पटना: नीतीश कुमार भाजपा विरोधी दल को एक मंच पर लाने की कवायद कर रहे हैं. इस संबंध में कांग्रेस नेताओं से मुलाकात हुई थी. कांग्रेस ने नीतीश को विपक्ष को एकजुट करने की जिम्मेवारी सौंपी है. मिल रही जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार कर्नाटक चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता को लेकर रोडमैप तैयार कर रहे हैं. जिसमें विपक्षी एकजुटता में आने वाली बाधा और सीट शेयरिंग जैसे मुद्दों पर बातचीत के लिए खाका तैयार किया जा रहा है. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती प्रमुख विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ लाना है.
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एकजुटता में क्या है बाधा: विपक्षी एकजुटता में पहले से कई बड़ी बाधा है. नीतीश कुमार शुरू से चाहते रहे हैं कि विपक्षी एकजुटता बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में हो, लेकिन कई राज्यों के नेता कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं. तीसरा मोर्चा बनाने की वकालत करते रहे हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उत्तर प्रदेश में सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं रहे हैं. इसके अलावा उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी कांग्रेस के साथ कभी गठबंधन के पक्ष में सहमति नहीं दी है. कई राज्यों में विपक्षी दलों के बीच लड़ाई होती रही है उसमें केरल जैसे राज्य शामिल है.
"नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता के लिए प्रयास जरूर कर रहे हैं, लेकिन होना ढाक के तीन पात जैसा ही है. आखिर कांग्रेस के लिए विपक्षी दल अपना अस्तित्व को खतरे में क्यों डालेंगे. ममता बनर्जी हो, अखिलेश यादव हो, शरद पवार हो या फिर अरविंद केजरीवाल सबको परेशानी कांग्रेस से ही है. बिहार में भले नीतीश कुमार कांग्रेस को कुछ सीट दे दे लेकिन प्रमुख राज्यों में विपक्षी दल कांग्रेस के साथ आएंगे यह संभव नहीं है"- विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता
क्या है तैयारीः विपक्षी एकजुटता को लेकर सबसे बड़ी बड़ी बाधा इन्हीं सब राज्यों में है. इन्हीं सब को लेकर नीतीश कुमार विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात तो कर ही रहे साथ ही उनसे फोन पर भी बात कर रहे हैं. जो जानकारी मिल रही है नीतीश कुमार सभी राज्यों में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक उम्मीदवार हो इसके लिए सबसे पहले प्रयास कर रहे हैं. जहां यह नहीं होगा उन राज्यों में भी विपक्षी ही चुनाव जीते इसका प्रयास होगा. नीतीश कुमार की पूरी कोशिश है कि बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बीजेपी को अधिक से अधिक डैमेज किया जाए.
बयानबाजी जारीः नालंदा से आने वाले जदयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री श्रवण कुमार ने भी कहा है कि नीतीश कुमार रोडमैप तैयार कर रहे हैं जिसमें सीट शेयरिंग से लेकर सारे मुद्दों पर चर्चा होगी. जदयू मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता के मिशन पर काम कर रहे हैं. कर्नाटक चुनाव के बाद राष्ट्रीय राजनीति में वैकल्पिक राजनीति की नीति क्या होगी और कैसे क्या कुछ तय होगा उसकी कार्यनीति तैयार हो रही है. उस पर सार्थक चर्चा होगी लोगों की आकांक्षा बिहार से है. ऐसा हुआ तो बिहार फिर से एक बार केंद्र बिंदु बनेगा. सीट शेयरिंग कोई बहुत बड़ा मामला नहीं होगा, क्योंकि जब बड़ा उद्देश हो तो सीट कोई बहुत मायने नहीं रखेगा.
"देश में बीजेपी को कोई चुनौती दे सकता है तो वह कांग्रेस पार्टी ही है. तीन राज्यों में उसकी सरकार है लेकिन सच्चाई यह भी है कई विपक्षी दलों को परेशानी कांग्रेस से है चाहे यूपी में सपा की बात करें या फिर केसीआर की ही बात क्यों न करें. केसीआर जब बिहार आए थे नीतीश कुमार से मुलाकात की थी तो कांग्रेस को लेकर ही उनकी आपत्ति थी"- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक
विपक्षी एकजुटता में सबसे बड़ी चुनौती
- कांग्रेस के साथ विपक्षी एकजुटता में सबसे बड़ी बाधा बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और उत्तर प्रदेश सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव हैं, और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती हैं.
- विपक्षी एकजुटता में एआईएमआईएम को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है.
- कांग्रेस के साथ कई विपक्षी दल गठबंधन में आने के लिए तैयार भी हो जाएंगे तो पेंच सीटों पर जाकर फंसेगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोशिश है
- विपक्षी एकजुटता रोड मैप में अधिक से अधिक दलों को शामिल करने की कोशिश.
- जिन राज्यों में बीजेपी के साथ विपक्षी दलों के बीच लड़ाई है वहां कोशिश यह हो रही है अधिक मोर्चा ना बने नुकसान हर हाल में बीजेपी का हो.
- बिहार के अलावे बंगाल दिल्ली उत्तर प्रदेश झारखंड राजस्थान मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बीजेपी को अधिक से अधिक डैमेज किया जाए यह भी कोशिश हो रही है इसे बीजेपी बहुमत के आंकड़ा से पीछे रह जाए.