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राहत इंदौरी के निधन पर CM नीतीश ने जताया दुख, कहा- साहित्य और उर्दू शायरी के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति

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Published : Aug 11, 2020, 9:58 PM IST

Updated : Aug 11, 2020, 10:30 PM IST

कोरोना की वजह से आज मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन हो गया. उन्होंने इंदौर के अरविंदों अस्पताल में आखिरी सांस ली. राहत इंदौरी के निधन पर मुख्यमंत्री ने भी दुख जताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किया है.

पटना
पटना

पटना : मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन की जिसने भी सुनी हैरान रह गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनके निधन पर दुख जताया. नीतीश ने कहा कि देश और दुनिया में 'इंदौर' की पहचान बनाने वाले राहत इंदौरी जी का निधन हो गया. यह बहुत दुखद है.

मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि इंदौरी एक मशहूर शायर के साथ ही बेहतरीन शख्सियत थे. अपनी शायरी और नज्म की बदौलत वह प्रशंसकों के दिलों पर राज करते थे. उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए भी कई गीत लिखे थे. उनके निधन से साहित्य और उर्दू शायरी के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है.

पटना
सीएम नीतीश ने शायर राहत इंदौरी के निधन पर दुख जताया

राहत के निधन पर नीतीश ने दी विनम्र श्रद्धांजलि
नीतीश कुमार ने दिवंगत आत्मा की चिर-शान्ति और उनके परिजनों-प्रशंसकों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन बहुत भारी दिन है. क्योंकि देश ने एक अपने एक महान सपूत को खो दिया. कोरोना ने उनको दुनिया से रुख्शत कर दिया. उनके निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं.

गौरतलब है कि शायरी की दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बनाने वाले राहत इंदौरी हम सब को छोड़कर चले गए. वे कोरोना से संक्रमित होने के चलते अरविदों अस्पताल में भर्ती हुए थे. लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि कोरोना वायरस उन्हें दुनिया से रुखस्त कर देगा. जैसे ही राहत साहब के मौत की खबर सामने आई. एक पल के लिए लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हुआ.

पटना
मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन

भोजमुक्त विश्वविद्यालय से ली पीएचडी की डिग्री
राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में रफ्तुल्लाह कुरैशी के घर हुआ था. वे उनकी चौथी संतान थे. राहत साहब ने इंदौर के नूतन स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा ली. भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय और इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से उन्होंने अपनी कॉलेज जी पढ़ाई की पूरी की थी. तो मध्य प्रदेश के भोजमुक्त विश्वविद्यालय से उन्होंन पीएचडी की डिग्री पूरी की थी.

अब ना मैं हूं, ना बाकी है जमाने मेरें

फिर भी मशहूर हैं, शहरों में फसाने मेरे

जिंदगी है तो नए जख्म भी लग जाएंगे

अब भी बाकी है कई दोस्त पुराने मेरे

  • उर्दू में महारथ हासिल रखने वाले राहत इंदौरी ने कॉलेज के दिनों में ही शायरी और मुशायरे करने शुरु कर दिए. देखते ही देखते उनकी प्रसद्धि एक शायर के तौर पर पूरी दुनिया में छा गई. अपने बेबाक शायरी से राहत साहब ने शायरी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना ली.

पटना : मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन की जिसने भी सुनी हैरान रह गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनके निधन पर दुख जताया. नीतीश ने कहा कि देश और दुनिया में 'इंदौर' की पहचान बनाने वाले राहत इंदौरी जी का निधन हो गया. यह बहुत दुखद है.

मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि इंदौरी एक मशहूर शायर के साथ ही बेहतरीन शख्सियत थे. अपनी शायरी और नज्म की बदौलत वह प्रशंसकों के दिलों पर राज करते थे. उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए भी कई गीत लिखे थे. उनके निधन से साहित्य और उर्दू शायरी के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है.

पटना
सीएम नीतीश ने शायर राहत इंदौरी के निधन पर दुख जताया

राहत के निधन पर नीतीश ने दी विनम्र श्रद्धांजलि
नीतीश कुमार ने दिवंगत आत्मा की चिर-शान्ति और उनके परिजनों-प्रशंसकों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन बहुत भारी दिन है. क्योंकि देश ने एक अपने एक महान सपूत को खो दिया. कोरोना ने उनको दुनिया से रुख्शत कर दिया. उनके निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं.

गौरतलब है कि शायरी की दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बनाने वाले राहत इंदौरी हम सब को छोड़कर चले गए. वे कोरोना से संक्रमित होने के चलते अरविदों अस्पताल में भर्ती हुए थे. लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि कोरोना वायरस उन्हें दुनिया से रुखस्त कर देगा. जैसे ही राहत साहब के मौत की खबर सामने आई. एक पल के लिए लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हुआ.

पटना
मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन

भोजमुक्त विश्वविद्यालय से ली पीएचडी की डिग्री
राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में रफ्तुल्लाह कुरैशी के घर हुआ था. वे उनकी चौथी संतान थे. राहत साहब ने इंदौर के नूतन स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा ली. भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय और इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से उन्होंने अपनी कॉलेज जी पढ़ाई की पूरी की थी. तो मध्य प्रदेश के भोजमुक्त विश्वविद्यालय से उन्होंन पीएचडी की डिग्री पूरी की थी.

अब ना मैं हूं, ना बाकी है जमाने मेरें

फिर भी मशहूर हैं, शहरों में फसाने मेरे

जिंदगी है तो नए जख्म भी लग जाएंगे

अब भी बाकी है कई दोस्त पुराने मेरे

  • उर्दू में महारथ हासिल रखने वाले राहत इंदौरी ने कॉलेज के दिनों में ही शायरी और मुशायरे करने शुरु कर दिए. देखते ही देखते उनकी प्रसद्धि एक शायर के तौर पर पूरी दुनिया में छा गई. अपने बेबाक शायरी से राहत साहब ने शायरी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना ली.
Last Updated : Aug 11, 2020, 10:30 PM IST
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