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नीतीश सरकार ने नियोजित शिक्षकों की नई सेवा शर्त लागू कर खेला 'मास्टर स्ट्रॉक' - seva shart

कोरोना महामारी की बीच सीएम नीतीश कुमार के एक फैसले ने सबको चौंका दिया है. नीतीश कुमार ने ना केवल साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों के सेवा शर्त नियमावली को मंजूरी दी है, बल्कि उनके वेतन में भी 22 प्रतिशत की वृद्धि की है.

सीएम नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार
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Published : Aug 19, 2020, 10:06 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 11:09 PM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव के पहले सीएम नीतीश कुमार ने एक मास्टर स्ट्रॉक खेला. उन्होंने नियोजित शिक्षकों के लिए नई सेवा शर्त लागू कर दिया. इस स्ट्रॉक को रोकने के लिए विपक्ष के पास कोई सधा क्षेत्ररक्षण दिखाई नहीं दे रहा है.

मंगलवार को बिहार कैबिनेट ने कक्षा 1 से 12 वर्ग के लिए 4 लाख से अधिक पंचायत राज संस्थओं और नगर निकायों के शिक्षकों के लिए सेवा नियमों को मंजूरी दे दी. उन्हें अब सरकारी शिक्षकों की तरह कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना और अंतर-जिला स्थानांतरण का लाभ मिलेगा. अब नियोजित शिक्षकों को सिर्फ शिक्षक कहा जाएगा और वे कहीं भी ट्रांसफर ले सकते हैं.

2020 सितंबर से मिलेगा ईपीएफ का लाभ
इसके अनुसार, शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ ) का लाभ सितंबर, 2020 से ही दिया जाएगा. वहीं इन शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिसका लाभ एक अप्रैल, 2021 से मिलेगा. ऐसे में कहा जा रहा है नीतीश सरकार ने चुनावी घोषणा की है.

लंबे समय से थी 'समान काम-समान वेतन की मांग'
इस साल चुनाव में इन नियोजित शिक्षकों के परिवारों का साथ मिल गया तो ठीक है, वरना इनके वेतन वृद्धि के लिए आने वाली सरकार के लिए 'सिरदर्द' होगा. वैसे, शिक्षक संघ सरकार के इस फैसले से ज्यादा खुश नहीं दिख रहे हैं. इसे विधानसभा चुनावों से पहले एक राजनीतिक 'चाल' के रूप में देखा जा रहा है, कहा जा रहा है कि शिक्षकों के 'समान काम के बदले समान वेतन' की लंबे समय से लंबित मांग को भी स्वीकार नहीं किया गया है.

इतना ही नहीं, अगर सीएम नीतीश कुमार की सरकार एक और बार आती है तो वो अपने वादों को पूरा करेंगे लेकिन अगर विपक्ष की सरकार आती है तो नीतीश कुमार उनके लिए 2765 करोड़ का अतिरिक्त बोझ छोड़ कर जाएंगे.

शिक्षक संघ के प्रवक्ता

शिक्षक संघ : 'सेवा नियम के अलावा कुछ नहीं'
बिहार माध्यमिक विद्यालय शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने कहा, 'शिक्षकों के लिए सेवा नियम के अलावा कुछ नहीं है. जब तक वेतन में समानता नहीं है, इसका कोई मतलब नहीं है. हमारे पास पहले से ही मातृत्व अवकाश जैसे कुछ लाभ हैं. हम शिक्षा प्रणाली की मुख्य कड़ी हैं. हमारी वेतन संरचना पर ध्यान देना होगा.'

मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता

यह केवल चुनावी 'लॉलीपॉप' : RJD
विपक्ष भी इसे चुनावी स्टंट ही बता रहा है. राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि यह केवल चुनावी 'लॉलीपॉप' के अलावे कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को अगर वेतन वद्घि कर देना ही था, तो इसी साल से क्यों नहीं दे रही है.

रालोसपा प्रवक्ता अभिषेक झा

सेवा शर्त नियमावली महज चुनावी लॉलीपॉप: RLSP
रालोसपा प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि नियोजित शिक्षक की जो सेवा शर्त नियमावली की घोषणा राज्य सरकार ने की है, यह एक चुनावी लॉलीपॉप है. क्योंकि उसमें कई ऐसी घोषणाएं हैं जिसे सरकार 2021 से लागू करने वाली है.

शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा

शिक्षकों को दिया उम्मीद से ज्यादा: शिक्षा मंत्री
इस बीच, ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि हमने शिक्षकों को उम्मीद से ज्यादा दिया है. आशा है कि वे भी शिक्षा व्यवस्था और सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए अपना भरपूर योगदान देंगे.

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव के पहले सीएम नीतीश कुमार ने एक मास्टर स्ट्रॉक खेला. उन्होंने नियोजित शिक्षकों के लिए नई सेवा शर्त लागू कर दिया. इस स्ट्रॉक को रोकने के लिए विपक्ष के पास कोई सधा क्षेत्ररक्षण दिखाई नहीं दे रहा है.

मंगलवार को बिहार कैबिनेट ने कक्षा 1 से 12 वर्ग के लिए 4 लाख से अधिक पंचायत राज संस्थओं और नगर निकायों के शिक्षकों के लिए सेवा नियमों को मंजूरी दे दी. उन्हें अब सरकारी शिक्षकों की तरह कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना और अंतर-जिला स्थानांतरण का लाभ मिलेगा. अब नियोजित शिक्षकों को सिर्फ शिक्षक कहा जाएगा और वे कहीं भी ट्रांसफर ले सकते हैं.

2020 सितंबर से मिलेगा ईपीएफ का लाभ
इसके अनुसार, शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ ) का लाभ सितंबर, 2020 से ही दिया जाएगा. वहीं इन शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिसका लाभ एक अप्रैल, 2021 से मिलेगा. ऐसे में कहा जा रहा है नीतीश सरकार ने चुनावी घोषणा की है.

लंबे समय से थी 'समान काम-समान वेतन की मांग'
इस साल चुनाव में इन नियोजित शिक्षकों के परिवारों का साथ मिल गया तो ठीक है, वरना इनके वेतन वृद्धि के लिए आने वाली सरकार के लिए 'सिरदर्द' होगा. वैसे, शिक्षक संघ सरकार के इस फैसले से ज्यादा खुश नहीं दिख रहे हैं. इसे विधानसभा चुनावों से पहले एक राजनीतिक 'चाल' के रूप में देखा जा रहा है, कहा जा रहा है कि शिक्षकों के 'समान काम के बदले समान वेतन' की लंबे समय से लंबित मांग को भी स्वीकार नहीं किया गया है.

इतना ही नहीं, अगर सीएम नीतीश कुमार की सरकार एक और बार आती है तो वो अपने वादों को पूरा करेंगे लेकिन अगर विपक्ष की सरकार आती है तो नीतीश कुमार उनके लिए 2765 करोड़ का अतिरिक्त बोझ छोड़ कर जाएंगे.

शिक्षक संघ के प्रवक्ता

शिक्षक संघ : 'सेवा नियम के अलावा कुछ नहीं'
बिहार माध्यमिक विद्यालय शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने कहा, 'शिक्षकों के लिए सेवा नियम के अलावा कुछ नहीं है. जब तक वेतन में समानता नहीं है, इसका कोई मतलब नहीं है. हमारे पास पहले से ही मातृत्व अवकाश जैसे कुछ लाभ हैं. हम शिक्षा प्रणाली की मुख्य कड़ी हैं. हमारी वेतन संरचना पर ध्यान देना होगा.'

मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता

यह केवल चुनावी 'लॉलीपॉप' : RJD
विपक्ष भी इसे चुनावी स्टंट ही बता रहा है. राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि यह केवल चुनावी 'लॉलीपॉप' के अलावे कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को अगर वेतन वद्घि कर देना ही था, तो इसी साल से क्यों नहीं दे रही है.

रालोसपा प्रवक्ता अभिषेक झा

सेवा शर्त नियमावली महज चुनावी लॉलीपॉप: RLSP
रालोसपा प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि नियोजित शिक्षक की जो सेवा शर्त नियमावली की घोषणा राज्य सरकार ने की है, यह एक चुनावी लॉलीपॉप है. क्योंकि उसमें कई ऐसी घोषणाएं हैं जिसे सरकार 2021 से लागू करने वाली है.

शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा

शिक्षकों को दिया उम्मीद से ज्यादा: शिक्षा मंत्री
इस बीच, ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने कहा कि हमने शिक्षकों को उम्मीद से ज्यादा दिया है. आशा है कि वे भी शिक्षा व्यवस्था और सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए अपना भरपूर योगदान देंगे.

Last Updated : Aug 19, 2020, 11:09 PM IST
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