉक्टर संजय कुमार ,राजनीतिक विश्लेषक
क्या कहते हैं नीतीश के पूर्व सहयोगी
इस बारे में बिहार के पूर्व मंत्री महेश्वर हजारी कहते हैं कि मदन सहनी का मामला पार्टी का अंदरूनी मामला है. उनकी कुछ शिकायतें हैं जो उन्हें अपने गार्जियन नीतीश कुमार से है और बहुत जल्द यह पूरा मामला सुलझ जाएगा. चंचल कुमार को लेकर हालांकि महेश्वर हजारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं जबकि मंत्री रहने के दौरान महेश्वर हजारी भी चंचल कुमार से पीड़ित रहे थे.
नीतीश के प्रधान सचिव चंचल कुमार
- IIT कानपुर से एमटेक चंचल कुमार 1992 बैच के आईएएस अधिकारी हैं.
- बिहार की ब्यूरोक्रेसी में सबसे पावरफुल माने जाते हैं.
- नीतीश कुमार जब रेल मंत्री (1998-99) थे, तब से ही उनके साथ हैं.
- अक्सर 2-3 विभागों को संभालते हैं.
- मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव पद पर इनकी तैनाती सबसे बड़ी जिम्मेदारी है.
- बिहार में कई योजनाओं को लागू करने के पीछे इनका दिमाग माना जाता है.
- इनके बारे में कहा जाता है कि ये ब्यूरोक्रेट के साथ अच्छे टेक्नोक्रेट भी हैं.
मंत्री भी इनसे संभलकर ही रहना चाहते हैं. उदारहण के तौर पर सितबंर 2019 तक मंत्री (तत्कालीन) महेश्वर हजारी के पास आवास मंत्रालय भी था. इस विभाग के सचिव चंचल कुमार थे. हजारी और चंचल के बीच किसी बात को लेकर मतभेद हो गया तो मंत्री हजारी को ही शिफ्ट कर दिया गया. चंचल कुमार का बाल तक बांका नहीं हुआ.
बिहार में ब्यूरोक्रेसी बेलगाम
बिहार के समाज कल्याण विभाग के मंत्री मदन सहनी (Madan Sahni) ने 1 जुलाई गुरुवार को नीतीश मंत्रिमंडल (Nitish cabinet) से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि उनके विभाग के अधिकारी उनकी बात को सुनते ही नहीं हैं. विभाग में मनमानी करते हैं. जनता के लिए होने वाले काम को करने के बजाय भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. मदन सहनी जदयू कोटे के विधायक हैं.
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