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मुखालफत करने वाले नेताओं को 'डंपिंग यार्ड' में डाल देते हैं नीतीश कुमार, लंबी है फेहरिस्त

नीतीश कुमार की रणनीति का शिकार होने वालों की फेहरिस्त लंबी है. जॉर्ज फर्नांडिस, पीके सिन्हा, शरद यादव, उपेंद्र कुशवाहा, उदय नारायण चौधरी समेत कई नेता हैं, जिन्हें अलग राजनीतिक राह पकड़नी पड़ी. बदली परिस्थितियों में अब पवन वर्मा और प्रशांत किशोर सरीखे नेता नीतीश कुमार की रणनीति का शिकार हो सकते हैं, नीतीश कुमार ने संकेत भी दे दिए हैं.

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नीतीश कुमार
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Published : Jan 25, 2020, 8:47 PM IST

पटनाः नीतीश कुमार अपने फैसले को लेकर जहां अडिग रहते हैं. वहीं, पार्टी में विरोध का झंडा उठाने वाले नेताओं को अलग-थलग कर अपनी छाप छोड़ जाते हैं. जेडीयू के लिए सिर दर्द बने पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और महासचिव पवन वर्मा पर बीजेपी कार्रवाई की मांग कर रही है. लेकिन जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व चुप्पी साधे हुए है.

महागठबंधन से अलग होने पर शरद यादव और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सवाल खड़े किए थे. जिसके बाद दोनों नेता पार्टी में साइड लाइन हो गए. वहीं, अब नीतीश के फैसले की खिलाफत कर रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा और एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी सरीखे नेताओं ने एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

बागी नेताओं को अलग-थलग करने की रणनीति
नीतीश कुमार के पुराने रिकार्ड को देख लगता है कि पवन वर्मा और प्रशांत किशोर को पार्टी में अलग-थलग किया जायेगा. इसके संकेत जेडीयू नेता भी देने लगे हैं. नीतीश कुमार बेलगाम नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए रणनीति के तहत अलग-थलग छोड़ देते हैं या फिर नेता दूसरी राह पकड़ने के लिए मजबूर होते हैं. नीतीश कुमार जब से राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं तब से किसी भी नेता को पार्टी से निलंबित नहीं किया गया है.

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राजीव रंजन

'बड़ बोले नेताओं पर सीएम करेंगे कार्रवाई'
बीजेपी बड़ बोले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही है. सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर जेडीयू के कई नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने बताया कि सीएम नीतीश कुमार की नजर सभी नेताओं पर है और समय पर कार्रवाई भी की जाएगी.

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बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल

नीतीश ने दिया है संदेश
वहीं, जेडीयू नेता भी मानते हैं कि पार्टी के अंदर लोकतंत्र और सभी नेताओं को बोलने की आजादी है. प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि समय-समय पर नीतीश कुमार संदेश देते रहते हैं, लेकिन नेताओं को लक्ष्मण रेखा का ख्याल रखना चाहिए.

ईटीवी भारत भारत की रिपोर्ट

कई नेताओं को किनारे लगा चुके हैं नीतीश
बता दें कि साल 2010 के करीब जदयू में अनुशासन समिति बनी और कुछ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई भी हुई. लेकिन उसके बाद से आज तक किसी नेता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है. नीतीश कुमार की रणनीति का शिकार होने वालों की फेहरिस्त लंबी है. जॉर्ज फर्नांडिस, पीके सिन्हा, शरद यादव, उपेंद्र कुशवाहा, उदय नारायण चौधरी समेत कई नेता हैं, जिन्हें अलग राजनीतिक राह पकड़नी पड़ी. बदली परिस्थितियों में अब पवन वर्मा और प्रशांत किशोर सरीखे नेता नीतीश कुमार की रणनीति का शिकार हो सकते हैं, नीतीश कुमार ने संकेत भी दे दिए हैं.

पटनाः नीतीश कुमार अपने फैसले को लेकर जहां अडिग रहते हैं. वहीं, पार्टी में विरोध का झंडा उठाने वाले नेताओं को अलग-थलग कर अपनी छाप छोड़ जाते हैं. जेडीयू के लिए सिर दर्द बने पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और महासचिव पवन वर्मा पर बीजेपी कार्रवाई की मांग कर रही है. लेकिन जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व चुप्पी साधे हुए है.

महागठबंधन से अलग होने पर शरद यादव और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सवाल खड़े किए थे. जिसके बाद दोनों नेता पार्टी में साइड लाइन हो गए. वहीं, अब नीतीश के फैसले की खिलाफत कर रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा और एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी सरीखे नेताओं ने एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

बागी नेताओं को अलग-थलग करने की रणनीति
नीतीश कुमार के पुराने रिकार्ड को देख लगता है कि पवन वर्मा और प्रशांत किशोर को पार्टी में अलग-थलग किया जायेगा. इसके संकेत जेडीयू नेता भी देने लगे हैं. नीतीश कुमार बेलगाम नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए रणनीति के तहत अलग-थलग छोड़ देते हैं या फिर नेता दूसरी राह पकड़ने के लिए मजबूर होते हैं. नीतीश कुमार जब से राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं तब से किसी भी नेता को पार्टी से निलंबित नहीं किया गया है.

