पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर लगातार पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं. उसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने आज शनिवार 7 अक्टूबर को पार्टी के मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक की. मुख्यमंत्री आवास में हुई इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा सहित पार्टी के कई वरिष्ठ मंत्री भी मौजूद रहे.
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क्यों महत्वपूर्ण है यह बैठकः बता दें कि 2020 विधानसभा चुनाव में जदयू का एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीत पाया था. बाद में बसपा के एकमात्र विधायक जमा खान को नीतीश कुमार ने जदयू में शामिल करा लिया और मंत्री बना दिया. जमा खान अभी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं. बैठक में जमा खान भी मौजूद रहे. पार्टी के मुस्लिम नेताओं के साथ मुख्यमंत्री उस समय बैठक की है, जब हाल ही में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी हुई है. जिसमें मुस्लिम की कुल आबादी 17.7 % दिखाई गई है.
मुस्लिम नेताओं ने हिस्सेदारी की मांग कीः जातीय गणना में पहली बार मुस्लिम के अगड़ी, पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों की गणना की गई है. मुस्लिम नेताओं की तरफ से भी हिस्सेदारी की मांग शुरू हो गई है. एआईएमआईएम की तरफ से विधायक अख्तरुल इमान ने मुख्यमंत्री के साथ हुई विधानसभा के 9 दलों के नेताओं के साथ बैठक में मुस्लिम आरक्षण में हिस्सेदारी की मांग की थी. अख्तरुल इमान ने यह भी कहा था अधिकांश पिछड़े और अत्यंत पिछड़े मुस्लिम आबादी आरक्षण का लाभ मिल पा रहा है.
मुस्लिम नेताओं को दिया टास्कः बिहार में सीमांचल के अलावे मुस्लिम आबादी कई सीटों पर हार जीत का फैसला करती है. ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार लगातार तैयारी कर रहे हैं. मुस्लिम नेताओं को मुख्यमंत्री ने टास्क भी दिया है. सरकार की तरफ से जो कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जनता तक सही ढंग से उसे पहुंचने और उन्हें जानकारी देने का निर्देश दिया है. इसके साथ मुख्यमंत्री ने एआईएमआईएम से सचेत रहने का भी निर्देश दिया है. हाल ही में जदयू की तरफ से भाईचारा यात्रा निकाली गयी थी, जिसमें नीतीश सरकार की ओर से मुसलमानों के लिए किए गए कार्यों की चर्चा की गई थी.
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