पटना: बिहार में पिछड़ा वर्ग (OBC) की 31 जाति और अति पिछड़ा (EBC) की 113 जातियां हैं. पिछड़ा और अति पिछड़ा का बिहार में बड़ा वोट बैंक है. इस वर्ग के वोटर किसी भी चुनाव में जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इसी वोट बैंक के सहारे लालू यादव (Lalu Yadav) को साल 2005 में सत्ता से बाहर किया था और पिछले 16 साल से लगातार सत्ता पर काबिज हैं. ओबीसी को रिझाने के लिए नीतीश पहले से ही जातीय जनगणना (Caste Census) की मांग करते रहे हैं, वहीं ओबीसी के लिए एक के बाद एक कई योजनाएं भी शुरू की है.
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अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने सभी जिलों में पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय स्कूल खोलने की घोषणा की है. जानकार इसे बिहार विधानसभा की 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव से जोड़कर देख रहे हैं. साथ ही यह भी कह रहे हैं कि इसका लाभ नीतीश कुमार को दोनों सीट पर मिल सकता है. विशेषज्ञ प्रो. अजय झा का कहना है नीतीश कुमार आरजेडी (RJD) को पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट बैंक की हिस्सेदारी में आगे निकलने नहीं देना चाहते हैं. इसलिए यह दिखाने की कोशिश भी है कि पिछड़ा और अति पिछड़ा के नेता हम ही हैं.
"ये पॉलिटिक्स है कि नीतीश कुमार भी लोगों को वैसा चेहरा दिखाना चाहते हैं, खासकर पिछड़े समूह को कि वो भी पिछड़ों के ही नेता हैं. इसीलिए उन्होंने अपने तेवर बदले हैं. वो नहीं चाहते हैं कि आरजेडी पिछड़े लोगों के वोटों का सारा क्रेडिट लेकर चले जाए"- प्रो. अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
हालांकि जेडीयू (JDU) के प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि चुनाव से इसका कोई लेना-देना नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोहिया वादी हैं और लोहिया की सोच पर ही काम कर रहे हैं. लोहिया की सोच थी कि जब तक सभी वर्ग की महिलाएं मुख्यधारा में नहीं आएंगी, तब तक समाज, राज्य और देश का विकास नहीं हो सकता है. मुख्यमंत्री की घोषणा महिलाओं के विकास को लेकर ही है.
"ऐसी कोई बात नहीं है. चुनाव से भी इसका कोई लेना-देना नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोहिया वादी हैं और उन्हीं की राह पर चलते हुए ही सीएम इस तरह की घोषणा कर रहे हैं"- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, जेडीयू
वहीं, नीतीश कुमार की घोषणा पर आरजेडी की भी नजर है, लेकिन मामला पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट बैंक का है इसलिए खुलकर नेता विरोध नहीं कर रहे हैं. वरिष्ठ नेता आलोक मेहता का कहना है कि योजनाओं की घोषणा तो नीतीश कुमार खूब कर रहे हैं. कई योजना आई और कई योजना गई, लेकिन उनका क्या हाल है किसी से छिपा नहीं है. भ्रष्टाचार की भेंट सभी योजनाएं चढ़ी हुई हैं.
"सिर्फ योजनाओं की घोषणा से क्या होगा. नीतीश कुमार योजनाओं का ऐलान तो खूब करते हैं, लेकिन कितनी योजनाएं पूरी होती हैं. उनकी कोई ऐसी योजना नहीं है, जो भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ती है"- आलोक मेहता, वरिष्ठ नेता, आरजेडी
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दरअसल बिहार में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के लिए कई योजनाएं पहले से चल रही हैं, इनमें...
- मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावी योजना
- मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेधावी योजना
- अन्य पिछड़ा वर्ग प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना
- अन्य पिछड़ा वर्ग प्रीमैट्रिक छात्रवृति योजना
- मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग प्रवेशिकोत्तर योजना
- अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालय योजना
- जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावास योजना
- अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावास योजना
- प्राक परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र योजना
- मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना
- मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग छात्रावास अनुदान योजना
- छात्रावासों में खाद्यान्न आपूर्ति योजना
वहीं, अब सभी जिलों में पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय स्कूल खोलने की भी सीएम नीतीश कुमार ने घोषणा की है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावास, जन नायक कर्पुरी ठाकुर कल्याण छात्रावास, प्राक प्रशिक्षण केंद्रों और अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस 2 विद्यालयों में ऑनलाइन कोचिंग शुरु करने का भी फैसला लिया है.
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बिहार में हिंदू आबादी में 50% के आसपास पिछड़ा और अति पिछड़ा की आबादी है. यादव 14%, कुशवाहा यानी कोइरी 6%, कुर्मी 4% है. इसके अलावा बनिया की आबादी भी अच्छी खासी है. साथ ही निषाद, बिंद, केवट, प्रजापति, कहार, कुम्हार,नोनिया सहित कई जातियों की आबादी भी अच्छी खासी है.
अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग की छात्रवृत्ति योजना की बकाया राशि और प्रोत्साहन राशि का भुगतान करने का निर्देश भी दिया है. कुल मिलाकर मुख्यमंत्री की नजर ओबीसी वोट बैंक पर है और इसलिए अभी हाल ही में पिछड़ा अति पिछड़ा कल्याण विभाग के अधिकारियों को उन्होंने निर्देश दिया है कि जो योजनाएं चल रही है उसे समय पर पूरा करें. एक तरह से चुनाव से पहले मैसेज देने की भी कोशिश है. जेडीयू के 43 विधायकों में से 20 पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग से ही चुनकर आए हैं. नीतीश कुमार पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट बैंक पर से अपनी पकड़ किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहते हैं. इसलिए जातीय जनगणना कराने को लेकर भी लगातार बयान दे रहे हैं और अब पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के लिए एक के बाद एक घोषणाएं शुरू कर रहे हैं.