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राजीव रंजन

'बड़ बोले नेताओं पर सीएम करेंगे कार्रवाई'
बीजेपी बड़ बोले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही है. सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर जेडीयू के कई नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने बताया कि सीएम नीतीश कुमार की नजर सभी नेताओं पर है और समय पर कार्रवाई भी की जाएगी.

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बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल

नीतीश ने दिया है संदेश
वहीं, जेडीयू नेता भी मानते हैं कि पार्टी के अंदर लोकतंत्र और सभी नेताओं को बोलने की आजादी है. प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि समय-समय पर नीतीश कुमार संदेश देते रहते हैं, लेकिन नेताओं को लक्ष्मण रेखा का ख्याल रखना चाहिए.

ईटीवी भारत भारत की रिपोर्ट

कई नेताओं को किनारे लगा चुके हैं नीतीश
बता दें कि साल 2010 के करीब जदयू में अनुशासन समिति बनी और कुछ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई भी हुई. लेकिन उसके बाद से आज तक किसी नेता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है. नीतीश कुमार की रणनीति का शिकार होने वालों की फेहरिस्त लंबी है. जॉर्ज फर्नांडिस, पीके सिन्हा, शरद यादव, उपेंद्र कुशवाहा, उदय नारायण चौधरी समेत कई नेता हैं, जिन्हें अलग राजनीतिक राह पकड़नी पड़ी. बदली परिस्थितियों में अब पवन वर्मा और प्रशांत किशोर सरीखे नेता नीतीश कुमार की रणनीति का शिकार हो सकते हैं, नीतीश कुमार ने संकेत भी दे दिए हैं.

Intro:बड़बोले नेताओं ने बिहार में एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जेडीयू के कई नेता लगातार गठबंधन के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं जिसके चलते भाजपा और जदयू के बीच तनाव चरम पर है सीएम नीतीश कुमार की रणनीति का शिकार जदयू कोटे के कुछ नेता होने वाले हैं ।


Body:जदयू खेमे के कुछ नेताओं ने बढ़ाई नेतृत्व की परेशानी
जुलाई 2017 हो नीतीश कुमार ने बिहार में नई राजनीतिक पटकथा लिखी और महागठबंधन छोड़ एनडीए का हिस्सा बन गए जदयू खेमे के कुछ नेताओं ने नीतीश कुमार के फैसले पर उंगली उठाई शरद यादव सरीखे नेताओं ने जमकर नीतीश कुमार के फैसले की मुखालफत की रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी नीतीश कुमार के फैसले पर उंगली उठाई थी और कहा था कि नीतीश कुमार को भाजपा के साथ सरकार बनाने के बजाय मैंडेट लेना चाहिए था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी सवाल खड़े किए थे ।
बदली परिस्थितियों में कुछ बड़बोले नेताओं ने नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी है पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा जदयू के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और गुलाम रसूल बलियावी सरीखे नेताओं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन नेताओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं


Conclusion:कुछ और नेता जदयू से होंगे असम्बद्ध
नीतीश कुमार बेलगाम नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का डंडा चलाना मुनासिब नहीं समझते रणनीति के तहत ऐसे नेताओं को मुख्यमंत्री अलग-थलग छोड़ देते हैं और नेता दूसरी राह अख्तियार करने के लिए मजबूर हो जाते हैं । नीतीश कुमार जब से राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं तब से किसी भी नेता को पार्टी से निलंबित नहीं किया है ।
आपको बता दें कि साल 2010 के करीब जदयू में अनुशासन समिति बनी थी और कुछ नेताओं के खिलाफ कार्यवाही की गई थी लेकिन उसके बाद से आज तक किसी नेता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की गई।
नीतीश कुमार के रणनीति का शिकार होने वालों की फेहरिस्त लंबी है जॉर्ज फर्नांडिस पीके सिन्हा शरद यादव उपेंद्र कुशवाहा , उदय नारायण चौधरी समेत कई नेता है जिन्हें अलग राजनीतिक राह अख्तियार करना पड़ा ।
बदली परिस्थितियों में पवन वर्मा प्रशांत किशोर सरीखे नेता नीतीश कुमार के रणनीति का शिकार हो सकते हैं नीतीश कुमार ने संकेत भी दे दिया है ।
भाजपा ने बड़बोले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है हाल के दिनों में नागरिकता संशोधन अधिनियम एनपीआर और एनआरसी को लेकर जदयू के में से कई नेता लगातार बयानबाजी कर रहे हैं पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है नीतीश कुमार की नजर वैसे नेताओं पर है और समय पर कार्रवाई भी की जाएगी
जदयू नेता भी मानते हैं कि पार्टी के अंदर लोकतंत्र और तमाम लोगों को बोलने की आजादी है पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि समय-समय पर नीतीश कुमार संदेश देते रहते हैं लेकिन नेताओं को लक्ष्मणरेखा का ख्याल रखना चाहिए
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